sitaram yechury passed away: वामपंथी नेता सीताराम येचुरी का आज दोपहर दिल्ली के एम्स में निधन हो गया. पीएम मोदी से लेकर देश के तमाम नेताओं ने शोक जाहिर किया है. उनका पार्थिव शरीर सुबह 11 बजे से दोपहर तीन बजे तक सीपीआई एम पार्टी मुख्यालय में श्रद्धांजलि के लिए रखा जाएगा.
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Sitaram Yechury Death: पढ़ाई में उनका कोई सानी नहीं था. बचपन से ही मेधावी रहे. दिमाग इतना तेज कि CBSE टॉप कर गए. वामपंथी विचारधारा का प्रमुख चेहरा रहे सीताराम येचुरी का बचपन कुछ ऐसा ही रहा. बड़े हुए तो जेएनयू पहुंच गए. वहां भी उनकी मेधा के सभी कायल रहे. येचुरी का तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ का एक वाकया बेहद चर्चा में रहा था. येचुरी का 72 वर्ष की उम्र में आज शाम दिल्ली एम्स में निधन हो गया. येचुरी काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे.
आपातकाल के दौरान एक अलग पहचान बनाने वाले माकपा के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी की सबसे बड़ी उपलब्धि तब मानी गई जब उन्होंने जेएनयू के छात्रों का नेतृत्व करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को विश्वविद्यालय के कुलाधिपति पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर कर दिया. अक्टूबर 1977 में येचुरी छात्रों के एक समूह के साथ इंदिरा गांधी के आवास पहुंचे और जेएनयू के कुलाधिपति पद से उनके इस्तीफे की मांग करते हुए एक ज्ञापन सौंपा. इस घटना को याद करते हुए येचुरी ने बताया था कि आपातकाल के दौरान छात्रों के गिरफ्तारी नोटिस उनके छात्रावास के दरवाजों पर चिपका दिए जाते थे. इंदिरा गांधी के कुलाधिपति पद से इस्तीफे की मांग को लेकर छात्रों ने पैदल मार्च किया और उनके आवास पर ज्ञापन चिपकाने का निर्णय लिया.
CPM नेता सीताराम येचुरी का 72 साल की उम्र में निधन, लंबे समय से थे बीमार
जब छात्रों का प्रतिनिधिमंडल इंदिरा गांधी से मिला, तो वह खुद उनसे मिलने आईं. येचुरी ने कहा कि उन्होंने पूछा कि हम क्या चाहते हैं, और हमने कहा कि हम चाहते हैं कि वह इस्तीफा दें. यह घटना इतिहास का हिस्सा बन गई, जिसमें इंदिरा गांधी के समक्ष जेएनयू के छात्रों के साथ खड़े येचुरी की तस्वीर भी शामिल है.
सीताराम येचुरी एक प्रतिभाशाली छात्र रहे, जिन्होंने सीबीएसई की उच्चतर माध्यमिक परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया. इसके बाद उन्होंने अर्थशास्त्र में स्नातक और स्नातकोत्तर डिग्री में भी प्रथम श्रेणी प्राप्त की. 1974 में वह जेएनयू के छात्र आंदोलन से जुड़े और ‘स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया’ (एसएफआई) के नेता बने. दो साल में तीन बार जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए. 1975 में माकपा में शामिल होने के बाद आपातकाल के दौरान उन्हें गिरफ्तार भी किया गया. 1984 से 1986 तक वह एसएफआई के अध्यक्ष रहे और संगठन को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाई.
येचुरी का जन्म 12 अगस्त 1952 को चेन्नई में हुआ था. उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर की डिग्री फर्स्ट डिवीजन में प्राप्त की. वह 1984 में माकपा की केंद्रीय समिति के सदस्य बने थे जबकि 1992 में पोलित ब्यूरो के लिए चुने गए. वह 2005 से 2017 तक 12 वर्ष राज्यसभा सदस्य रहे. येचुरी 19 अप्रैल 2015 को विशाखापत्तनम में पार्टी के 21वें अधिवेशन में माकपा के पांचवें महासचिव बने और उन्होंने प्रकाश करात से उस समय पदभार संभाला था.
It’s my loss that I was not able to physically attend this memorial meeting and pay my homage to Com. Buddhadev Bhattacharya.
It’s most unfortunate that I had to connect from AIIMS to convey my feelings, emotions & revolutionary Lal Salaam to Buddho da pic.twitter.com/Etz9pVBXgn— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) August 22, 2024
येचुरी की हालत पिछले कुछ दिन से गंभीर बनी हुई थी. उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था. उनके निधन पर पीएम मोदी समेत कई नेताओं ने दुख जताया है. वहीं माकपा ने एक बयान में कहा कि माकपा का पोलित ब्यूरो 12 सितंबर, 2024 को पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी के निधन पर गहरा दुख व्यक्त करता है. पार्टी ने उन्हें वामपंथी आंदोलन का एक उत्कृष्ट नेता और प्रसिद्ध मार्क्सवादी विचारक बताया. माकपा ने कहा कि हमारी राष्ट्रीय राजनीति के इस महत्वपूर्ण मोड़ पर सीताराम येचुरी का असामयिक निधन माकपा के लिए एक बड़ा झटका है और वामपंथी, लोकतांत्रिक तथा धर्मनिरपेक्ष ताकतों के लिए भी एक बड़ी क्षति है. माकपा ने येचुरी की पत्नी सीमा चिश्ती, उनकी बेटी अखिला, बेटे दानिश, भाई शंकर और परिवार के अन्य सभी सदस्यों के प्रति अपनी सहानुभूति और संवेदना व्यक्त की.
एम्स ने एक बयान में कहा कि येचुरी के परिवार ने शिक्षण और शोध उद्देश्यों के लिए उनका पार्थिव शरीर अस्पताल को दान कर दिया है. येचुरी का पार्थिव शरीर शनिवार को सुबह 11 बजे से दोपहर तीन बजे तक पार्टी मुख्यालय में जनता के दर्शन और श्रद्धांजलि के लिए रखा जाएगा. इसमें कहा गया है कि इसके बाद, पार्थिव शरीर को एम्स ले जाया जाएगा, जहां उनकी इच्छा के अनुसार इसे चिकित्सा शोध के लिए दान कर दिया जायेगा. येचुरी को सीने में निमोनिया जैसे संक्रमण के उपचार के लिए 19 अगस्त को एम्स में भर्ती कराया गया था.