Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के लिए पूरे देश में सियासी जाल बिछना शुरू हो चुका है. सारे दल रणनीति बनाने में लगे हुए हैं. हर बार की तरह इस बार भी रूठने-मनाने का दौर शुरू हो चुका है. महाराष्ट्र में साथ मिलकर सरकार बनाने वाली भाजपा, शिवसेना (शिंदे गुट) और अजीत पवार के एनसीपी गुट में सीट बंटवारे को लेकर तनातनी की खबरें सामने आ रहीं हैं.


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महायुति में सीटों को लेकर तनाव


सूत्रों ने बताया कि आगामी लोकसभा चुनाव के लिए सीटों को लेकर महायुति में कई नेताओं की डिमांड से सियासी समीकरण बिगड़ने के संकेत मिल रहे हैं. अजीत पवार के एनसीपी गुट ने लोकसभा चुनाव के लिए 9 सीटों की मांग की है. वर्तमान की बात करें तो बारामती, सातारा, शिरूर, रायगढ़ से एनसीपी के चार सांसद हैं. एनसीपी ने इन चार सीटो के साथ-साथ दक्षिण मुंबई, धाराशिव, परभणी, भंडारा गोंदिया, छत्रपति संभाजी नगर इन पांच सीटों की डिमांड की है.


एनसीपी की नाराजगी आई सामने


महाराष्ट्र की इन लोकसभा सीटों पर शिवसेना (शिंदे गुट) और बीजेपी अपने उम्मीदवार खड़े करने के प्रयास में है. सीटों की इस लड़ाई में एनसीपी की नाराजगी सामने आने लगी है. सीट बंटवारे को लेकर तीन दलों के गठबंधन महायुति में रस्साकशी के साथ तीनों दल महत्वपूर्ण संख्या में सीटों की मांग कर रहे हैं. महाराष्ट्र में कुल 48 लोकसभा सीटें हैं. 


सबकी अलग-अलग मांग


इससे पहले खबर आई थी कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने 22 सीटों की मांग की है. जबकि उपमुख्यमंत्री अजीत पवार की एनसीपी 11 सीटों की मांग कर रही है. तीसरे गठबंधन सहयोगी बीजेपी के पास मौजूदा लोकसभा में 22 सांसद हैं. हाल ही में देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि गठबंधन सहयोगियों के साथ सीट बंटवारे पर कोई बातचीत शुरू नहीं हुई है. अभी तक किसी ने कोई मांग नहीं रखी है. उन्होंने कहा था कि हम गठबंधन सहयोगियों के साथ सीट बंटवारे पर चर्चा करेंगे और जो भी सीटें तय होंगी, वह उन्हें दी जाएंगी. सीट बंटवारे को लेकर कोई लड़ाई-झगड़ा नहीं है.


भाजपा करेगी फैसला?


मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बीते दिनों शिवसेना नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया था कि शिंदे की सेना ने 22 सीटों की मांग की थी. संयुक्त शिवसेना ने 18 लोकसभा सीटें जीती थीं और चार उम्मीदवार करीबी अंतर से हार गए थे. इसलिए महाराष्ट्र में शिवसेना (शिंदे गुट) को कुल 22 सीटें दी जानी चाहिए. नेता ने कहा था कि कुल 18 लोकसभा सांसदों में से अधिकांश सांसद हमारे साथ हैं. अधिकतम सीटें पाना हमारा अधिकार है. हमने अपनी मांग रख दी है, अब बीजेपी को फैसला करना है.


और बिगड़ सकती है बात


भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा था कि उनकी पार्टी 105 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है. उनके समर्थन से 41 विधायकों वाली पार्टी में एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री हैं. जबकि इतने ही विधायकों के समर्थन वाली दूसरी पार्टी में अजित पवार उपमुख्यमंत्री हैं. अगर शिंदे को 22 सीटें मिलती हैं और अजीत पवार के नेतृत्व वाली राकांपा को 11 सीटें मिलती हैं, तो भाजपा के लिए कितनी सीटें शेष रहेंगी? कुल 48 लोकसभा सीटों में 15 सीटें? वर्तमान में, हमारे पास 22 लोकसभा सांसद हैं और गठबंधन सहयोगी केवल चुनाव लड़ने के लिए कह रहे हैं. ऐसा कैसे हो सकता है?