ISRO Azadi Satellite: भारत का तिरंगा अब अंतरिक्ष में भी लहराएगा. आजादी के 75वीं वर्षगांठ से पहले भारत ने अपना SSLV 'आजादी सैटेलाइट' को लॉन्च कर दिया है. इस सैटेलाइट को 75 स्कूलों की 750 छात्राओं ने बनाया है. ये आजादी सैटेलाइट श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष सेंटर से लॉन्च किया गया. इसे लॉन्च करने के लिए भारत ने पहली बार SSLV रॉकेट का इस्तेमाल किया.


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पहले PSLV द्वारा लॉन्च किए जाते थे सैटेलाइट


आपको बता दें कि इससे पहले सैटेलाइट PSLV द्वारा लॉन्च किए जाते थे, जिसकी लागत काफी ज्यादा थी. वहीं इनके निर्माण में 45 दिन और 600 इंजीनियर लगते थे. PSLV को लॉन्च के लिए पे लोड पूरा करने के लिये सेटेलाइट का इतजार करना पड़ता था.


रॉकेट से टूटा संपर्क


ISRO ने बताया कि SSLV की पहली उड़ान पूरी हो गई है. उम्मीद के मुताबिक रॉकेट ने सभी फेस को सफलतापूर्वक पार कर लिया. लेकिन टर्मिनल फेज के दौरान डेटा नहीं मिल पा रहा है. हालांकि ISRO इसका एनालिसिस कर रहा है. जल्द ही रॉकेट से संपर्क हो सकता है.


SSLV के आने बाद दुनिया में ISRO का कद बढ़ा



SSLV को 6 इंजीनियर सिर्फ एक सप्ताह में तैयार कर सकते हैं. ये 10 किलोग्राम से 500 किलोग्राम तक के सैटेलाइट को आसानी से अंतरिक्ष मे प्रेक्षेपित कर सकता है. इसकी लागत PSLV से 10 गुना कम है. यदि उपग्रह तैयार है तो रॉकेट भी तैयार है. SSLV के आने से वैश्विक बाजार में ISRO अंतरिक्ष के कारोबार में कड़ी प्रतिस्पर्धा देगा. छोटे-छोटे देशों के 500 किलो ग्राम तक के उपग्रह के लिये ये वरदान सबित होगा.


दो उपग्रहों को करेगा स्थापित


SSLV रॉकेट दो उपग्रहों को अंतरिक्ष मे 350 Km वाली कक्षा में स्थापित करेगा. पहला सैटेलाइट 135 की ग्राम वजन वाला भु अवलोकन उपग्रह IOS 02 है, जबकि दूसरा उपग्रह आजादी सैटेलाइट है, जिसका वजन 7.5 Kg है.



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