Jyoti Mishra UPSC Controversy: 2021 में UPSC सिविल सेवा परीक्षा पास करने वाली आईएफएस अधिकारी ज्योति मिश्रा को मजबूरन X (पहले ट्विटर) पर अकाउंट बनाना पड़ा. फिर वहां उन्होंने अपना बचाव करते हुए बयान जारी किया. क्यों? क्यों सोशल मीडिया का एक धड़ा उन्हें कोई और ज्योति समझकर ट्रोल किए पड़ा था.


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X पर कई यूजर्स ने 2021 बैच की अधिकारी को टारगेट किया. यह दावा किया गया कि उन्होंने UPSC की परीक्षा आरक्षित सीट पर पास की है. X पर पोस्ट्स में यह दावा किया गया था कि ज्योति ने अनुसूचित जाति का फर्जी सर्टिफिकेट लगाया और 432वीं रैंक हासिल की. हालांकि, यह सच नहीं है.


ज्योति मिश्रा का सच क्या है?


यह केस मिस्टेकेन आइडेंटिटी का है. यह महज संयोग था कि ज्योति मिश्रा को दूसरी सूची में 432वां स्थान मिला, जबकि एक अन्य आरक्षित उम्मीदवार ज्योति (वह पहले नाम से ही जानी जाती हैं) ने सफल उम्मीदवारों की पहली सूची में वही स्थान (432) प्राप्त किया. ज्योति को IAS कैडर मिला, जबकि ज्योति मिश्रा को कम रैंक के बावजूद किस्मत से भारतीय विदेश सेवा मिल गई क्योंकि उनके कैडर की एक सीट खाली हो गई थी.


ज्योति मिश्रा ने X पर नया अकाउंट बनाकर सफाई पोस्ट की. उन्होंने लिखा, 'मैं एक सामान्य अभ्यर्थी हूं जिसने दूसरी सूची में 432 रैंक के साथ यूपीएससी 2021 पास किया है. पहली सूची में 432 रैंक प्राप्त करने वाली ज्योति रिजर्व सीट से आईएएस हैं. वह महेंद्रगढ़, हरियाणा की रहने वाली हैं, जबकि मैं रायबरेली, उत्तर प्रदेश का रहने वाली हूं. मैं कड़ी मेहनत और निष्पक्ष तरीके से सिविल सेवक बनी हूं. जो लोग मेरी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना जारी रखेंगे, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करूंगी.'




ज्योति मिश्रा को अभी नहीं मिला IFS का टैग


ज्योति मिश्रा फिलहाल मैड्रिड (स्पेन) स्थित भारतीय दूतावास में तीसरे सचिव के पद पर प्रोबेशन पर हैं. उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में कहा, 'मैं एक सामान्य श्रेणी की उम्मीदवार हूं जिसने दूसरी सूची में 432वीं रैंक के साथ यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा-2021 पास की है. मेरा नाम प्रतीक्षा सूची में था. आरक्षित श्रेणी की एक उम्मीदवार ज्योति ने भी 432वीं रैंक हासिल की, लेकिन पहली सूची में. वह आईएएस अधिकारी बन गई. सोशल मीडिया पर जो सूची प्रसारित की जा रही है, उसमें उनका नाम है, मेरा नहीं. हालांकि, एक्स यूजर्स उस सूची के साथ मेरी तस्वीरें और वीडियो टैग कर रहे हैं. यह गलत पहचान का स्पष्ट मामला है.'


मिश्रा ने कहा, 'फिलहाल मैं दो साल के प्रोबेशन पीरियड पर हूं और मुझे अभी भाषा की परीक्षा पास करनी है. एक बार जब मैं परीक्षा पास कर लूंगी, तो मैं आधिकारिक तौर पर अपने नाम के साथ IFS टैग का इस्तेमाल कर पाऊंगी.' ज्योति मिश्रा के पिता सुरेश मिश्रा यूपी पुलिस में सब-इंस्पेक्टर हैं.


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IAS पूजा खेडकर से उठा विवाद


सोशल मीडिया पर नौकरशाहों के खिलाफ ऐसे दावों की बाढ़ ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर के मामले के बाद आई है. पूजा खेडकर अपने लिए अलग ऑफिस, सरकारी गाड़ी आदि की मांग करने के बाद रडार पर आ गईं. बाद में पता चला कि खेडकर ने सिविल सेवा में पद हासिल करने के लिए ओबीसी कोटा और बेंचमार्क विकलांगता प्रावधान का दुरुपयोग किया. इसके बाद, अभिषेक सिंह (2011 बैच के आईएएस अधिकारी जिन्होंने पिछले साल इस्तीफा दे दिया था) इसी तरह के आरोपों में घिर गए. दीावा किया गया कि यूपीएससी चयन के दौरान लोकोमोटर विकलांगता होने का दावा किया था लेकिन अब वे जिम वीडियो पोस्ट करते हैं.