Kolkata rape case: कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के रेप और हत्या के मामले में 'खेला' शुरू हो चुका है. अभी तक पुलिस इस मामले की जांच कर रही थी. उसने एक आरोपी को भी पकड़ लिया था. अपने हिसाब से क्राइम की एक परफेक्ट स्टोरी भी तैयार कर दी थी. लेकिन जब मामला जघन्य हो, तो पुलिस, मामला सुलझाने से ज्यादा सेटल करने पर फोकस करती है. शायद इसीलिए पीड़ता के परिवार ने पुलिस जांच पर कई गंभीर सवाल उठा दिए थे.


सबूतों से खिलवाड़ भी शुरू हो गया?


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लेकिन अब मामला सीबीआई के पास जा चुका है. और इसी के साथ वारदात से जुड़े सबूतों से खिलवाड़ भी शुरू हो गया है. सीबीआई ने फिलहाल इस केस से जुड़े सारे सबूत और दस्तावेज अपने ऑफिस मंगवा लिए हैं. आरोपी संजय रॉय से पूछताछ भी शुरू हो गई है. मगर अस्पताल प्रशासन पर आरोप है कि उसने सबूतों से छेड़छाड़ शुरू कर दी है.


तस्वीरें 'आरजी कर मेडिकल कॉलेज' की हैं. कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा है. तोड़फोड़ का काम चल रहा है. यकीनन ये काम कंस्ट्रक्शन वर्कर्स कर रहे होंगे. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि, जिस कमरे में ये काम हो रहा है, वो कमरा सेमिनार हॉल के बिल्कुल बगल में है. इसका एक वीडियो भी वायरल हो रहा है. ये अस्पताल के उसी फ्लोर का वीडियो है, जहां सेमिनार हॉल है.


घटनास्थल के बगल में तोड़फोड़ और कंस्ट्रक्शन


वीडियो में साफ दिख रहा है कि सेमिनार हॉल के सामने कोलकाता पुलिस के लोग बैठे हुए हैं. उसके ठीक बगल में ही कंस्ट्रक्शन का काम हो रहा है. सोचिए कि किसी घटनास्थल पर रेप और मर्डर की बर्बर वारदात हुई है और उस घटना की जांच भी जारी है. बावजूद इसके उसी फ्लोर पर, घटनास्थल के बगल में तोड़फोड़ और कंस्ट्रक्शन का काम करवाया जा रहा है. क्या इसका मकसद वारदात से जुड़े सबूतों को नुकसान पहुंचाना है? इस घटना ने एक बार फिर पीड़ित परिवार के उन सवालों को गंभीर बना दिया है. 


जिसमें उन्होंने बताया था, कि अस्पताल प्रशासन ने वारदात के बाद सबसे पहले, बेटी के बीमार होने की खबर दी थी, फिर उसके बाद आत्महत्या कर लेने की जानकारी दी थी. जबकि उनकी बेटी की हत्या हो चुकी थी. CBI को अब पुलिस की थ्योरी और सच के बीच जो गैप है, उसको भरना है. सीबीआई को कई सवालों के जवाब तलाशने हैं. जैसे


- वारदात में एक ही आरोपी था या कई आरोपी शामिल थे. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट इस ओर इशारा कर रही है.
- वारदात के बाद भी सेमिनार हॉल खुला रखा गया. उसी फ्लोर पर कंस्ट्रक्शन शुरू हो गया है. क्या इसे साजिशन करवाया गया?
- क्या वारदात के बाद सबूतों से छेड़छाड़ की गई?
- अस्पताल प्रशासन ने पीड़ित परिवार से क्यों कहा थी कि बेटी ने आत्महत्या की है. क्या किसी को बचाने की कोशिश थी?
- पीड़ित परिवार को बेटी का शव देखने के लिए 3 घंटे इंतजार क्यों करवाया गया?
- वारदात से पहले पीड़िता के साथ कौन-कौन था, उसने किस किससे बात की थी?
- वारदात को लेकर कॉलेज के प्रिंसिपल से पूछताछ क्यों नहीं की गई?
- पीड़िता के साथ हुई बर्बरता, किसी तरह का प्रतिशोध तो नहीं है?


सीबीआई के सामने 2 चुनौतियां हैं. पहली है वारदात का सच तलाशने की. और दूसरी है राज्य के उन तत्वों से निपटने की, जो वारदात से जुड़े सबूत मिटाने और केस को भटकाने का काम कर रहे हैं. ये वो लोग है जो नहीं चाहते सीबीआई सच तक पहुंच सके. Input DNA