राजस्थान सरकार का अध्यादेश : राहुल का वसुंधरा पर तंज, ` यह 2017 है, 1817 नहीं`
राजस्थान सरकार के विवादित अध्यादेश को लेकर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने रविवार को निशान साधा. उन्होंने ट्विटर पर राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर तंज सकते हुए कहा कि हम ‘2017’ में जी रहे हैं ना कि ‘1817’ में.
नई दिल्ली : राजस्थान सरकार के विवादित अध्यादेश को लेकर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने रविवार को निशान साधा. उन्होंने ट्विटर पर राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर तंज सकते हुए कहा कि हम ‘2017’ में जी रहे हैं ना कि ‘1817’ में. राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा पूरी विनम्रता से मैं कहना चाहता हूं कि हम 21वीं सदी में हैं. यह 2017 है, 1817 नहीं. उन्होंने एक खबर भी टैग की है, जिसका शीर्षक है कि कानूनी विशेषज्ञों की राय में राजस्थान का अध्यादेश अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ है. खबर के मुताबिक इस अध्यादेश में पूर्वानुमति के बगैर कानूनी अधिकारियों और लोक सेवकों के खिलाफ जांच पर रोक का प्रावधान है और मीडिया को भी इससे रोका गया है.
अध्यादेश के विरुद्ध पीयूसीएल जाएगा हाईकोर्ट
नागरिक अधिकार समूह पीयूसीएल ने राज्य सरकार की पूर्व अनुमति के बिना न्यायाधीशों एवं बाबुओं को जांच से बचाने वाले राजस्थान सरकार के अध्यादेश को आज रद्द करने की मांग की जबकि राज्य के गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया ने इस कदम का बचाव किया. कटारिया ने कहा कि यह अध्यादेश लोकप्रियता पाने के इरादे से सरकार के कामकाज में बाधा उत्पन्न करने वाले लोगों पर लगाम लगाने के लिये लाया गया है.
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पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) की प्रदेश अध्यक्ष कविता श्रीवास्तव ने कहा कि ये संशोधन एवं प्रावधान ‘‘मीडिया पर प्रतिबंध लगाने’’ और न्यायाधीशों तथा मजिस्ट्रेट समेत लोक सेवकों के खिलाफ मजिस्ट्रेट के जांच का आदेश देने या शिकायतों के संदर्भ में संज्ञान लेने की उसकी शक्तियों को कम करना है. उन्होंने कहा, ‘‘सरकार के इस कदम के खिलाफ हम लोग उच्च न्यायालय जाएंगे. इस अध्यादेश को रद्द किया जाना चाहिए.’’
क्या है राज्य सरकार का अध्यादेश?
वसुंधरा राजे सरकार ने अध्यादेश जारी किया है जिसमें राजस्थान में सेवारत एवं सेवानिवृत्त दोनों न्यायाधीशों, मजिस्ट्रेट और लोकसेवकों को राज्य सरकार की पूर्व अनुमति के बगैर ड्यूटी के दौरान कार्रवाई के लिये जांच से संरक्षित करने की मांग की गयी है. आपराधिक कानून (राजस्थान संशोधन) अध्यादेश, 2017 गत सात सितंबर को जारी किया गया था.
राज्य सरकार ने किया अध्यादेश का बचाव
राजस्थान के गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया ने शनिवार को कहा है कि सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को बेवजह परेशान करने से निजात दिलाने के लिए यह अध्यादेश लाया गया है. उन्होंने कहा कि सरकार 23 अक्टूबर से शुरू हो रहे राजस्थान विधानसभा के सत्र में इस पर विधेयक लेकर आएगी इसलिए इस बारे में इससे अधिक कुछ नहीं बताया जा सकता.
कटारिया ने एक सवाल के जवाब में कहा कि एक सौ-अस्सी दिन में सरकार की अनुमति नहीं मिलने पर अनुमति मान ली जाएगी और अग्रिम कार्यवाही की जा सकेगी. उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा बेवजह काम में अडंगा डालने वाले लोगों और बेवजह अपने नाम की प्रसिद्धि पाने वाले लोगों पर अंकुश लगाने के लिए यह अध्यादेश लाया गया , सरकार की भावना और मंशा बिलकुल साफ है.