बांदा: कोरोना (Coronavirus) के चलते देशभर में हुए लॉकडाउन ने गरीब मजदूरों की कमर तोड़ दी है.  गुजरात के सूरत में मजदूरी कर रही सात माह की गर्भवती महिला सैकड़ों किलोमीटर की पैदल यात्रा करके अपने दो साल के बच्चे के साथ बांदा जिले के अपने गांव पहुंची है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

बांदा से सूरत की सड़क मार्ग की दूरी 1,066 किलोमीटर है. यह महिला अपने पति के साथ गुजरात के सूरत की एक निजी फैक्ट्री में मजदूरी करती थी, इसके दो साल का एक बच्चा भी है.


ये भी पढ़ें: कोरोना वायरस ने ली पद्म श्री से सम्मानित शख्स की जान, विदेश दौरे से लौटे थे भाई निर्मल सिंह


बांदा जिले के कमासिन थाना क्षेत्र के भदावल गांव की रहने वाली महिला ने बताया कि कोरोना वायरस की वजह से 24 मार्च (मंगलवार) की शाम लॉकडाउन की घोषणा के बाद फैक्ट्री मालिक ने सभी मजदूरों को फैक्ट्री से बिना पगार दिए ही निकाल दिया था. कोई विकल्प न होने पर रेल पटरी के सहारे दो साल के बच्चे को गोद में लेकर हम पैदल ही चल दिए थे. रास्ते में भगवान के अलावा किसी ने मदद कोई नहीं की."


उसने बताया कि "गांव तो बहुत मिले, जहां पीने के लिए पानी और खाने के लिए थोड़ा गुड़ गांव वाले दे देते रहे हैं." महिला ने कहा कि "गुरुवार तड़के सूरत से चले थे और (मंगलवार) सुबह बांदा पहुंच पाए हैं. इतने दिन के सफर में कई बार एंबुलेंस को फोन किया, लेकिन नहीं मिली." 


ये भी पढ़ें: महाराष्ट्र में कोरोना का कहर: अब तक सामने आए 338 मामले, 16 लोगों की मौत


बांदा जिला चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमएस) डॉ. संपूर्णानंद मिश्रा ने बताया कि "यह दंपत्ति मंगलवार बांदा आ पाया है, ट्रॉमा सेंटर में प्राथमिक जांच के बाद इन्हें एंबुलेंस से उनके गांव भदावल भेज दिया गया है. जहां ये अपने घर में 14 दिन तक एकांत में रहेंगे."


LIVE TV