Superbugs: 2050 तक 4 करोड़ लोगों को मौत के घाट उतार देंगे सुपरबग्स! शरीर को ऐसे पहुंचाते हैं नुकसान
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Superbugs: 2050 तक 4 करोड़ लोगों को मौत के घाट उतार देंगे सुपरबग्स! शरीर को ऐसे पहुंचाते हैं नुकसान

दुनिया में स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा तेजी से उभर रहा है, जिसे 'सुपरबग्स' कहा जाता है. ये सुपरबग्स मानव जीवन के लिए इतना बड़ा खतरा बन गए हैं कि 2050 तक इनके कारण लगभग 4 करोड़ लोगों की मौत हो सकती है.

Superbugs: 2050 तक 4 करोड़ लोगों को मौत के घाट उतार देंगे सुपरबग्स! शरीर को ऐसे पहुंचाते हैं नुकसान

दुनिया में स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा तेजी से उभर रहा है, जिसे 'सुपरबग्स' कहा जाता है. ये सुपरबग्स मानव जीवन के लिए इतना बड़ा खतरा बन गए हैं कि 2050 तक इनके कारण लगभग 4 करोड़ लोगों की मौत हो सकती है. यह चौंकाने वाला दावा द लैंसेट की एक नई स्टडी में किया गया है.

सुपरबग्स की बढ़ती समस्या का सबसे बड़ा कारण है एंटीबायोटिक्स का गलत और ज्यादा उपयोग, जिसके कारण बैक्टीरिया और फंगस जैसे जीवाणु एंटीबायोटिक्स के प्रभाव से बचने में सक्षम हो जाते हैं. यह स्थिति एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) के रूप में जानी जाती है, जो बीमारी को उपचार से परे कर देती है और मृत्यु दर में भारी वृद्धि करती है.

1.27 मिलियन लोगों की हो चुकी है मौत
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में ही बैक्टीरियल एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस ने सीधे तौर पर 1.27 मिलियन (यानी 12.7 लाख) लोगों की जान ली थी, जबकि 4.95 मिलियन (यानी 49.5 लाख) मौतों में इसका परोक्ष रूप से योगदान था. यह अनुमान लगाया गया है कि 2050 तक, सुपरबग्स ग्लोबल लेवल पर मेडिकल सिस्टम को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकते हैं, जिससे 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से भी ज्यादा का एक्स्ट्रा हेल्थ खर्च होगा.

सुपरबग्स कैसे फैलते हैं?
सुपरबग्स के फैलने के प्रमुख कारणों में शामिल हैं एंटीबायोटिक्स का बेतरतीब उपयोग, गलत मेडिकल सलाह और पशुओं में ज्यादा एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल. मानव और पशुओं में इसका अत्यधिक उपयोग इन सूक्ष्मजीवों को इन दवाओं से प्रतिरोधक बना देता है, जिससे सामान्य बीमारियां भी घातक हो सकती हैं.

सुपरबग्स का मानव शरीर पर प्रभाव

1. असंभव हो सकती हैं संक्रामक बीमारियों का इलाज
सुपरबग्स के कारण निमोनिया, तपेदिक (टीबी) और यूरिन ट्रैक इंफेक्शन जैसी सामान्य बीमारियां( जिन्हें एंटीबायोटिक्स से ठीक किया जा सकता था) अब लाइलाज हो सकती हैं. इसके परिणामस्वरूप शरीर में संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ जाता है, जो अंगों के फेल होने, सेप्सिस या मृत्यु तक ले जा सकता है. यहां तक कि मामूली चोट या संक्रमण भी घातक हो सकते हैं.

2. सर्जरी के बाद संक्रमण का खतरा
सर्जरी के दौरान या उसके बाद संक्रमण का खतरा हमेशा बना रहता है. सुपरबग्स की मौजूदगी से सर्जरी के दौरान दिए जाने वाले प्रोफिलैक्टिक एंटीबायोटिक्स बेअसर हो सकते हैं, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. इसके चलते अस्पताल में लंबे समय तक भर्ती रहना, फिर से ऑपरेशन करना या संक्रमण को कंट्रोल न कर पाने के कारण मौत भी हो सकती है.

3. कैंसर का इलाज हो सकता है और कठिन
कैंसर के इलाज में कीमोथेरेपी दी जाती है, जो इम्यून सिस्टम को कमजोर कर देती है. सुपरबग्स के कारण अस्पतालों में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है, जिससे कैंसर के मरीजों के लिए इलाज और भी जोखिमपूर्ण हो सकता है.

4. पुरानी बीमारियों के मरीजों के लिए खतरा
डायबिटीज, किडनी रोग या फेफड़ों की बीमारी जैसे रोगों से जूझ रहे मरीजों का इम्यून सिस्टम पहले से ही कमजोर होता है, और सुपरबग्स की वजह से उनकी हालत और गंभीर हो सकती है. डायबिटीज के मरीजों में यदि सुपरबग्स से संक्रमण हो जाए तो इसके चलते अंग काटने की नौबत भी आ सकती है.

5. एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस फैलने का खतरा
सुपरबग्स के कारण भविष्य में संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा और भी बढ़ सकता है. मरीज, स्वास्थ्यकर्मी और यहां तक कि आगंतुक भी इनके वाहक बन सकते हैं, जिससे संक्रमण समुदायों में तेजी से फैल सकता है और हेल्थ सिस्टम पर भारी बोझ डाल सकता है.

कैसे करें खुद का बचाव?
- हाथों को साबुन और पानी से नियमित धोएं या अल्कोहल-बेस्ड सैनिटाइजर का उपयोग करें.
- भोजन को ठीक से पकाएं और साफ पानी का उपयोग करें.
- बीमार व्यक्तियों के संपर्क से बचें.
- डॉक्टर की सलाह के बिना एंटीबायोटिक्स का सेवन न करें.
- पूरी दवा का कोर्स खत्म करें, भले ही आप बेहतर महसूस करें.
- बची हुई दवाओं का उपयोग न करें.

सुपरबग्स का खतरा केवल पर्सनल लेवल पर ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक गंभीर चुनौती बन गया है. एंटीबायोटिक्स का सही उपयोग और स्वास्थ्य सुरक्षा के सही कदम ही हमें इस बढ़ते खतरे से बचा सकते हैं.

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