India-Europe Corridor: बिजली, डिजिटल कनेक्टिविटी और ट्रेड...कैसे व्यापार की सूरत बदल देगा जी20 वाला `बाहुबली` कॉरिडोर
What is India Middle East Europe Economic Corridor: जी-20 शिखर सम्मेलन से इतर अमेरिका, भारत, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपीय संघ के नेताओं ने नए इकोनॉमिक कॉरिडोर का संयुक्त रूप से ऐलान किया.
India G20 Summit: जी-20 सम्मेलन में जितनी चर्चा Delhi Declartion पर सहमति को लेकर हुई, उतनी ही इंडिया-वेस्ट एशिया-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर की भी हुई. इसे कई लोग चीन की बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट के ऑप्शन के तौर पर देख रहे हैं.
एक क्रांतिकारी प्रोजेक्ट साबित होगा, जिससे ग्लोबल ट्रेड को काफी बढ़ावा मिलेगा. यह बात कही है इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट प्रोमोशनल काउंसिल यानी ईईपीसी इंडिया ने. ईईपीसी इंडिया के चेयरमैन अरुण कुमार गरोडिया ने कहा, 'इस कॉरिडोर से ग्लोबल सप्लाई सीरीज में और ज्यादा लचीलापन आएगा. इस प्रोजेक्ट का मकसद भारत को समुद्र-बंदरगाहों के जरिए वेस्ट एशिया से यूरोप तक जोड़ना है.'
होगी माल की तुरंत सप्लाई
गरोडिया ने एक बयान में कहा कि यह महाद्वीपों में सामानों और सेवाओं की आवाजाही को एक नई परिभाषा देगा क्योंकि इससे रसद लागत में कमी आएगी और माल की तुरंत सप्लाई सुनिश्चित होगी. उन्होंने कहा कि भारत के इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट एरिया के लिए वेस्ट एशिया और यूरोप दोनों अहम बाजार हैं.
इस स्तर का ट्रांसपोर्ट बुनियादी ढांचा होने से ग्लोबल लेवल पर इसके कॉम्पिटिशन में काफी इजाफा होगा. गरोडिया ने कहा कि इस क्रांतिकारी प्रोजेक्ट में निवेश से आर्थिक गतिविधियों को काफी बढ़ावा मिलेगा और नौकरियां पैदा होंगी.
सबसे अहम बात यह है कि कार्बन एमीशन को कम करने में मदद मिलेगी. भारत ने अमेरिका और कई अहम अर्थव्यवस्थाओं के साथ 9 सितंबर को महत्वाकांक्षी इकोनॉमिक कॉरिडोर का ऐलान किया.
पीएम मोदी ने कॉन्टैक्ट की पहल को बढ़ावा देते हुए सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान पर जोर दिया. जी-20 शिखर सम्मेलन से इतर अमेरिका, भारत, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपीय संघ के नेताओं ने नए इकोनॉमिक कॉरिडोर की संयुक्त रूप से घोषणा की.
क्या हैं प्रोजेक्ट की खासियतें
इस पहल में दो अलग-अलग कॉरिडोर शामिल होंगे. पूर्वी कॉरिडोर जो भारत को वेस्ट एशिया से जोड़ता है और नॉर्थ कॉरिडोर जो वेस्ट एशिया को यूरोप से जोड़ता है।
इसमें एक रेल लाइन शामिल होगी जिसका कंस्ट्रक्शन पूरा होने पर यह साउथ ईस्ट एशिया से भारत होते हुए वेस्ट एशिया तक माल और सेवाओं के यातायात को बढ़ावा देने वाले मौजूदा मल्टी-मॉडल परिवहन मार्ग के पूरक के तौर पर एक भरोसेमंद और किफायती सीमा-पार जहाज-से-रेल ट्रांजिट नेटवर्क मुहैया कराएगी.
रेल रास्ते के अलावा सहयोगी देशों का इरादा बिजली और डिजिटल कनेक्टिविटी के लिए केबल बिछाने के साथ-साथ स्वच्छ हाइड्रोजन निर्यात के लिए पाइप बिछाने का है.यह कॉरिडोर रीजनल सप्लाई सीरीज को मजबूत कर व्यापार पहुंच बढ़ाएगा, व्यापार सुविधाओं में सुधार करेगा और पर्यावरणीय सामाजिक और सरकारी प्रभावों पर जोर को बढ़ावा देगा.