Haryana Elections: हरियाणा की हॉट सीट हिसार पर देश भर की निगाहें, 21 उम्मीदवारों के बीच सबसे ज्यादा निर्दलीय की चर्चा
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Haryana Elections: हरियाणा की हॉट सीट हिसार पर देश भर की निगाहें, 21 उम्मीदवारों के बीच सबसे ज्यादा निर्दलीय की चर्चा

Haryana's Hot Seat Hisar: हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में हिसार विधानसभा हॉट सीट बन गई है. इसकी वजह भाजपा और कांग्रेस नहीं बल्कि उनके लिए चुनौती बने निर्दलीय उम्मीदवार हैं. भाजपा सांसद की मां और एशिया की सबसे अमीर महिला सावित्री जिंदल यहां स्वतंत्र प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं.

Haryana Elections: हरियाणा की हॉट सीट हिसार पर देश भर की निगाहें, 21 उम्मीदवारों के बीच सबसे ज्यादा निर्दलीय की चर्चा

Hisar Assembly Seat: हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं ने कई सीटों पर मुकाबले को बेहद दिलचस्प बना दिया है. बागी नेताओं ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में उतरकर खुद को ‘किंगमेकर’ बताते हुए जोरदार चुनाव-प्रचार शुरू किया हुआ है. ऐसे ही एक स्वतंत्र प्रत्याशी की वजह से हरियाणा विधानसभा चुनाव में हिसार हॉट सीट बन गई है. इस पर देश भर की निगाहें टिकी हैं.

हिसार में सावित्री जिंदल का आखिरी चुनाव वाला बड़ा दांव

हरियाणा की हिसार विधानसभा सीट पर सियासी किस्मत आजमा रहे कुल 21 उम्मीदवारों के बीच भाजपा और कांग्रेस से भी ज्यादा सुर्खियां एक निर्दलीय प्रत्याशी के हिस्से में आ रही हैं. हिसार के चुनावी मैदान में एशिया की सबसे अमीर महिला और ओपी जिंदल समूह की अध्यक्ष सावित्री जिंदल सबसे प्रमुख चेहरा बन गई हैं. 

74 साल की सावित्री जिंदल ने नामांकन पत्र भरने के बाद कहा था, ‘‘जिंदल परिवार ने हमेशा हिसार की सेवा की है. मैं जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने और उनके विश्वास को कायम रखने के लिए पूरी तरह समर्पित हूं. यह मेरा आखिरी चुनाव है और मैं हिसार की जनता के अधूरे कामों को पूरा करने का मौका चाहती हूं.’’

क्यों निर्दलीय लड़ रहीं भाजपा सांसद की मां सावित्री जिंदल?

हिसार सीट से साल 2005 और 2009 में सावित्री जिंदल कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर विधायक चुनी जा चुकी हैं. साल 2013 में उन्हें मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने मंत्री भी बनाया था. हालांकि, अपने बेटे नवीन जिंदल के भाजपा में शामिल होने के बाद सावित्री जिंदल ने भी कांग्रेस पार्टी से नाता तोड़ लिया था. हालांकि, उन्होंने अपने बेटे की तरह भाजपा में शामिल नहीं हुई थीं. इस बार भाजपा से उनको टिकट मिलने की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका. 

इसके बाद उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में हिसार सीट से ही चुनाव लड़ने का फैसला किया. बेटे नवीन जिंदल के कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से भाजपा सांसद होने के बावजूद खुद हिसार सीट से बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ने के बारे में पूछे जाने पर सावित्री जिंदल ने बताया कि वह आधिकारिक रूप से भाजपा में शामिल नहीं हुई थीं. उन्होंने बस लोकसभा चुनाव के दौरान अपने बेटे के लिए चुनाव प्रचार किया था.

हिसार में कौन हैं टॉप थ्री? भाजपा और कांग्रेस की बढ़ी चिंता

सावित्री जिंदल हरियाणा सरकार के मंत्री और हिसार से मौजूदा विधायक कमल गुप्ता के खिलाफ चुनाव लड़ रही हैं. हिसार विधानसभा सीट पर 21 प्रत्याशियों के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के करीबी, दो बार के विधायक और भाजपा उम्मीदवार डॉ. कमल गुप्ता के सामने लगातार तीसरी बार कमल खिलाने की चुनौती है. वहीं, हिसार में कांग्रेस के एक दशक से जारी सूखे को खत्म करने के लिए रामनिवास राड़ा मैदान में जोर लगा रहे हैं.

त्रिकोणीय लड़ाई को गौतम सरदाना ने बनाया चतुष्कोणीय

रिपोर्ट के मुताबिक हरियाणा की हॉट सीट हिसार में असल मुकाबला सावित्री जिंदल, कमल गुप्ता और रामनिवास राड़ा के बीच ही होगा. हालांकि, इस त्रिकोणीय लड़ाई को पूर्व मेयर गौतम सरदाना ने निर्दलीय उतर कर लगभग चतुष्कोणीय बना दिया है. इससे मुकाबले में हार-जीत का अंतर बेहद कम हो जाएगा. हालांकि, कांग्रेस ने सैनी समाज के प्रत्याशी पर एक बार फिर दांव खेला है, लेकिन जिंदल घराने के लिए यह चुनाव अस्तित्व की लड़ाई बन गया है.

सावित्री जिंदल के नाम हिसार में सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड

हिसार की राजनीति के जानकारों का मानना है कि इस विधानसभा सीट पर सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड सावित्री जिंदल के नाम ही है. वह 2014 में कमल गुप्ता से मिली हार का बदला लेने के लिए भी इस बार मैदान में उतरी हैं. छह चुनाव में से पांच बार जीत दर्ज करने वाले जिंदल परिवार का हिसार में बड़ा सियासी रसूख है. वहीं, संघ की मदद से टिकट बचाने में सफल रहे कमल गुप्ता के लिए भाजपा के बागी मुश्किल खड़ी कर रहे हैं.

सावित्री जिंदल और गौतम सरदाना को भाजपा के ही 'असंतुष्ट'

हिसार में सावित्री जिंदल और गौतम सरदाना को भाजपा का ही असंतुष्ट बताया जा रहा है. साल 2014 के चुनाव में सावित्री जिंदल से महज 500-600 वोटों के अंतर से गौतम तीसरे नंबर पर थे. उनकी उम्मीदवारी के चलते कमल गुप्ता, सावित्री या राड़ा को पंजाबी समाज का वोट जरूर कम हो जाएगा. वहीं, कांग्रेस सांसद कुमारी सैलजा के करीबी रामनिवास राड़ा के ओबीसी वोटों को एकजुट करने में उनकी पार्टी के असंतुष्ट व्यापार मंडल के प्रांतीय अध्यक्ष बजरंग गर्ग को साथ लेकर चलने की बड़ी चुनौती है.

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हिसार में जीत तय करते हैं वैश्य, ब्राह्मण और पंजाबी वोटर्स

हिसार शहर में सबसे अधिक करीब 30 हजार वैश्य, 24 हजार पंजाबी, 17 हजार सैनी, 13 हजार जाट और लगभग 10 हजार ब्राह्मण मतदाता हैं. कहा जाता है कि वैश्य समाज का वोट निर्णायक होता है. वैश्य मतदाताओं ही जीत का सेहरा सजाते हैं. वैश्य के साथ पंजाबी और ब्राह्मण मतदाता मिलने के समीकरण से जीत का अंतर और बड़ा हो जाता है. हालांकि, जीत के समीकरण में जाट और अनुसूचित वर्ग के वोट की भूमिका भी होती है. साल 1951 से अब तक हिसार विधानसभा सीट पर 17 बार चुनाव हुए हैं. इनमें 14 बार वैश्य, दो बार पंजाबी और एक बार सैनी उम्मीदवार को जीत मिली है.

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हरियाणा चुनाव में 5 अक्टूबर को मतदान, 8 अक्टूबर को नतीजे 

हरियाणा विधानसभा की कुल 90 सीटों के लिए चुनाव में पांच अक्टूबर को मतदान और 8 अक्टूबर को मतगणना होगी. पिछली बार 2019 में हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा को 40 और कांग्रेस को 31 सीटों पर जीत मिली थी. भाजपा ने दुष्यंत चौटाला की जेजेपी के साथ गठबंधन की सरकार बनाई थी. वहीं, साल 2014 के हरियाणा चुनाव में भाजपा ने अकेले दम पर बहुमत हासिल कर सरकार बनाई थी.

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