Hilal Bhatt Kashmir: जो भी इंसान इस दुनिया में आता है. उसकी कोई ना कोई कहानी होती है. लेकिन कुछ ऐसे होते हैं जिनका इतिहास लिखा जाता है. और यही इंसान कहे जाते हैं महान. आज हम आपको एक ऐसे ही महान इंसान की कहानी बताने जा रहे हैं. हम बात कर रहे हैं राइफल मैन हिलाल भट की. हिलाल भट ने मातृभूमि के कर्तव्य पथ पर खुद को न्योछावर कर दिया.


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शहीद राइफलमैन हिलाल भट की कहानी


कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ बहादुरी से लड़ते हुए शहीद हुए राइफलमैन हिलाल भट की कहानी, एक प्रेरणास्त्रोत बन चुकी है. हिलाल भट ने अपनी जान की आहुति देकर कश्मीर से आतंकवाद के सफाये के लिए एक बड़ा संदेश दिया है. उनका बलिदान अब कश्मीर के इतिहास का एक अहम हिस्सा बन चुका है, जो न केवल आतंकवादियों के खिलाफ लड़ा गया युद्ध था, बल्कि यह एक नई सोच और उम्मीद का भी प्रतीक है.


राइफलमैन हिलाल भट का जनाजा और उनका संदेश


हिलाल भट का जनाजा जब उनके घर से निकला तो उस वक्त बंदूकों की सलामी और नारे गूंज रहे थे. जिनमें कहा जा रहा था, "हिलाल तेरे खून से इंकलाब निकलेगा!" यह नारा कश्मीर के बदलाव का प्रतीक बन गया. पहले कश्मीर में आतंकियों के जनाजों में इस तरह के नारे लगते थे. जहां युवा लड़कों को गुमराह किया जाता था और आतंकवाद को बढ़ावा दिया जाता था. लेकिन अब कश्मीर में आतंकियों के बजाय शहीदों के लिए ऐसी नारेबाजी होती है, जो यह बताता है कि कश्मीर में अब आतंकवाद का कोई स्थान नहीं है.


कश्मीर का बदलाव: आतंकवाद से शांति की ओर


पहले कश्मीर में आतंकियों के जनाजों में ऐके-47 से फायरिंग की जाती थी और जहरीली तकरीरें दी जाती थीं. कश्मीर के युवा आतंकवाद की ओर मोड़े जाते थे. बुरहान वानी, नसीर वानी, और रियाज नाइकू जैसे आतंकियों के जनाजों में यही सब देखा गया था. लेकिन आज कश्मीर की स्थिति बदली हुई है, और इस बदलाव का कारण हैं हिलाल भट जैसे शहीद जिन्होंने आतंकवाद का मुकाबला किया. हिलाल भट का बलिदान, कश्मीर के युवाओं को आतंकवाद से मुक्ति दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ है.


हिलाल भट और बुरहान वानी के जनाजों का अंतर


हिलाल भट और बुरहान वानी के जनाजे में फर्क साफ दिखता है. बुरहान वानी ने बंदूक उठाई थी, ताकि वह आतंक का माहौल फैलाए, जबकि हिलाल भट ने अपनी बंदूक उठाई थी, ताकि वह कश्मीर में आतंकवाद का सफाया कर सके. इन दोनों जनाजों में एक बड़ा अंतर है. जहां बुरहान के जनाजे में आतंक का माहौल था, वहीं हिलाल के जनाजे में उनके बलिदान और कश्मीर में अमन और शांति की उम्मीद का प्रतीक था.


हिलाल भट के बलिदान पर गर्व


हिलाल भट के परिवार ने अपने बेटे को खो दिया, लेकिन उन्हें अपने बेटे पर उतना ही गर्व था. हिलाल ने अपने फर्ज को निभाते हुए आतंकवाद का सामना किया और अपनी जान की आहुति दी. उनका बलिदान कश्मीर के लिए एक उम्मीद बन चुका है और यह दर्शाता है कि अब कश्मीर में आतंकवाद का कोई स्थान नहीं है. हिलाल भट ने अपने परिवार को दो बच्चों के रूप में छोड़ दिया, लेकिन कश्मीर के लाखों बच्चों को आतंकवाद की आग से बचा लिया.


आतंकवाद से मुक्ति और अमन की स्थापना


हिलाल भट के बलिदान से यह संदेश मिलता है कि अब कश्मीर में आतंकवाद का कोई स्थान नहीं है. कश्मीर को शांति, प्रेम और भाईचारे की ज़रूरत है, और इसके लिए हिलाल भट और उनके जैसे शहीदों ने अपने प्राणों की आहुति दी. यही वह इंकलाब है जो हिलाल के खून से निकला है, और यह कश्मीर की नई दिशा को दर्शाता है.


कश्मीर के लिए अपने प्राणों की आहुति दी


हिलाल भट, अशोक चक्र विजेता नजीर अहमद वानी, लेफ्टिनेंट उमर फयाज, और शौर्य चक्र विजेता राइफलमैन औरंगजेब जैसे शहीदों ने कश्मीर को आतंकवाद से मुक्त करने के लिए अपनी जान दी. इन शहीदों ने साबित कर दिया कि वे इंसान नहीं, बल्कि महान योद्धा थे, जिन्होंने वतन और कश्मीर के लिए अपने प्राणों की आहुति दी.