नई दिल्ली: सेना दिवस के मौके पर भारतीय सेना (Indian Army) ने अपने भविष्य के हथियार का प्रदर्शन कर ये घोषणा कर दी है कि अब वो 21वीं सदी के युद्ध के लिए तैयार है. दिल्ली छावनी के सेना परेड ग्राउंड में 75 ड्रोनों (Drone) को एक साथ लॉन्च करते हुए सेना ने ना सिर्फ दुश्मन के महत्वपूर्ण निशानों को तबाह किया, बल्कि अपने सैनिकों के लिए जरूरी साजो-सामान भी पहुंचाया. ये भविष्य के युद्ध की एक झलक है. 


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स्वार्म ड्रोन ऑपरेशन (Swarm Drone Operation), अपने सैनिकों को खतरे में डाले बिना दुश्मन को तबाह करने की क्षमता है. भारतीय सेना ने पिछले साल अगस्त में इस तकनीक पर काम करना शुरू किया था. इसे बनाने में निजी कंपनियों के अलावा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) एक्सपर्ट्स की भी मदद ली गई. बताते चलें कि भारतीय सेना इस समय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), क्वांटम तकनीक, रोबोटिक्स, क्लाउड कंप्यूटिंग, एल्गोरिदम वेलफेयर जैसी सबसे नई तकनीकों पर सबसे ज्यादा खर्च कर रही है. इस तरह की नई तकनीकों के लिए सेना ने बड़ी तादाद में स्टार्ट अप कंपनियों, वैज्ञानिकों, छोटी निजी कंपनियों के अलावा DRDO के साथ पिछले साल से ही काम करना शुरू कर दिया था.


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क्या है Swarm Drone Operation?


इस ऑपरेशन के तहत बहुत बड़ी तादाद में ड्रोन लॉन्च किए जाते हैं और हर ड्रोन का अपना अलग टार्गेट या काम होता है. बड़ी तादाद में ड्रोन को लॉन्च करने से इनको रोक पाना आम तरीकों से संभव नहीं हो पाता है. इनके जरिए दुश्मन के एयर डिफेंस के मोर्चे, टैंकों के ठिकाने, रडार स्टेशन, एयरपोर्ट जैसे महत्वपूर्ण ठिकानों को तबाह किया जा सकता है. इनके जरिए दूर इलाकों में या दुश्मन से घिरे अपने सैनिकों के लिए जरूरी साजो सामान भी पहुंचाया जा सकता है. बहुत कम समय में और अपने सैनिकों को खतरे में डाले बगैर.


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युद्ध में तेजी से बढ़ रहा Drone का इस्तेमाल


गौरतलब है कि ड्रोन का इस्तेमाल मौजूदा समय के युद्ध में तेजी से बढ़ रहा है. चीन ने पिछले साल अक्टूबर में स्वार्म ड्रोन से ऑपरेशन करने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया था. इस प्रदर्शन में उसने ट्रक पर लगे लॉन्चर के जरिए 200 ड्रोन लॉन्च किए थे, जो कि दुश्मन पर हमला करने के लिए प्रोग्राम किए गए थे. हाल ही में चीन से लिए गए ड्रोन का इस्तेमाल करके पाकिस्तान की तरफ से भारतीय सीमा में आतंकवादियों तक हथियार पहुंचाने की कई घटनाएं हुई हैं. इस सेना दिवस पर भारतीय सेना ने भी अपनी क्षमता का प्रदर्शन करके ये बता दिया कि इस तकनीक पर अब भारतीय सेना ने महारत हासिल कर ली है.


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