DNA Analysis: किसी व्यक्ति के लिये परीक्षा की सबसे कठिन घड़ी तब होती है जब उसे कोई दो प्रिय चीजों में से किसी एक को चुनने को कहा जाए. किसे छोड़ें और किसे पकड़ें. ये जीवन की शायद सबसे बड़ी उधेड़बुन है. लेकिन देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस में इसे लेकर कोई भ्रम नहीं है. कांग्रेस ने तय किया है कि वो गांधी परिवार के पीछे ही चलेगी, भले ही पार्टी का जो अंजाम होता हो वो हो जाए. कांग्रेस ने तय किया है कि उसके नेता राहुल गांधी ही रहेंगे और उनकी नेतृत्व क्षमता पर वो कभी सवाल नहीं उठाएगी, चाहे पार्टी देशभर में शून्य हो जाए.


राहुल गांधी हैं प्रशांत के पीछे हटने की वजह


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वर्ष 2024 में कांग्रेस को सत्ता का सपना दिखाने वाले चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर से कांग्रेस में शामिल होने से इनकार कर दिया है. कई दिनों से चर्चा थी कि प्रशांत किशोर सिर्फ चुनाव प्रबंधक के तौर पर कांग्रेस को सेवाएं नहीं देंगे. बल्कि वो कांग्रेस में शामिल भी होंगे. खुद कांग्रेस ने उनसे पार्टी सिस्टम के अंदर रहकर काम करने का आग्रह किया था. लेकिन आज प्रशांत किशोर ने एक ट्वीट करके ये ऑफर ठुकरा दिया. यानी प्रशांत किशोर ना तो कांग्रेस में शामिल होंगे और ना ही कांग्रेस के लिये चुनावी रणनीति बनाएंगे. प्रशांत किशोर की इस डील के बिगड़ने की जो बड़ी वजह सामने आई है वो राहुल गांधी हैं. क्योंकि प्रशांत किशोर की सबसे अहम शर्त थी कि कांग्रेस को जिंदा करना है तो राहुल गांधी को पीछे करना होगा, उनका नेतृत्व रहेगा तो कांग्रेस नीचे की ओर ही जाएगी. 


ये क्या कह गए प्रशांत किशोर


आप प्रशांत किशोर का ट्वीट देखें और उनके शब्दों पर गौर करें. प्रशांत किशोर ने लिखा- 'मैंने एम्पॉवर्ड एक्शन ग्रुप के रूप में पार्टी में शामिल होने और चुनावों की जिम्मेदारी लेने के कांग्रेस का उदार प्रस्ताव ठुकरा दिया है. मेरी विनम्र राय में, परिवर्तनकारी सुधारों के जरिये जड़ें जमाने वाली संरचनात्मक समस्याओं को ठीक करने के लिये पार्टी को मुझसे ज्यादा नेतृत्व और सामूहिक इच्छाशक्ति की जरूरत है.'


आखिरी लाइन ध्यान देने लायक


यहां प्रशांत किशोर के ट्वीट की आखिरी लाइन ध्यान देने लायक है. जिसमें वो कह रहे हैं पार्टी को मुझसे ज्यादा नेतृत्व और सामूहिक इच्छाशक्ति की जरूरत है. इसे सरल शब्दों में समझें तो वो ये कहना चाहते हैं कि कांग्रेस को किसी की ज्वाइनिंग से ज्यादा इस पर ध्यान देना चाहिये कि उसका नेतृत्व कौन कर रहा है और दूसरा ये कि पार्टी में जीतने की इच्छाशक्ति है भी या नहीं?