लगातार तीन लोकसभा चुनावों में करारी हार का सामना कर रही कांग्रेस 2014 से देश में पुरानी बैलट पेपर प्रणाली से चुनाव कराने की मांग कर रही है. कभी ईवीएम में टैंपरिंग यानी छेड़छाड़ तो कभी पोलिंग स्टेशन पर चुनाव आयोग की टीम की भूमिका को लेकर विपक्षी पार्टियां अक्सर आरोप लगाती है. जब इससे भी काम नहीं चलता तो सुप्रीम कोर्ट का रुख किया जाता है. क्योंकि कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों के नेताओं को लगता है कि वोटिंग खत्म होने के बाद 5 बजे तक चुनाव आयोग द्वारा जो वोट शेयर बताया जाता है, असली घपलेवाजी उसी डाटा में होती है. 


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कांग्रेस नेताओं का कहना है कि पांच बजे के बाद जब पीसी करके हर पोलिंग स्टेशन के आखिरी आंकड़े आ जाते हैं, तो आखिर उसका वोट शेयर अप्रत्याशित तरीके से कैसे बढ़ जाता है? ऐसे सवालों और अटकलों को लेकर चुनाव आयोग ने कहा, 'महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मतदाताओं के नाम न तो मनमाने ढंग से जोड़े गए हैं और न ही हटाए गए हैं'.


पांच बजे के बाद भी डाटा रियल रहता है- EC


कांग्रेस को दिए अपने जवाब में आयोग ने यह भी कहा कि हाल में संपन्न विधानसभा चुनाव में शाम पांच बजे के मतदान के आंकड़ों की तुलना अंतिम मतदान आंकड़ों के साथ करना सही नहीं होगा. कांग्रेस ने नवंबर में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से संबंधित विभिन्न चिंताओं को लेकर चुनाव आयोग का रुख किया था.


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एक विस्तृत नोट जारी करते हुए आयोग ने कांग्रेस को बताया कि शाम 5 बजे से रात 11:45 बजे तक मतदान प्रतिशत में वृद्धि सामान्य थी, जो मतदान के मतों को जोड़ने की प्रक्रिया का हिस्सा था तथा मतों और गिने गए मतों में वास्तविक, लेकिन असंगत अंतर हो सकता है. आयोग ने इस बात पर जोर दिया कि वास्तविक मतदान प्रतिशत को बदलना असंभव है, क्योंकि मतदाता मतदान का विवरण देने वाला वैधानिक फॉर्म 17सी मतदान केंद्र पर मतदान बंद होने के समय उम्मीदवारों के अधिकृत एजेंट के पास उपलब्ध होता है.


इसमें कहा गया है कि महाराष्ट्र में मतदाता सूची तैयार करने में पारदर्शिता के साथ नियम-आधारित प्रक्रिया का पालन किया गया और राज्य में मतदाता के नाम हटाए जाने में कोई अनियमित चलन नहीं था. इसने कांग्रेस को बताया कि मतदाता सूची तैयार करने में कांग्रेस प्रतिनिधियों की भागीदारी सहित उचित प्रक्रिया का पालन किया गया था.


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आयोग ने मुख्य विपक्षी दल से कहा कि जुलाई और नवंबर के बीच 50 विधानसभा सीट पर औसतन 50,000 मतदाताओं के जुड़ने का उसका दावा तथ्यात्मक रूप से गलत और भ्रामक है. कांग्रेस का दावा था कि इन 50 सीट में से 47 पर ‘महायुति’ ने जीत हासिल की है. आयोग के अनुसार, तथ्य यह है कि इस अवधि के दौरान केवल छह विधानसभा क्षेत्रों में कुल मिलाकर 50,000 से अधिक मतदाता जुड़े थे, इसलिए इस आधार पर 47 सीट पर जीत का सवाल ही नहीं उठता. आयोग ने पूरी चुनावी प्रक्रिया के दौरान राजनीतिक दलों या उम्मीदवारों की सक्रिय भागीदारी के लगभग 60 उदाहरणों को भी सूचीबद्ध किया. आयोग ने इस बात को दोहराया कि राजनीतिक दल, प्रमुख हितधारक होने के नाते, चुनाव प्रक्रिया के प्रत्येक चरण में ‘रोल टू पोल’ (मतदाता सूची तैयार करने से लेकर मतदान प्रक्रिया पूरी होने तक) में शामिल होते हैं. (इनपुट: पीटीआई)