Indian Navy Hindi News: पीओके सीमा पर सिर्फ पाकिस्तान को भय है. पर रूस से आई एक खबर को सुनकर चीन को भी जरूर चिंता होगी. असल में भारतीय नौसेना को दो घातक युद्धपोत रूस से मिलने वाले हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से इन जहाजों की डिलीवरी में देरी हो चुकी है. पर अब रूस पर प्रतिबंध के बावजूद मोदी-पुतिन ने मिलकर नया रास्ता निकाल लिया है. अगले कुछ महीनों में भारत को युद्धपोत मिलने की शुरुआत होने वाली है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

सुपरसोनिक मिसाइलों से लैस होंगे युद्धपोत


ये युद्धपोत समंदर की लहर से लेकर आसमान और यहां तक कि पानी के नीचे भी दुश्मनों को खत्म कर देगा. यानी ऐसा एक युद्धपोत समंदर में 10 दुश्मनों को टक्कर दे सकता है. ये युद्धपोत समंदर में पानी के नीचे और हवा में मौजूद दुश्मनों को बर्बाद करने के लिए सुपरसोनिक मिसाइल से लैस है. साथ ही लंबी दूरी तक नज़र रखने वाले राडार, सेंसर्स और सोनार के अलावा अचूक हथियारों भी होंगे. 


ये तलवार क्लास के युद्धपोत हैं. फिलहाल दो जहाज रूस से आ रहे हैं और रूस की मदद से दो युद्धपोत भारत में बन रहे हैं. सबसे पहले इस लड़ाकू जहाज की खूबियां जान लीजिए. गन और मिसाइलों से लैस ये चलती-फिरती किसी युद्धक मशीन जैसा है. दुश्मनों का मुकाबला करने के लिए इसमें इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम मौजूद है. पनडुब्बियों का शिकार करने के लिए ये टॉरपीडो और एंटी सबमरीन रॉकेट से लैस है. स्टील्थ की खूबियां होने की वजह से ये युद्धपोत राडार को भी धोखा दे सकता है.


पनडुब्बियों को ढूंढकर मारेंगे हेलीकॉप्टर


इस युद्धपोत पर एक हेलीकॉप्टर रखने की जगह भी है. अक्सर इसमें पनडुब्बियों का पता लगाने वाले हेलीकॉप्टर रखे जाते हैं, जो समंदर में छिपे दुश्मनों का पता लगा लेते हैं. करीब 125 मीटर लंबा ये युद्धपोत समंदर में 30 दिनों तक नॉनस्टॉप गश्त लगा सकता है. लगभग 4 हजार टन वजनी ये जहाज बिना रिफ्यूलिंग के 9 हजार किलोमीटर तक की दूरी तय कर सकता है.


इसका मुख्य हथियार है ब्रह्मोस मिसाइल, जो 450 किलोमीटर तक हमला कर सकती है. ब्रह्मोस दुनिया की सबसे तेज़ और हल्की सुपर सोनिक मिसाइलों में से एक है. इसकी मदद से खुद को खतरे में डाले बिना दुश्मन के बड़े ठिकानों और उसके जंगी जहाज़ों पर घातक हमला किया जा सकता है. इस मिसाइल का जबरदस्त निशाना, बचने की काबिलियत, सुपरसोनिक रफ्तार और शानदार रेंज इसे खतरनाक हथियार बनाती है. 


एयर डिफेंस के लिए हैं डबल इंतजाम


इस युद्धपोत का दूसरा सबसे घातक वेपन है जमीन से हवा में हमला करने वाला सिस्टम, जिसकी मदद से ये खुद को हवाई हमलों से बचा सकता है. इस हथियार का नाम है स्तिल-1. जहाज में डेक के ठीक नीचे 24 मिसाइलें लगी होती हैं. 45 किलोमीटर तक वार करने में सक्षम ये मिसाइल हवा में किसी भी लक्ष्य को निशाना बना सकती हैं. अगर इसके बावजूद कोई मिसाइल या हवाई जहाज युद्धपोत के करीब आ जाए तो उसपर भरपूर गोलियां बरसाने की तैयारी मौजूद है.


अंतिम एयर डिफेंस सिस्टम है काश्तान. तेज रफ्तार से गोलियां बरसाने वाली गन और छोटी दूरी के रॉकेट से लैस ये सिस्टम पूरी तरह से ऑटोमैटिक है. राडार की मदद से अपने आप दुश्मनों को ढूंढ कर उसपर उनका सर्वनाश कर देता है. इसकी मदद से हर मिनट में 10 हजार राउंड गोलियां फायर की जा सकती हैं. कहा जाता है कि ये किसी मिसाइल, छोटी बोट या फिर ड्रोन को भी हवा में ही ध्वस्त कर सकता है.


रडार की पकड़ में नहीं आ सकता जहाज


तलवार युद्धपोत के सामने के हिस्से में मौजूद ये गन किसी दूसरे जहाज या फिर समंदर किनारे मौजूद लक्ष्य पर निशाना लगा सकती है. ये गन 15 किलोमीटर की दूरी तक 1 मिनट में 60 गोले दाग सकता है. जहाज की स्टील्थ की खूबियां नेवल गन के सिस्टम में भी है यानी ये शिप को राडार से बचा सकता है. मतलब समंदर में इस युद्धपोत को दुश्मन के राडार आसानी से नहीं ढूंढ सकते हैं.


पानी के ऊपर मौजूद दुश्मनों के साथ पानी के नीचे छिपकर अटैक करने वालों का इलाज भी यहां मौजूद है. शिप में एंटी सबमरीन रॉकेट लॉन्चर है. ये 600 मीटर से लेकर 4 किलोमीटर तक दुश्मन के जहाजों और पानी के नीचे 1 किलोमीटर की गहराई में छिपी पनडुब्बियों को नष्ट कर सकता है. इस युद्धपोत का सोनार भी बेहतर है. सोनार की मदद से दुश्मन की पनडुब्बियों का पता लगाया जाता है. ये अपने आसपास किसी सबमरीन की आहट ज़्यादा बेहतर ढंग से सुन सकता है.


सितंबर में भारत पहुंचेगा पहला युद्धपोत


फिलहाल तलवार क्लास का पहला युद्धपोत इसी साल सितंबर महीने और दूसरा अगले साल की शुरुआत में भारत आ सकता है. रूस से खरीदे गए 6 युद्धपोत भारत के पास पहले से मौजूद हैं. जिसमें 3 तलवार क्लास और 3 तेग क्लास के हैं. अब तक इस श्रेणी के कुछ युद्धपोत रूसी नौसेना में भी शामिल हुए हैं


समुद्र में दुश्मन का वार बचने का मौका नहीं देता. पर जल्द ही भारत समंदर में दुश्मन की किसी भी नापाक चाल का जवाब देने के लिए और ज्यादा तैयार होगा क्योंकि भारत के पास जो हथियार आएगा वो दुश्मन के लिए साक्षात यमराज जैसा होगा. इस डील ने भारत-रूस की दोस्ती की भी परीक्षा ली है..रूस पर अमेरिका के प्रतिबंध लगे हुए हैं और भारत ने इसकी काट ढूंढकर युद्धपोत लाने का फैसला किया है. हालांकि ये पहला मौका नहीं है भारत-रूस की दोस्ती इससे पहले भी कई मौके पर अपनी परीक्षा दे चुकी है.


भारत ने रूस से खरीदा एस-400 डिफेंस सिस्टम


इससे पहले 2016 में भारत ने रूस से एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम के लिए डील की थी. दोनों देशों के बीच एस-400 के 5 रेजिमेंट के लिए 5.4 बिलियन डॉलर का समझौता हुआ था. उस समय भारत ने अमेरिकी प्रतिबंधों का डर होने के बाद भी रूस से डील की थी. अमेरिका ने तब रूस से हथियार खरीदने वाले देशों पर बैन लगाने का कानून बनाया था. हालांकि अमेरिका ने भारत पर ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं लगाने का फैसला किया था.


भारतीय नौसेना के लिए ऐसे युद्धपोत तेज रफ्तार से शामिल करने की जरूरत क्यों हैं, ये जानने के लिए आपको समंदर में भारत की सबसे बड़ी चिंता बताते हैं. हिंद महासागर में पिछले कुछ सालों से चीन के युद्धपोत और पनडुब्बियों को अक्सर देखा जाता है. उनका मुकाबला करने के लिए हमें अपनी नौसैनिक ताकत और भी ज्यादा बढ़ाने की जरूरत है. चीन के पास दुनिया की सबसे ज्यादा पनडुब्बियों और युद्धपोतों का बेड़ा है. 


समुद्र में चीन का ऐसे इलाज कर रहा भारत


ऐसे में भारत ने चीन का इलाज करने के लिए पनडुब्बियों को ढूंढकर डुबो देने वाले युद्धपोतों और हेलीकॉप्टरों की खरीद बढ़ा दी है. जिससे ड्रैगन को करारा जवाब दिया जा सके. भारत की इन रक्षा तैयारियों से चीन हैरान-परेशान है. अमेरिका को पीछे छोड़कर दुनिया की महाशक्ति बनने की सोच रहे चीन को समझ नहीं आ रहा है कि वह भारत को रोकने के लिए क्या करे. वहीं भारत ने भी साफ कर दिया है कि अब वह 1962 वाला भारत नहीं है. अगर उस पर हमला हुआ तो वह दुश्मन को धूल चटाने में कोई देर नहीं करेगा.