CM शिवराज के निर्देश पर भू-माफिया के खिलाफ राज्य के इतिहास का सबसे बड़ा एक्शन, जानें
DIG मनीष कपूरिया ने बताया कि 3250 करोड़ की जमीन भूमाफिया से मुक्त कराई गई है. भूमाफिया का इन भूखंडों पर दो दशक से भी ज्यादा वक्त से कब्जा था. इस कार्रवाई से पुष्पविहार के लगभग 1150 और आयोध्यापुरी के लगभग 350 पीड़ितों को न्याय मिला है.
इंदौर: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहाने के निर्देश पर इंदौर पुलिस और जिला प्रशासन की टीम ने जिले में भू-माफिया पर बड़ी कार्रवाई की है. DIG मनीष कपूरिया ने बताया कि इंदौर के खजराना और एमआईजी थाना क्षेत्र में रसूखदार 6 भू-माफिया पर एफआईआर दर्ज की गई है. इंदौर पुलिस और क्राइम ब्रांच के अफसरों सहित करीब 200 पुलिसकर्मियों की चार अलग-अलग टीमें बनाकर बुधवार रात काली कमाई करने वाले भू-माफिया के ठिकानों पर दबिश दी गई.
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देर रात 200 पुलिसकर्मियों की 4 टीमों ने की छापेमार कार्रवाई
DIG मनीष कपूरिया ने बताया कि 3250 करोड़ की जमीन भूमाफिया से मुक्त कराई गई है. भू-माफिया का इन भूखंडों पर दो दशक से भी ज्यादा वक्त से कब्जा था. इस कार्रवाई से पुष्पविहार के लगभग 1150 और आयोध्यापुरी के लगभग 350 पीड़ितों को न्याय मिला है. पुष्प विहार मामले में दिलीप सिसोदिया उर्फ दीपक जैन उर्फ मद्दा, दिपेश वोरा, कमलेश जैन, नसीम हैदर,केशव नचानी,ओमप्रकाश धनवानी के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है.
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मुख्यमंत्री के निर्देश पर हुई जांच, फिर कार्रवाई को दिया अंजाम
अयोध्यापुरी में सुरेंद्र संघवी और प्रतीक संघवी सहित दिलीप सिसोदिया, विमल लोहाड़िया, पुष्पेंद्र नेमा, रणवीर सूदन, दिलीप जैन और मुकेश खत्री पर एफआईआर दर्ज हुई है. इन दोनों मामलों में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान से पीड़ितों ने बीते दिनों मुलाकात कर शिकायत की थी. मुख्यमंत्री ने उन्हें कार्रवाई का आश्वासन दिया था. सीएम ने इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह को इस मामले में जांच के साथ कार्रवाई के निर्देश दिए थे. पिछले चार दिनों में प्रशासन और पुलिस ने मैदानी एक्शन का ब्लू प्रिंट तैयार किया.
जानिए क्या है पूरा मामला?
देवी अहिल्या श्रमिक कामगार ग्रह निर्माण सहकारी संस्था के पदाधिकारियों द्वारा अयोध्या पुरी कॉलोनी काटी गई थी, जिसमें 306 सदस्य हैं. इसमें अधिकांश को प्लाट मिल चुके हैं. रणवीर सिंह सूदन ने 2006 में संस्था की जमीन में से 5 एकड़ भूखंड दूसरी कंपनी को बेच दी थी. कंपनी के डायरेक्टर दीपक जैन मुद्दा और एक अन्य द्वारा इस 5 एकड़ जमीन को 4 करोड़ में दूसरे बिल्डर ग्रुप को बेच दिया गया था, लेकिन जांच में संस्था के पास पैसों का कोई हिसाब नहीं मिला. इसे लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा था.
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