Indian spices row: भारतीय मसालों को लेकर कई देशों में सवाल उठाए जाने के बाद सरकार ऐक्शन मोड में हैं. भारत से निर्यात होने वाले मसालों में कैंसरकारी रसायन ईटीओ (एथिलीन ऑक्साइड) से जुड़ी शिकायतों को दूर करने के लिए कई ठोस कदम उठाए गए हैं. शिकायत सामने आने के बाद भारतीय मसालों के निर्यात को वैश्विक जांच का सामना करना पड़ रहा है. इसके साथ ही भारतीय मसालों को लेकर वाणिज्य मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि इसका रिजेक्शन रेट बेहद कम है. सैंपल्स की विफलता भी कम है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

एमडीएच और एवरेस्ट के मसालों पर सवाल


सरकार की तरफ से कहा गया है कि भारतीय मसालों में कैंसरकारी रसायन ईटीओ (एथिलीन ऑक्साइड) के संदूषण को रोकने के लिए कई कदम उठाए गए हैं. भारतीय ब्रांड एमडीएच और एवरेस्ट के कुछ मसालों में ईटीओ अवशेषों की मौजूदगी के कारण सिंगापुर और हांगकांग में दो भारतीय मसाला ब्रांड के उत्पादों को वापस मंगाने की रिपोर्ट मिलने के बाद ये कदम उठाए गए. 


सरकार ने उठाए कई कदम


वाणिज्य मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव अमरदीप सिंह भाटिया ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘मसाला बोर्ड ने इन क्षेत्रों में भारतीय मसाला निर्यात की सुरक्षा और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए हैं.’ बोर्ड ने इन दोनों देशों को भेजी जाने वाली ऐसी निर्यात खेपों का परीक्षण करना अनिवार्य कर दिया है. एक तकनीकी-वैज्ञानिक समिति ने मूल कारण विश्लेषण भी किया है, प्रसंस्करण सुविधाओं का निरीक्षण किया है, और मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं में परीक्षण के लिए नमूने एकत्र किए हैं. 


सिंगापुर और हांगकांग ने उठाया मुद्दा


उन्होंने कहा, ‘समिति की सिफारिशों के जवाब में, सात मई, 2024 से सिंगापुर और हांगकांग के लिए सभी मसाला खेप के लिए ईटीओ अवशेषों के अनिवार्य नमूनाकरण और परीक्षण को लागू किया गया है.’ उन्होंने कहा कि सभी निर्यातकों के लिए ईटीओ उपचार के दिशानिर्देश भी दोहराए गए हैं. उन्होंने कहा कि भारत ने ईटीओ के उपयोग की सीमा तय करने के लिए कोडेक्स समिति के समक्ष भी मामला उठाया है क्योंकि विभिन्न देशों की सीमाएं अलग-अलग हैं. 


ईटीओ परीक्षण के लिए कोई मानक नहीं


इसके अलावा, ईटीओ परीक्षण के लिए कोई मानक नहीं है. भारत ने इसके लिए प्रस्ताव दिया है. मसालों और पाक जड़ी-बूटियों के लिए विश्वव्यापी मानकों को विकसित और विस्तारित करने और मानक विकास प्रक्रिया में अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ परामर्श करने के लिए, सीसीएससीएच (मसालों और पाक जड़ी-बूटियों पर कोडेक्स समिति) का गठन वर्ष 2013 में 100 से अधिक देशों के समर्थन से किया गया था. खाद्य उत्पादों में कुछ हद तक नमूनों की विफलता होती रहती है और भारत में नमूना विफलता एक प्रतिशत से भी कम है. 


सरकार ने जारी की गाइडलाइन


इन वस्तुओं पर कुछ देशों द्वारा गुणवत्ता संबंधी चिंताएं जताए जाने के बीच मसाला बोर्ड ने भारत से भेजे जाने वाले उत्पादों में एथिलीन ऑक्साइड संदूषण को रोकने के लिए निर्यातकों के लिए व्यापक दिशानिर्देश जारी किए हैं. वर्ष 2023-24 में, भारत का मसाला निर्यात कुल 4.25 अरब डॉलर का था, जो वैश्विक मसाला निर्यात का 12 प्रतिशत है. भारत से निर्यात किए जाने वाले प्रमुख मसालों में मिर्च पाउडर शामिल है, जो 1.3 अरब डॉलर के निर्यात के साथ सूची में सबसे ऊपर है. इसके बाद जीरा 55 करोड़ डॉलर, हल्दी 22 करोड़ डॉलर, इलायची 13 करोड़ डॉलर, मिश्रित मसाले 11 करोड़ डॉलर आदि शामिल हैं. अन्य उल्लेखनीय निर्यात होने वाले मसालेां में हींग, केसर, सौंफ, जायफल, जावित्री, लौंग और दालचीनी हैं.


(एजेंसी इनपुट के साथ)