Karnataka: बौद्ध धर्म दीक्षा कार्यक्रम के आयोजन से पहले क्यों हुआ विवाद, जानें क्या है पूरा मामला?
Karnataka News: बौद्ध धर्म दीक्षा का आयोजन 14 अक्टूबर को यादगीर जिले के सुरपुरा शहर के पास हुनसागी में किया जाएगा. इसे धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस कहा जाता है, इस दिन भारतीय संविधान के निर्माता डॉ बीआर अंबेडकर ने हिंदू धर्म को त्यागकर बौद्ध धर्म स्वीकार किया था.
Buddhism Initiation: कर्नाटक के यादगीर जिले में बौद्ध धर्म दीक्षा से पहले हिंदू देवताओं की तस्वीरें नदी में फेंके जाने की एक घटना से विवाद बढ़ गया. बौद्ध धर्म दीक्षा का आयोजन 14 अक्टूबर को यादगीर जिले के सुरपुरा शहर के पास हुनसागी में किया जाएगा. इसे धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस कहा जाता है, इस दिन भारतीय संविधान के निर्माता डॉ बीआर अंबेडकर ने हिंदू धर्म को त्यागकर बौद्ध धर्म स्वीकार किया था.
आयोजकों ने अंबेडकर की पोती रमा तयी अंबेडकर को भी कार्यक्रम में आमंत्रित किया है. कार्यक्रम का आयोजन गोल्डन केव बुद्ध विहार ट्रस्ट और दलित संगठनों द्वारा किया जा रहा है. बताया जा रहा है कि गोल्डन केव बुद्ध विहार ट्रस्ट के अध्यक्ष वेंकटेश होसामणि और उनके सहयोगियों के नेतृत्व में लोगों के एक समूह ने सोमवार को हिंदू देवताओं की तस्वीरों को नदी में फेंक दिया. उन्होंने इसका एक वीडियो भी बनाया, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. जिसके चलते विवाद बढ़ता जा रहा है.
क्या कहना है विभिन्न पक्षों का?
तस्वीरों को फेंकने वाले समूह में से एक नागराज कल्लादेवराहल्ली ने कहा कि वेंकटेश को तस्वीरें हटाने के लिए कहा गया था, क्योंकि वह गोल्डन केव बुद्ध विहार ट्रस्ट के अध्यक्ष थे. इसके बाद, वेंकटेश ने लक्ष्मी, वेंकटेश्वर, सरस्वती और अन्य हिंदू देवताओं की तस्वीरों को हटाने का फैसला किया.
वेंकटेश कई अन्य लोगों के साथ 14 अक्टूबर को बौद्ध धर्म अपना रहे हैं. उन्होंने कहा, इसीलिए हम हिंदू धर्म को भूलकर बौद्ध धर्म अपनाने की कोशिश कर रहे हैं. हिंदू कार्यकर्ताओं ने हिंदू धर्म के देवी देवताओं की तस्वीरों को नदी में फेंकने की निंदा की है. पुलिस ने अभी इस घटना पर प्रतिक्रिया नहीं दी है.
(इनपुट - IANS)
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