नई दिल्ली: मॉस्को (Moscow) में भारत (India) और चीन (China) के विदेश मंत्रियों के बीच करीब ढाई घंटे तक चली बातचीत के बावजूद दोनों देशों में तनाव अब भी गहरा बना हुआ है. दोनों देशों की सेनाएं लद्दाख में हथियार और गोला बारूद के साथ 300 मीटर की दूरी पर आमने- सामने खड़ी हुई हैं. इसी बीच जापान और ताइवान ने अपने- अपने देशों की हवाई सीमा का उल्लंघन करने पर चीन को कड़ी चेतावनी जारी की है. 


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चीन से निपटने के लिए एयर डिफेंस जोन बना रहा है ताइवान
ताइवान के उपराष्ट्रपति Lai Ching-te ने  कहा कि चीन लाइन को क्रॉस न करे और अपने फाइटर जेटों को ताइवान की हवाई सीमा का उल्लंघन करने से रोके. चेतावनी दी कि ताइवान अपनी हवाई सीमा की रक्षा के लिए एयर डिफेंस आइडेंटिफिकेशन जोन बना रहा है. इसलिए चीन अब कोई गलती करने की कोशिश न करे. उपराष्ट्रपति ने स्पष्ट किया कि ताइवान शांति चाहता है लेकिन अपने लोगों की रक्षा के लिए वह लड़ना भी जानता है. 


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जापान के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गया है चीन: जापानी रक्षा मंत्री
वहीं जापान के रक्षा मंत्री तारो कोनो ने चीन को अपने देश की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा करार दिया है. कोनो ने कहा कि चीन अपनी सेना के बल पर पूर्वी चीन सागर में प्रभुत्व स्थापित करने की कोशिश कर रहा है. कोनो ने कहा कि, 'जब मैं देश का विदेश मंत्री था तो चीन को जापान के लिए खतरा बताने से परहेज करता था. लेकिन अब जब मैं देश का रक्षा मंत्री बन गया हूं तो मुझे गंभीरता के साथ कहना पड़ रहा है कि जापान के लिए सबसे बड़ा खतरा चीन है.' 


सेनकाकू आईलैंड के लिए आखिरी वक्त तक लड़ेंगे
जापानी रक्षा मंत्री ने कहा कि हम अपने देश के प्रत्येक सेंटीमीटर की रक्षा के लिए पूरी तरह तैयार हैं. हम पूर्वी चीन सागर में अपने सेनकाकू आईलैंड के लिए आखिरी वक्त तक लड़ेंगे. यदि हमने सेनकाकू द्वीप को नहीं बचाया तो चीन वहां भी अपनी सेना तैनात कर उसे दक्षिण चीन सागर की तरह मिलिट्री जोन में बदल देगा. कोनो ने कहा कि प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने इस खतरे को काफी समय पहले ही पहचान लिया था और अब हमारी नीतियां उसी के हिसाब से तैयार हो रही हैं. 


चीन से निपटने के लिए क्वाड का मजबूत होना जरूरी: तारो कोनो
उन्होंने कहा कि आर्थिक और सैन्य ताकत के रूप में उभर रहा चीन प्रत्येक अंतरराष्ट्रीय नियम-कायदों को तोड़ने पर आमादा है. उसे रोक पाना अकेले अमेरिका और जापान के बस की बात नहीं है. इसके लिए हमें दूसरे देशों के साथ तालमेल बढ़ाकर चीन को रोकने का इंतजाम करना होगा. कोनो का संकेत क्वाड के लिए था. जिसमें अमेरिका, जापान, भारत और ऑस्ट्रेलिया चीन से निपटने के लिए धीरे धीरे आपसी समझ विकसित करने में लगे हैं.