केंद्र ने केरल को दी नसीहत -विदेश मामले में आपका कोई विशेषाधिकार नहीं, जानें किसकी नियुक्ति पर दिल्ली तक मचा बवाल
MEA reminds Kerala: केरल में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी के. वासुकी की नियुक्ति को लेकर हंगामा मचा हुआ है. भारत सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया है. आइए जानते हैं आखिर ऐसा केरल सरकार ने क्या किया कि केरल से लेकर दिल्ली तक मच गया हड़कंप.
Kerala Foreign Secretary Row: केरल में आईएएस अफसर के वासुकी की नियुक्ति पर हंगामा मच गया है. भाजपा का कहना है कि केरल सरकार ने के वासुकी को विदेश सचिव नियुक्त किया है. जो उसके अधिकार में नहीं है. अब केरल सरकार ने राज्य सरकार द्वारा 'विदेश सचिव' नियुक्त किए जाने के आरोपों पर सफाई दी है. जानें पूरा मामला. आखिर केंद्र सरकार क्यों हो गया केरल से नाराज. .
केंद्र ने केरल को दी नसीहत
विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि राज्य सरकारों को अपने संवैधानिक अधिकार क्षेत्र से बाहर के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए. विदेश मंत्रालय ने यह टिप्पणी केरल राज्य के ‘‘विदेश मामलों में सहयोग’’ के लिए एक सचिव नियुक्त करने के के बाद की है. संविधान के प्रावधानों का हवाला देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि विदेशी मामलों से संबंधित मामलों में "एकमात्र विशेषाधिकार" केंद्र सरकार का होता है.
विदेशों के मामले में सिर्फ केंद्र का हस्तक्षेप
पंद्रह जुलाई को केरल सरकार ने एक आदेश जारी करके श्रम एवं कौशल विभाग के सचिव के. वासुकी को "विदेश सहयोग से जुड़े मामलों" का अतिरिक्त प्रभार सौंपा. मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, ‘‘भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची सूची 1-संघ सूची, विषय 10 में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि विदेशी मामले और वे सभी मामले जो संघ को किसी अन्य देश के साथ संबंध में लाते हैं, संघ सरकार का एकमात्र विशेषाधिकार हैं." उन्होंने कहा, ‘‘यह किसी राज्य का विषय भी नहीं है. हमारा रुख यह है कि राज्य सरकारों को ऐसे मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए जो उनके संवैधानिक अधिकार क्षेत्र से बाहर हों.’’
केरल सरकार की आ गई सफाई
विवाद बढ़ता देख केरल सरकार ने इस मामले में सफाई दी है. केरल की मुख्य सचिव डॉ वी वेणु ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि राज्य में विदेश सचिव जैसा कोई पद नहीं है. इस मामले पर उन्होंने मीडिया रिपोर्ट को फर्जी बताया जिसमें दावा किया गया था कि सरकार ने राज्य में एक IAS अधिकारी को विदेश सचिव नियुक्त किया है.
मुख्य सचिव डॉ वी वेणु ने बताया कि राज्य सरकार ने कुछ समय पहले वाणिज्यिक, औद्योगिक और सांस्कृतिक सहयोग के लिए विदेशी एजेंसियों, बहुपक्षीय संस्थानों और दूतावासों के साथ कॉर्डिनेशन के लिए विदेशी सहयोग(External Cooperation) का एक डिवीजन बनाया था. उन्होंने कहा कि केरल सरकार ने केंद्र के अधिकार क्षेत्र में आने वाले मामलों में हस्तक्षेप नहीं किया हैं. बल्कि जो भी कदम उठाए गए हैं, राज्य के विकास के लिए नए संबंध स्थापित करने के प्रयास के तहत हैं.
किस वजह से केरल ने नियुक्त किया विदेशी सहयोग पद
केरल के सचिव ने बताया कि कई विदेशी एजेंसियां, बहुपक्षीय एजेंसियां, दूसरे देशों के दूतावासों में काम करने वाली संस्थाएं और प्रतिनिधिमंडल केरल सरकार के साथ-साथ दूसरे राज्य सरकारों के भी साथ नियमित संपर्क में रहते हैं. आपसी सहयोग के माध्यम से वाणिज्यिक, औद्योगिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में सहकारी संबंध बनते हैं. जब राज्य के सीएम या दूसरे मंत्री विदेश जाते हैं, तो वहां हुई चर्चाओं के चलते कई प्रतिनिधि नए संपर्क बनाने के लिए केरल आते हैं. बीते सालों में इन्हें अलग-अलग विभागों की जिम्मेदारी के रूप में देखा जाता था. लेकिन इस तरह की चर्चाओं की संख्या बढ़ी तो एक बेहतर तालमेल की जरूरत महसूस की गई. इसलिए विदेशी सहयोग डिवीजन बनाया गया था. उन्होंने बताया कि प्रधान सचिव सुमन बिल्ला जो कि हाल तक राज्य सेवा में थे. इसके प्रभारी थे. जब वे केंद्रीय सेवा में चले गए तो उनका प्रभार के वासुकी को दे दिया गया. डॉ वी वेणु ने आगे बताया कि राज्य सरकार के आदेश में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि उनकी क्या भूमिका रहेगी.
केरल सरकार खुद को भारत का हिस्सा नहीं मानती?
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद पी पी चौधरी ने सोमवार को लोकसभा में यह मुद्दा उठाया था और केरल सरकार की कार्रवाई को "असंवैधानिक" और केंद्र की जिम्मेदारियों का "अतिक्रमण" बताया था. उन्होंने सवाल किया था, "क्या केरल सरकार खुद को एक अलग राष्ट्र मान रही है?"
मीडिया में आई थी केरल में विदेश सचिव की नियुक्ति की खबर
दरअसल, मीडिया में खबर आई थी कि केरल सरकार ने आईएएस अफसर के वासुकी को विदेश सचिव नियुक्त किया है. इस पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के सुरेंद्रन ने केरल सरकार के कदम को संविधान की संघ सूची का उल्लंघन करार दिया था. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा था कि यह केरल सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर है. एलडीएफ की सरकार के पास विदेश से जुड़े मामलों में कोई अधिकार नहीं है. यह कदम असंवैधानिक है जो एक खतरनाक मिसाल कायम कर सकता है.
उन्होंने सवाल भी किया था कि क्या केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन राज्य को एक अलग देश बनाना चाहते हैं. इसी पर केरल की मुख्य सचिव डॉ. वी वेणु ने सफाई दी है. उन्होंने बयान जारी किया है कि राज्य में विदेश सचिव का कोई पद नहीं है. इस मामले में मीडिया में आई रिपोर्ट फर्जी है.