PM Narendra Modi- Vladimir Putin Latest Phone Conversation: रूस- यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध में पश्चिमी देशों के तमाम प्रयासों के बावजूद भारत अपने रुख पर अब तक अडिग है. वह युद्ध को तो मौजूदा दौर में गैर-जरूरी मानता है लेकिन अपने परखे हुए दोस्त रूस का किसी भी हाल में विरोध करने के लिए तैयार नहीं है. यह दोस्ती सोमवार को एक बार फिर उजागर हुई, जब जब पीएम नरेंद्र मोदी ने फोन पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात की. इस दौरान दोनों नेताओं ने रूस- यूक्रेन युद्ध, इजरायल- हमास युद्ध, गाजा में हूतियों के हमले समेत तमाम मुद्दों पर बात की. पीएम मोदी ने बाद में अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर पोस्ट कर इस बातचीत के बारे में जानकारी दी. 


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'राष्ट्रपति पुतिन से अच्छी बातचीत हुई'


उन्होंने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर लिखा, 'राष्ट्रपति पुतिन से अच्छी बातचीत हुई. हमने अपनी विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी में विभिन्न सकारात्मक विकासों पर चर्चा की और भविष्य की पहल के लिए एक रोडमैप तैयार करने पर सहमति व्यक्त की. हमने ब्रिक्स की रूस की अध्यक्षता सहित विभिन्न क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी उपयोगी विचारों का आदान-प्रदान किया.'



रूस के पास ब्रिक्स की अध्यक्षता


बताते चलें कि ब्रिक्स में पहले पांच देश ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल थे. लेकिन पिछले साल दक्षिण अफ्रीका में हुए ब्रिक्स सम्मेलन में 5 और देशों को इसकी मेंबरशिप दे दी गई और अब यह ब्रिक्स प्लस बन गया है. इस साल सम्मेलन की अध्यक्षता रूस के पास है. यह दुनिया की सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्थाओं का प्रभावशाली समूह है, जिसकी धमक अब दुनियाभर में महसूस की जा रही है. 


पश्चिम से दोस्ती लेकिन रूस की कीमत पर नहीं


बताते चलें कि चीन के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए भारत अमेरिका और पश्चिमी देशों से अपने रिश्ते मजबूत कर रहा है. लेकिन इस दोस्ती की वजह से वह अपने परखे हुए दोस्त रूस से भी संबंध कमजोर नहीं करना चाहता. इसीलिए पश्चिमी देशों के बावजूद भारत ने आज तक यूक्रेन युद्ध की वजह से रूस की आलोचना नहीं की है. यही नहीं, जी- 20 सम्मेलन की अपनी अध्यक्षता में पारित हुए प्रस्ताव में भारत ने रूस का नाम नहीं आने दिया था. इससे रूस वैश्विक जलालत से बच गया था. इसके बाद रूस भी भारत से दोस्ती मजबूत करने को लेकर ज्यादा गंभीर हो गया है.


जयशंकर के लिए तोड़ दिया था राजनयिक प्रोटोकॉल


उसकी यह चाहत तब दिखाई दी, जब हाल में विदेश मंत्री डॉक्टर जयशंकर ने रूस का दौरा किया था. इस दौरे में पुतिन ने जयशंकर से कहा कि वे अपने मित्र पीएम मोदी की रूस में आगवानी करने को इच्छुक हैं और उन्हें यहां आमंत्रित करना चाहते हैं. हालांकि वे जानते हैं कि भारत में चुनावी व्यस्ताओं की वजह से यह कार्यक्रम जल्दी बन पाना शायद संभव न हो. उन्होंने राजनयिक प्रोटोकॉल तोड़ते हुए विदेश मंत्री जयशंकर के साथ द्विपक्षीय बैठक भी की, जो रूस- भारत के बढ़ते रिश्तों की प्रतीक थी.