श्रीनगर : 14500 फ़ीट की ऊंचाई पर स्‍थ‍ित बीएसएफ की फॉरवर्ड पोस्ट के जवान दिन रात नियंत्रण रेखा की सुरक्षा में जुटे दिख रहे है. बेस कैंप से नियंत्रण रेखा तक जाने वाले रस्ते को देख सांस थम जाती है. 8 से 15 फ़ीट की बर्फ और तापमान शून्य से 15 डिग्री नीचे. मगर ऐसे में भी यह जवान हथियारों से लैस अपनी जान की परवाह किये बिना दिन रात देश की सीमाओं को सुरक्षित रखने की लिए पेट्रोल करते रहते हैं. इन्होंने दुश्मन को यह सन्देश दिया कि जगह और परिस्थितियां कुछ भी हों तिरंगा हमेशा ऊँचा रहेगा.


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पेट्रोलिंग के दौरान इन जवानों के साथ उनके अटल इरादे और बुलंद हौसले तो होते ही हैं. बीएसएफ अधिकारी विजय कुमार जो पेट्रोलिंग इंचार्ज हैं बताते हैं "बीएसएफ 26 जनवरी ही नहीं हर दिन अपनी तैयारी पूरी रखती है. इस दिन थोड़ा ज्‍यादा अलर्ट होना पड़ता है. वैसे हर दिन हर रात पेट्रोलिंग होती है ताकि कोई भी गलत हरकत पाकिस्तान की तरफ से ना हो उसका मुंह तोड़ जवाब देने के लिए हम हर तैयार हैं. हर किस्‍म के हथियार से हम लैस हैं.


नियंत्रण रेखा पर पेट्रोल करने के साथ-साथ बर्फ के मोर्चे भी बनाए जाते हैं. ताकि उनमें रहकर दुश्मन पर नज़र बनी रहे. यह बर्फ के ट्रैंच 6-7 फ़ीट बर्फ के होते हैं. इनमें जवान एक खास किस्‍म की सफ़ेद जैकेट और टोपी पहने 24 घण्टे तैनात रहता है. ताकि घुसपैठिए उसे देख ना सकें. जैसे ही घुसपैठिया नज़दीक आता है उसे यह जवान डेर कर देता है.


ड्यूटी दे रहे जवान भारत सिंह कहते हैं" यहां पर ड्यूटी इसलिए देते हैं सीमा पार से घुसपैठ को रोकने के लिए, कोई यहां ना आये देश की सुरक्षा के लिए हम यहाँ दिन रात ड्यूटी देते हैं. इस जैकेट का रंग भी सफ़ेद है और बर्फ का रंग भी सफ़ेद है अगर यह जैकेट पहन कर बर्फ ड्यूटी देते हैं तो दुश्मन हमें आसानी से देख नहीं पाता है. मुश्‍क‍िल तो बहुत है. रास्‍ते बंद होते हैं."


पेट्रोल का नेतृत्व कर रहे ब्रिज किशोर त्यागी कहते है "आज देश 26 जनवरी मना रहा है. हम ने भी अपने कैंप से राष्ट्रध्‍वज साथ लिया ताकि दुश्मन भी हमारे तिरंगे को भी ऊँचा देखे और समझ लें क‍ि भारतीय सेना एलओसी पर भी तिरंगा लहरा रही है. हमारे साथ देश की जनता की दुआ हैं.


नियंत्रण रेखा के मौसम का कोई भरोसा नहीं रहता है , एक पल में धूप मिलती है तो दूसरे पल बर्फ देखने को मिलती है. बर्फीले तूफ़ान चलते हैं जिनसे हिमस्खलन का खतरा 24 घण्टे बना रहता हैं. यहाँ इन जवानों को अपने पैरों से बर्फ में रास्ता बनाना पड़ता है तब आगे बड़ा जाता है , इस मौसम में यहाँ 8-15 फ़ीट तक बर्फ रहती है. उस पर तापमान शून्य से ऊपर आता ही नहीं है , जो रास्ता बना होता है वापसी पर बांध हो चूका होता है लेकिन इन जवाओं को दुश्मन के इलेवन मौसम और सिथिति के प्रहारों से भी बचने के लिए ट्रेनिंग दी जाती है।


26 जनवरी के दिवस पर पेट्रोल दल ने जहाँ अपनी ड्यूटी भी पूरी की वही इन खामोश बर्फीली पहाड़ियों में राष्ट्रगान भी गूंजा, तिरंगा लहराकर उसे सलामी भी दी और इन पहाड़ों से दुश्मन को संदेश दिया कि यह देश उन हाथों में है जो इसे अपनी जान देकर भी सुरक्षित रखेंगे.