नई दिल्ली: केरल के कोझिकोड जिले में पिछले दो हफ्ते में एक वायरस 11 लोगों की जान ले चुका है. माना जा रहा है कि ये वायरस ‘निपाह’ है. लोकसभा सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री मुल्लापल्ली रामचंद्रन ने इस वायरस के प्रकोप को रोकने के लिए केंद्र से मदद मांगी है. निपाह वायरस इसलिए सबसे ज्यादा घातक है क्योंकि इसका आज तक कोई इलाज नहीं ढूंढा जा सका है. इसके उपचार के लिए कई दवाइयों का इस्तेमाल होता है, लेकिन वे भी अब तक कारगार साबित नहीं हो सकी हैं. ऐसे में इस वायरस से प्रभावित व्यक्ति की जान बचने की संभावना काफी कम होती है.


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क्या होता है निपाह वायरस
WHO की रिपोर्ट के अनुसार निपाह वायरस चमगादड़ की एक नस्ल में पाया जाता है. यह वायरस उनमें प्राकृतिक रूप से मौजूद होता है. ऐसे में उनके द्वारा खाए गए फल, उनके अपशिष्ट जैसी चीजों के संपर्क में आने पर यह वायरस किसी भी अन्य जीव या इंसान को प्रभावित कर सकता है. ऐसा होने पर ये जानलेवा बीमारी का रूप ले लेता है.


मलेशिया में सबसे पहले सामने आया था मामला
1998 में पहली बार मलेशिया के कांपुंग सुंगई निपाहह में इस वायरस से प्रभावित होने का मामला सामने आया था. जांच में पता चला था कि चमगादड़ द्वारा खाए गए फल या किसी चीज से वहां के सुअरों में ये वायरस फैला जो बाद में इंसानों तक जा पहुंचा. इस वायरस से प्रभावित लगभग 50 प्रतिशत मरीजों की मौत हो गई थी.


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वायरस के लक्षण
निपाह वायरस के शरीर में प्रवेश करने पर प्रभावित व्यक्ति में बुखार, सिरदर्द, चक्कर, सोचने में दिक्कत मानसिक भ्रम जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं. ये वायरस तेजी से फैलता है और दिमाग को प्रभावित करता है, जिससे 48 घंटों के अंदर ही व्यक्ति कोमा में जा सकता है. सही और वक्त पर उपचार नहीं मिलने पर मरीज की मौत हो सकती है.


ये बीमारी छूने से भी फैलती है ऐसे में मरीज से दूरी बनाए रखने की सलाह दी जाती है. एहतियात के तौर पर मरीज की मौत हो जाने की स्थिति में उसके शव को भी न छूने की हिदायत दी जाती है.