खबर है कि, केंद्र सरकार के कर्मचारियों और वर्कर्स के संगठन (Association of Employees Confederation of Central Government Employees and Workers) ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के सामने मौजूदा सरकारी खजाने का लेखा-जोखा रखा है, और वित्त मंत्री से गुजारिश की है कि अब सभी सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स को वर्तमान महंगाई दर 28 परसेंट के हिसाब से महंगाई भत्ता दिया जाए. एसोसिएशन ने कहा कि कोविड के दौरान केंद्र सरकार के कर्मचारियों ने पूरे समर्पण के साथ काम किया. ड्यूटी के दौरान कई कर्मचारियों की जान भी चली गई. इन सबको ध्यान में रखते हुए वित्त मंत्री को सभी कर्मचारियों और पेंशनरों को उनका जनवरी 2020 से बकाया महंगाई भत्ता और महंगाई राहत 28 परसेंट की दर से दें.
दरअसल, अप्रैल 2020 में वित्त मंत्रालय ने इन केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनरों को मिलने वाले महंगाई भत्ता और महंगाई राहत रोक दिया था. सरकार ने कोरोना संक्रमण के कारण बने मुश्किल हालातों को देखते हुए यह निर्णय लिया था. सरकार ने जुलाई 2021 तक के लिए इस पर रोक लगाई थी. लेकिन अब उम्मीद की जा रही है कि ये भत्ते जुलाई से दिए जा सकते हैं.
कोरोना के दौरान जो औद्योगिक उत्पादन माइनस 57 परसेंट पर चल गया था, अक्टूबर में ये 3.6 परसेंट बढ़ा. साथ ही GST कलेक्शन मार्च 2020 में 97,597 करोड़ रुपये के मुकाबले दिसंबर में 2020 में 1,15,000 करोड़ रुपये पहुंचने से भी हालात सुधरे हैं, इसी का हवाला एसोसिएशन ने सरकार को दिया और कहा कि महंगाई भत्ता और महंगाई राहत अभी दें, इसके लिए जुलाई 2021 तक का इंतजार करें.
कोरोना महामारी संकट को देखते हुए सरकार ने 1 जनवरी 2020 से केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनर्स को मिलने वाले अतिरिक्त भत्ते को रोक दिया था. व्यय विभाग ने एक मेमोरेंडम में बताया कि 1 जुलाई 2020 और 1 जनवरी 2021 से मिलने वाले भत्ते की अगली किस्त भी नहीं दिए जाएगी. हालांकि मौजूदा दरों पर DA, DR का भुगतान होता रहेगा. केंद्र सरकार ने की कैबिनेट ने अपने कर्मचारियों के DA में 4 परसेंट बढ़ोतरी को मंजूरी दी थी, जो 17 परसेंट से बढ़ाकर 21 परसेंट कर दी गई थी.
न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक केंद्र सरकार के कर्मचारियों के महंगाई भत्ते और महंगाई राहत की किस्त रोकने पर साल 2021-22 और इसके पहले के वित्त वर्षों में संयुक्त रूप से ये बचत 37,530 करो़ड़ रुपये होगी. PTI के मुताबिक राज्य सरकार आमतौर पर केंद्र के आदेश पर ही चलते हैं. एक अनुमान है कि DA, DR की किस्त रोकने पर राज्य सरकारों को 82,566 करोड़ रुपये की बचत होगी.
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