2024 Hottest Year in India: साल 2024 कई ऐतिहासिक पलों के लिए याद किया जाएगा. कुछ अच्छी तो कुछ बुरी यादों के साथ साल 2024 इतिहास के पन्नों में दर्ज हो चुका है. इस बीते साल को मौसम के लिए भी जाना जाएगा. खासकर भारत की बात करें तो यह साल हमारे देश के लिए 1901 के बाद से सबसे गर्म साल रहा. 2024 में भारत का औसत न्यूनतम तापमान दीर्घावधि औसत से 0.90 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा. 


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पुराने रिकॉर्ड टूटे..


साल 2024 भारत और पूरी दुनिया के लिए जलवायु परिवर्तन के खतरों की गंभीर चेतावनी भी लेकर आया. यह साल भारत में 1901 के बाद से सबसे गर्म साल के रूप में दर्ज किया गया. औसत तापमान ने पुराने रिकॉर्ड को तोड़ दिया और वैश्विक स्तर पर भी तापमान खतरनाक स्तर तक बढ़ा.


भारत में 2024 का तापमान क्यों था असामान्य?


भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने बताया कि 2024 में भारत का औसत न्यूनतम तापमान दीर्घकालिक औसत से 0.90 डिग्री सेल्सियस अधिक था. पूरे देश में वार्षिक औसत भूमि सतही वायु तापमान सामान्य से 0.65 डिग्री सेल्सियस ज्यादा रहा. यह आंकड़े बताते हैं कि भारत ने 2016 का रिकॉर्ड तोड़ दिया.. जब औसत तापमान सामान्य से 0.54 डिग्री सेल्सियस अधिक था.


ग्लोबल वॉर्मिंग का असर


भारत ही नहीं.. बल्कि पूरी दुनिया में तापमान खतरनाक स्तर तक बढ़ा. यूरोपीय जलवायु एजेंसी ‘कोपरनिकस’ ने कहा कि 2024 संभवतः अब तक का सबसे गर्म साल होगा. यह पहला साल हो सकता है जब वैश्विक औसत तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक हो. यह स्तर पेरिस जलवायु समझौते में तय सीमा के बेहद करीब है. जो जलवायु परिवर्तन के खतरों को और बढ़ा सकता है.


गर्मी के कारण बढ़ा संकट


2024 की असाधारण गर्मी ने न केवल पर्यावरण बल्कि लोगों के जीवन पर भी गहरा असर डाला...


कृषि पर असर- फसलें समय से पहले सूखने लगीं, जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ.
जल संकट- गर्मी के कारण जल स्रोत तेजी से सूखने लगे, जिससे कई क्षेत्रों में पानी की कमी हो गई.
स्वास्थ्य समस्याएं- अत्यधिक गर्मी ने हीटवेव जैसी समस्याओं को बढ़ा दिया, जिससे हजारों लोग बीमार पड़े.


क्या हैं बढ़ते तापमान के कारण?


जलवायु परिवर्तन: ग्रीनहाउस गैसों का बढ़ता स्तर ग्लोबल वॉर्मिंग का मुख्य कारण है.
एल नीनो प्रभाव: 2024 में एल नीनो प्रभाव के कारण भी तापमान में वृद्धि हुई.
मानव गतिविधियां: जंगलों की कटाई, कोयले और तेल का अत्यधिक उपयोग और बढ़ता शहरीकरण जलवायु परिवर्तन को और तेज कर रहा है.


भविष्य के लिए खतरा


एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर ग्लोबल वॉर्मिंग को रोकने के लिए तत्काल कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले वर्षों में स्थिति और खराब हो सकती है. तापमान बढ़ने से ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं, जिससे समुद्र का स्तर बढ़ रहा है. बाढ़, सूखा और चक्रवात जैसी आपदाएं अधिक आम होती जा रही हैं. कई वनस्पतियां और जीव इस बढ़ती गर्मी के कारण विलुप्त होने की कगार पर हैं.


क्या हो सकते हैं समाधान?


-सौर और पवन ऊर्जा का अधिक उपयोग करना.
-जंगलों को बचाना और बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण करना.
-उद्योगों और शहरीकरण में पर्यावरण के अनुकूल तकनीकों को अपनाना.
-भारत और दुनिया को इस दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे.


(एजेंसी इनपुट के साथ)