Submarine Launched Missile News: अपनी मिसाइल क्षमता को लगातार धार देने में लगे भारत को एक और सफलता मिली है. सूत्रों के मुताबिक भारत ने सबमरीन से दागी जाने वाली 3500 किमी तक की रेंज वाली मिसाइल का दूसरा परीक्षण किया है. इससे पहले यह परीक्षण जनवरी में भी किया गया था लेकिन इस परीक्षण के बाद माना जाता है कि मिसाइल उत्पादन के लिए तैयार है.


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K सीरीज की ये मिसाइलें भारत की पलटवार करने की ताकत को बढ़ाएंगी और न्यूक्लियर त्रिशूल यानि TRIAD को पूरा करेंगी. भारत पहले K सीरीज़ की K 15 या सागरिका को 2018 में तैयार करके भारत की पहली स्वदेशी न्यूक्लियर सबमरीन आईएनएस अरिहंत में लगाया जा चुका है.


K2 इस सीरीज़ की दूसरी मिसाइल है जिसकी रेंज 3500 किमी तक है. सूत्रों के मुताबिक K2 का पिछले हफ्ते दूसरा सफल परीक्षण किया गया है जिसके बाद ये मिसाइल उत्पादन के लिए तैयार मानी जा रही है.


K सीरीज की मिसाइलों को सबमरीन से फायर किया जाता है इसलिए इनके बारे में दुश्मन को सबसे कम जानकारी होगी. इन्हें बेहद खामोशी से समुद्र के अंदर कहीं भी ले जाया जा सकता है और दुश्मन पर अचूक वार किया जा सकता है.


K4 का वज़न 17 टन है और इसमें 2.5 टन का वारहेड लगाया जा सकता है. इसको पानी में 50 मीटर नीचे से फायर करने का सफल परीक्षण किया जा चुका है. इसकी रफ्तार 7.5 मैक यानि आवाज की रफ्तार से लगभग साढ़े सात गुना है. यानि दुश्मन के लिए इसे पता लगा पाना लगभग असंभव है और फायर हो जाने के बाद बचाव के लिए लगभग कोई समय नहीं मिलेगा.


K5 और K6 मिसाइलों को बनाने का काम शुरू
K सीरीज़ की मिसाइलों को खासतौर पर स्वदेशी अरिहंत क्लास की न्यूक्लियर सबमरीन के लिए बनाया जा रहा है. K4 के बाद के 5000 किमी तक मार करने वाली K5 और 10 से 12 हज़ार किमी तक मार करने वाली K6 मिसाइलों को बनाने का काम तेज़ी से शुरू है.


इन मिसाइलों के बाद रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत चौथा ऐसा देश बन जाएगा जिसके पास सबमरीन से फ़ायर होने वाली अंतर्महाद्वीपीय मिसाइलें हैं.


पहली स्वदेशी न्यूक्लियर सबमरीन आईएनएस अरिहंत नौसेना में शामिल हो चुकी है और उसमें K15 लगाई जा चुकी है. इस क्लास की दूसरी सबमरीन अरिघात को 2017 में समुद्र में उतारा गया और अभी वह परीक्षणों के अंतिम दौर में है. इस क्लास की दो और सबमरीन बनाई जानी हैं जो इन दोनों से ज्यादा बड़ी होंगी.


(फोटो - फाइल)