जापान का एक बेटा रिन ताकाहाटा पंजाब के फतेहगढ़ चूड़ियां रोड पर अपने पिता को खोज रहा था, अपनी मां की पुरानी तस्वीरें के साथ, पिता का नाम पर्ची पर लिखे हुए एक लड़का घर-घर दुकान-दुकान घूमता सबसे बस एक बात पूछता कि हमारे पिता कहां हैं? आखिर में कुछ स्थानीय लोगों ने फोटो देखी और बेटे को पहचान लिया. बेटे को उसके खोज रहे पते लोहारका रोड पर पहुंचाया गया. अपने पिता के नए घर पर जाते ही उसे मिली जिंदगी की सबसे बड़ी खुशी, आइए जानते हैं पूरा मामला. 


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20 साल बाद जापानी बेटे से मिला पंजाबी पिता
अमृतसर में रहने वाले सुखपाल सिंह के लिए जीवन उस समय ठहर गया जब वह अप्रत्याशित रूप से अपने जापानी बेटे से फिर से मिले, जिसे उन्होंने बीस साल पहले उसकी माँ के पास छोड़ दिया था. ओसाका यूनिवर्सिटी ऑफ़ आर्ट्स के छात्र इक्कीस साल के रिन ताकाहाटा रक्षा बंधन से एक दिन पहले 18 अगस्त को अमृतसर पहुँचे. जहां वह अपने पिता को खोज रहे थे. पिता ने बताया  “मैं रक्षा बंधन के लिए अपनी पत्नी के भाई के घर गया तभी भाई का फोन आया- आपका बेटा जापान से आया है, मैं यह सुनकर चौंक गया, मैंने अपने भाई से उसका ख्याल रखने को कहा और तुरंत मिलने आया,” सुखपाल ने बताया “जब  एक-दूसरे को गले लगाया तो मैंने जो भावनाएँ और अहसास महसूस किए, उन्हें शब्दों में बयाँ नहीं किया जा सकता”. 


पिता को खोजने का मिला असाइनमेंट
बेटे रिन ने कहा “कॉलेज में एक असाइनमेंट मिला था, जिसमें फैमिली ट्री यानी परिवार के बारें में खोजना था,  मुझे अपनी माँ के परिवार के बारे में जानकारी थी, लेकिन अपने पिता के बारे में मुझे सुखपाल सिंह के नाम के अलावा कुछ नहीं पता था. इसके बाद हमने अपने पिता को खोजना शुरू किया.

सोशल मीडिया पर खूब खोजा पर नहीं मिले
पिता और बेटे दोनों ने सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्म के ज़रिए एक-दूसरे को खोजने की कोशिश की, लेकिन कोई फ़ायदा नहीं हुआ.


कैसे हुआ बेटा अलग, पिता ने बताई असली कहानी
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक पिता सुखपाल ने बताया कि उनकी मुलाक़ात बेटे की मां सची ताकाहाता से थाईलैंड में हुई और दोनों में प्यार हो गया. सची जापान वापस चली गई और भारत में उससे मिलने आई, जिसके बाद वह भी 2002 में जापान गया और उन्होंने शादी कर ली और चिबा केन में रहने लगे.


2003 में बेटा का हुआ जन्म
हमारे बेटे रिन का जन्म 2003 में हुआ. हालांकि, किस्मत को कुछ और ही मंजूर था, हमारी शादी में मुश्किलें आईं और मैं 2004 में भारत लौट आया. सच्ची उसी साल वापस आ गई और हम दोनों जापान वापस चले गए, सुलह करने की हमारी कोशिशों के बावजूद, गलतफहमियाँ बनी रहीं.


दोबारा भारत में रचाई शादी
मैंने आखिरकार घर छोड़ दिया और अलग रहने लगा और 2007 में भारत लौट आया. बाद में मैंने गुरविंदरजीत कौर से शादी कर ली, जिनसे मेरी एक बेटी अवलीन पन्नू है. पिता सुखपाल ने बताया कि रक्षा बंधन पर अवलीन ने अपने जापानी भाई की कलाई पर राखी बाँधी और गुरविंदरजीत कौर ने उसका अपने बेटे की तरह स्वागत किया. सुखपाल ने कहा कि उन्होंने अपनी पत्नी सची से बात की कि और बता दिया है कि बेटा मेरे पास है,  उसे चिंता नहीं करनी चाहिए.


बेटे की अब क्या है चाहत?
पिता ने बताया कि बेटर रिन एक वयस्क है और जीवन में अपने फैसले खुद लेता है.  जब रिन से पूछा गया कि क्या वह चाहता है कि उसके पिता उसकी मां से मिलें, तो उसने कहा, "बेशक मैं चाहता हूं कि वे कम से कम एक बार तो मिलें" और कहा कि वह नियमित रूप से अमृतसर आएगा और अमृतसर में अपने पिता और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ रहेगा.


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