Story Of Khan Market: दिल्ली की खान मार्केट दिल्ली की सबसे बेहतरीन बाजारों में से एक है. यह बाजार लोगों के बीच काफी मशहूर है. यहां शॉपिंग करने और लजीज खानों का लुत्फ उठाने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. खान मार्केट की सड़कें और यहां की गलियां भी बहुत ही खूबसूरत लगती हैं. यहां की दुकानों की सजावट और वहां बेचे जाने वाले सामान लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह खान मार्केट किसके नाम पर बनी है. अगर नहीं पता है तो आज जान लीजिए कि इस मशहूर मार्केट का इतिहास क्या है.


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अब्दुल जफ्फार खान के नाम पर
असल में देश के बंटवारे के बाद खान मार्केट वाली जगह पर पाकिस्तान से आए तमाम प्रवासी बस गए थे. खान मार्केट का नाम अब्दुल गफ्फार खान के भाई अब्दुल जफ्फार खान के नाम पर रखा गया. उसके पीछे की कहानी यह है विभाजन के समय जब पाकिस्तान से आए हिंदू परिवार दिल्ली पहुंचे तो उन्हें दिल्ली की इसी जगह पर बसाया गया. इस मार्केट को उन्हीं पाकिस्तान से आए हिंदुओं के लिए ही बनाया गया और इसमें बड़ी भूमिका अब्दुल जफ्फार खान की थी.


पाकिस्तान से आए 74 परिवार
एक रिपोर्ट के मुताबिक शुरुआत में इस बाजार में सिर्फ 154 दुकानें और 74 फ्लैट बनाए गए थे. लेकिन धीरे-धीरे विकास होना शुरू हुआ यह संख्या बढ़ती चली गई. बताया जाता है कि पाकिस्तान से आए 74 परिवारों में से अब सिर्फ तीन परिवार ही इन फ्लैट में रहते हैं, बाकी पूरी जगह दुकानें खुल गई हैं. यह भी बताया जाता है कि शुरुआत में इन दुकानों का किराया 50 रुपए था लेकिन आज के दौर में इनका किराया 6 से 8 लाख के बीच प्रति माह का है.


सुरक्षित निकाल कर भारत लाए
जानकारी के मुताबिक मार्केट का यह नाम बंटवारे के बाद ही रख दिया गया था. बटवारे के समय जब सांप्रदायिक तनाव चरम था तो उस माहौल में अब्दुल जब्बार लाखों हिंदुओं को पाकिस्तान से सुरक्षित निकाल कर भारत लाए थे. उन्हीं के नाम पर इसका नाम रखा गया था. खान मार्केट में ऐसी-ऐसी दुकानें हैं जहां ऐसी वैरायटी मिल जाती है जो अन्य बाजारों में उपलब्ध नहीं है. इसलिए ज्यादातर लोग खान मार्केट आना पसंद करते हैं. आपको यह मार्केट पसंद आएगी. यहां विविध तरह के सामान मिल जाते हैं.