Bilkis Bano Case: गुजरात के बहुचर्चित बिलकिस बानो (Bilkis Bano) मामले में दोषियों को 14 साल पहले सजा सुनाने वाले न्यायाधीश ने मंगलवार को कहा कि सजा से माफी देना सरकार की शक्तियों के दायरे में आता है, लेकिन दोषियों का जिस प्रकार से कुछ लोगों ने ‘अभिनंदन’ किया वह अरुचिकर था. गुजरात सरकार ने 2002 के दंगों के दौरान बिलकिस बानो से सामूहिक बलात्कार और उसके परिवार के लोगों की हत्या के 11 दोषियों को रिहा करने का निर्णय लिया जिसका चौतरफा विरोध हो रहा है. 


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दोषियो का हुआ स्वागत!


कुछ अपुष्ट खबरों में यह दावा किया गया कि दोषियों के रिहा होने के बाद स्थानीय नेताओं ने उनका अभिनंदन किया. गुजरात सरकार की इजाजत के बाद बीते 15 अगस्त को गोधरा उप कारागार से इन 11 दोषियों को रिहा किया गया.


'मैंने अपना काम किया'


इस मामले में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) यू डी साल्वी ने ‘यूनाइटेड अगेंस्ट इंजस्टिस एंड डिस्क्रिमिनेशन’की ओर से आयोजित ‘सॉलिडैरिटी विद बिलकिस बानो’ नामक कार्यक्रम में कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि मैंने कुछ विशेष किया (उन्हें दोषी ठहरा कर) मेरा फैसला मेरा कर्तव्य था.’ न्यायमूर्ति साल्वी ने पत्रकारों के एक सवाल के जवाब में कहा, ‘राज्य के पास माफी का अधिकार होता है. कानून के तहत राज्य को यह अधिकार मिला है.’ 


रिहाई सरकार का अधिकार


उन्होंने कहा कि वह दोषियों को समय से पहले रिहा किए जाने के निर्णय पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते क्योंकि उन्होंने संबंधित रिपोर्ट नहीं देखी है और उन्हें नहीं पता कि किन तथ्यों को ध्यान में रखा गया. न्यायमूर्ति साल्वी ने कहा, ‘लेकिन उनका अभिनंदन (कुछ लोगों द्वारा) बिल्कुल भी अच्छी बात नहीं थी. दोषियों को ही यह अभिनंदन स्वीकार नहीं करना चाहिए था.’ न्यायाधीश ने यह भी कहा कि वह अपना फैसला दोबारा पढ़ना चाहते हैं क्योंकि काफी वक्त पहले फैसला दिया गया था लेकिन ‘फैसला उपलब्ध नहीं है.’


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