Jhansi Medical College: उत्तर प्रदेश के झांसी स्थित महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में शुक्रवार रात आग लगने के दौरान बचाए गए बच्चों में से एक नवजात की इलाज के दौरान मौत हो गई. इसके साथ ही इस हादसे में जान गंवाने वाले नवजातों की संख्या 11 हो गई है. जिलाधिकारी अविनाश कुमार ने बताया कि आग लगने की घटना में 10 बच्चों की पहले ही मौत हो चुकी थी, जबकि 38 बच्चों का अब भी इलाज चल रहा है.


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इस नवजात की मौत जलने से नहीं..?
असल में जिलाधिकारी अविनाश कुमार ने न्यूज एजेंसी को बताया कि हादसे में बचाए गए तीन नवजातों की हालत गंभीर थी. रविवार को इनमें से एक की मौत हो गई. हालांकि, कुमार ने स्पष्ट किया कि इस नवजात की मौत जलने से नहीं हुई है. उन्होंने बताया कि बचाए गए बच्चों में से कोई भी आग से जख्मी नहीं हुआ है. यह सभी वे बच्चे हैं जिन्हें अस्पताल के स्टाफ ने समय रहते सुरक्षित निकाल लिया था.


एनआईसीयू में भर्ती बच्चों की हालत गंभीर
कुमार ने बताया कि मेडिकल कॉलेज के नवजात गहन चिकित्सा इकाई (एनआईसीयू) में भर्ती बच्चों की हालत गंभीर है. जिलाधिकारी ने रविवार को मेडिकल कॉलेज का दौरा किया और पीआईसीयू में भर्ती बच्चों की स्थिति का जायजा लिया. उन्होंने डॉक्टरों से चर्चा की और बताया कि फिलहाल बच्चों की हालत स्थिर बनी हुई है. मृत 10 बच्चों के शव पहले ही उनके परिजनों को सौंपे जा चुके हैं.


सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कई सवाल उठ रहे
इस हादसे के बाद सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. जिलाधिकारी ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने इस घटना की जांच के लिए चार सदस्यीय समिति का गठन किया है. यह समिति मेडिकल कॉलेज के बच्चों के वार्ड में लगी आग की वजहों का पता लगाएगी और किसी भी प्रकार की लापरवाही की जांच करेगी.


उत्तर प्रदेश के चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव पार्थसारथी सेन शर्मा ने जांच समिति की घोषणा की है. इस समिति की अध्यक्षता चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण विभाग के महानिदेशक करेंगे. समिति को एक सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है, जिसमें आग के कारण, दोषियों की पहचान और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचाव के सुझाव शामिल होंगे.