नई दिल्ली: दुनिया के नक्शे पर वार और पलटवार में जुटे ईरान-अमेरिका के साथ-साथ पूरी दुनिया में टेंशन हाई है. ऐसे में इराक ने भी अपने दोस्तों की तरफ देखना शुरू कर दिया है. भारत में ईरान के राजदूत अली चेगेनी ने के मुताबिक अमेरिका के साथ तनाव कम करने में अगर भारत की तरफ से कदम उठाया जाता है तो ईरान उसका स्वागत करेगा. भारत में ईरान के राजदूत अली चेगेनी ने ट्विटर पर लिखा है 'हम युद्ध नहीं चाहते हैं, हम क्षेत्र में सभी लोगों के लिए शांति और समृद्धि चाहते हैं. हम भारत के किसी भी कदम और परियोजना का स्वागत करते हैं जो दुनिया में शांति और समृद्धि लाने में मददगार हो.'


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अमेरिका और ईरान के बीच छिड़ी लड़ाई को कई लोग तीसरे विश्वयुद्ध की आहट की तरह भी देख रहे हैं. ऐसे में ईरान का मानना है कि दुनिया में शांति बनाए रखने में भारत की अहम भूमिका रहती है. हालांकि अमेरिका और ईरान में तनाव बढ़ने से कच्चे तेल की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं.


महंगाई और बेरोजगारी बढ़ने का खतरा
भारत की अर्थव्यवस्था पर भी इसका असर पड़ेगा. महंगाई और बेरोजगारी बढ़ने का भी खतरा है. इसके अलावा करोड़ों डॉलर का भारत का कारोबार ईरान से होता है. ऐसे में ईरान की तरफ से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता. हालंकि अमेरिका के साथ भी भारत के रिश्ते अच्छे हैं. ऐसे में भारत किसे चुनेगा ये बड़ा सवाल है. जाहिर है ऐसे में भारत की कोशिश दोनों देशों को समझाने की और पश्चिम एशिया में शांति कायम करने की होगी. वहीं इस बीच टर्की ने भी ईरान और अमेरिका के बीच मध्यस्ता की कोशिश की बात कही है.


आपको बता दें दरअसल सुलेमानी की हत्या के बाद और ईरान पर फिर से अमेरिका के हमले के बाद ये संभावना और प्रबल हो गई हैं. ऐसे में आपको ये समझना चाहिए कि आने वाले दिनों अगर युद्ध होता है तो कौन देश किसका साथ देंगे. हमला होने के बाद कई देश ईरान के पक्ष में हैं. इनमें सबसे पहले नाम रुस का है जो ईरान का दोस्त है. रुस ने इस कार्रवाई को अवैध बताता है.


रूस के विदेश मंत्री ने कहा- अमेरिका का ईरान पर हमला 'अवैध' है
रूस के विदेश मंत्री ने कहा है कि अमेरिका का ईरान पर हमला 'अवैध' है. आपको याद होगा कि अमेरिकी हमले में मारे गए कासिम सुलेमानी ने अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद जुलाई 2015 को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की थी. मतलब साफ है कि रुस ईरान के साथ जाएगा. इसके बाद चीन भी अमेरिका


के खिलाफ ईरान का साथ देगा क्योंकि चीन ने साफ तौर हमले पर जिंता जताते हुए कहा है कि अमेरिका संयम बरतें.  इसके अलावा यमन, लेबनन, सीरिया और फिलीस्तीन भी ईरान का साथ दे रहे हैं. वहीं ईरान पर इस हमले के बाद अमेरिका का साथ दे रहे हैं इंग्लैंड, फ्रांस, इज़रायल, सऊदी अरब, जॉर्डन और यूएई डोनल्ड ट्रंप के साथ हैं. कई देश ट्रंप के हमले के फैसले से खुश नहीं है लेकिन अगर युद्ध हुआ तो ये अमेरिका का साथ देंगे. क्योंकि इनमें से कई देश पश्चिम एशिया में ईरान का वर्चस्व कम होते हुए देखना चाहते हैं.