कई बड़े आंदोलनों की नींव रखने वाले करणी सेना के संस्थापक लोकेन्द्र सिंह कालवी (Lokendra Singh Kalvi ) का जयपुर में बीती रात 2 बजे निधन हो गया. उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए राजपूत सभा भवन जयपुर में रखा जाएगा. रानी पद्मिनी की पीढ़ी से आने वाले कालवी का विवादों से पुराना नाता रहा है. लम्बी कद काठी और राजपूती लिबास के साथ हमेशा अपनी आवाज बुलंद करने वाले कालवी अपनी हाजिर जवाबी के लिए जाने जाते थे. अपने समाज के मुद्दों को लेकर मुखर रहने वाले कालवी को अकसर सभाओं में ये कहते सुना जाता कि उनका वजन 118 किलो है और वो छह फुट चार इंच लंबे हैं.


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राजस्थान के नागौर जिले के कालवी गांव में जन्में लोकेंद्र आखिरी बार सुर्खियों में तब आए थे जब फिल्म पद्मावत को लेकर पूरे देश में बवाल हुआ था. हालांकि, इससे पहले वो जोधा-अकबर फिल्म के खिलाफ भी मुखर होकर अभियान चला चुके थे. उनके पिता राज्य और केंद्र में भी मंत्री रहे. अजमेर के मेयो कॉलेज से पढ़ाई करने वाले कालवी के पिता चंद्रशेखर सरकार की कैबिनेट में थे.


कालवी को हिंदी और अंग्रेजी, दोनों ही भाषाओं में महारत हासिल थी. शूटिंग में भी उनका हाथ मजबूत था और उन्होंने कई अवॉर्ड भी अपने नाम किए. यही नहीं, वो बास्केटबॉल भी अच्छा खेलते थे.


कैसा रहा राजनीतिक करियर?
लोकेंद्र कालवी दो बार लोकसभा चुनाव लड़े और दोनों बार हार का सामना करना पड़ा. वो एक बार नागौर से और दूसरी बार बाड़मेर से चुनाव लड़े लेकिन दोनों बार उन्हें हार मिली. इस दौरान वो पार्टियों के चक्कर लगाते रहे. साल 2003 में उन्होंने सामाजिक न्याय मंच नाम से संस्था बनाई और सवर्णों के लिए आरक्षण दिलाने का अभियान शुरू किया. 


इस दौरान उन्होंने बीजेपी का साथ छोड़कर कांग्रेस का हाथ थाम लिया. हालांकि, कुछ समय बाद वो दोबारा बीजेपी में पहुंच गए थे. अपने समाज और समाज के नेताओं के बीच वो काफी लोकप्रिय थे. उन्हें अपनों के फोन नंबर जुबानी याद रहते थे. साथ ही वो मेहमाननवाजी के लिए भी जाने जाते थे. 


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