MP Election: दिग्गजों के परिजनों ने संभाली प्रचार की कमान, BJP-कांग्रेस के गढ़ों में दिलचस्प हुई तस्वीर
MP Election: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के परिजनों ने भी प्रचार की कमान संभाल ली है. क्योंकि इस बार मुकाबला कड़ा है.
MP Election: मध्य प्रदेश में इस बार विधानसभा चुनाव बेहद दिलचस्प दिख रहा है. क्योंकि बीजेपी और कांग्रेस की तरफ से पहली बार बड़े नेता न केवल प्रचार कर रहे हैं बल्कि चुनाव लड़ भी रहे हैं. बीजेपी में ऐसे नेताओं की संख्या सबसे ज्यादा है, लिहाजा उन्हें अपनी सीट पर प्रचार के साथ-साथ दूसरी सीटों पर भी प्रचार करना पड़ रहा है. ऐसे में जब जिम्मेदारी बड़ी है तो किसी का साथ चाहिए ही होता है. ऐसे में बीजेपी कांग्रेस के नेताओं के परिजनों ने अपनों के लिए मैदान संभाल लिया है. जिससे चुनाव असरदार है तो प्रचार भी दमदार हो रहा है.
परिजनों ने संभाली प्रचार की कमान
दरअसल, मध्य प्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस के कई प्रत्याशियों को दूसरी सीटों पर भी प्रचार करना पड़ रहा है. ऐसे में उनकी सीटों पर परिजनों ने प्रचार संभाल लिया है. ताकि प्रचार में किसी भी प्रकार की कमी न रह पाए. शिवराज सरकार में शामिल सभी मंत्रियों के परिजन प्रचार में जुटे हैं तो कांग्रेस के बड़े नेता भी प्रचार में जुटे हैं, ऐसे में उनके परिजन भी गांव-गांव शहर-शहर प्रचार में जुट गए हैं.
बेटा-बहुओं ने संभाली कमान
बीजेपी की तरफ सीएम शिवराज, नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद सिंह पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते, कैलाश विजयवर्गीय, गोपाल भार्गव, जैसे दिग्गज नेता चुनाव लड़ रहे हैं. ये सभी नेता स्टार प्रचारक की जिम्मेदारी में भी हैं. ऐसे में ये नेता लगातार दूसरी सीटों पर प्रचार भी कर रहे हैं, जिससे परिजनों ने प्रचार का जिम्मा संभाला है. सीएम शिवराज के लिए बुधनी सीट पर उनके बेटे कार्तिकेय चुनाव और पत्नी साधना सिंह चौहान प्रचार कर रही हैं. तो नरेंद्र सिंह तोमर के दोनों बेटों ने दिमनी सीट पर प्रचार का काम संभाला है. क्योंकि तोमर लगातार दूसरी सीटों पर प्रचार में जुटे हैं. ऐसे में यहां तोमर के बेटे ही एक्टिव नजर आ रहे हैं.
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गोपाल भार्गव के बेटे-बहू ने संभाला मैदान
बीजेपी सरकार में सीनियर गोपाल भार्गव रहली विधानसभा सीट से लगातार 8 विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं, जबकि वह 9वीं बार चुनाव मैदान में हैं. बीजेपी ने उन्हें स्टार प्रचारक भी बनाया है. ऐसे में वह दूसरी सीटों पर भी एक्टिव हैं, खास बात यह भी हैं कि गोपाल भार्गव पिछले तीन चुनावों से प्रचार में नहीं जाते, उनके बेटे अभिषेक भार्गव ही प्रचार की कमान संभालते हैं, लेकिन इस बार उन्हें अपनी पत्नी का शिल्पी भार्गव का भी साथ मिला है. शिल्पी भी अपने ससुर के लिए रहली विधानसभा सीट पर प्रचार में जुटी हैं. ऐसे में पहली बार गोपाल भार्गव के बेटे और बहू चुनाव प्रचार में जुटे हैं.
पढ़ाई से ब्रेक, प्रचार तेज
बीजेपी के दूसरे नेताओं के परिजन भी प्रचार में जुटे हैं. मंत्री विश्वास सारंग का पूरा परिवार प्रचार कर रहा है. उनकी बेटे और बेटी ने पढ़ाई से ब्रेक लेकर अपने पिता के लिए नरेला विधानसभा सीट पर प्रचार तेज कर दिया है. जबकि उनकी पत्नी भी लगातार महिलाओं के बीच जाकर प्रचार कर रही हैं. बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के परिजनों ने भी इंदौर-1 सीट पर प्रचार संभाल लिया है. बेटा आकाश विजयवर्गीय के साथ-साथ उनकी बहुएं भी प्रचार में जुटी हैं. इसी तरह प्रहलाद पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते और राकेश सिंह के परिजन भी प्रचार में जुट गए हैं.
जयवर्धन सिंह का बेटा कर रहा प्रचार
दिग्विजय सिंह के बेटे और कांग्रेस प्रत्याशी जयवर्धन सिंह के प्रचार की जिम्मेदारी उनके बेटे सहस्त्रजय ने संभाली है, खास बात यह है कि सहस्त्रजय की उम्र अभी पांच साल के आस-पास ही है, लेकिन जब वह अपनी मां श्रीजाम्या के साथ प्रचार के लिए जाते हैं तो लोग उन्हें देखने के लिए जुट जाते हैं. सहस्त्रजय इतनी छोटी उम्र में ही अच्छा भाषण देते हैं, ऐसे में वह ग्रामीण इलाकों में लोगों के बीच लोकप्रिय हो रहे हैं. जयवर्धन सिंह की तरह कांग्रेस प्रत्याशी विपिन वानखेड़े के दो साल का बेटा रिदिम भी अपने परिजनों के साथ प्रचार में जा रहा है.
जीतू पटवारी का परिवार भी प्रचार में जुटा
कांग्रेस के सीनियर विधायक और दिग्गज नेता जीतू पटवारी का परिवार भी पहली बार प्रचार में जुटा नजर आ रहा है. क्योंकि जीतू पटवारी को दूसरी सीटों पर भी प्रचार की जिम्मेदारी मिली है. ऐसे में उनकी पत्नी और बेटे ने राऊ सीट पर प्रचार की जिम्मेदारी संभाली है. जीतू पटवारी का मुकाबला बीजेपी के मधु वर्मा से हैं जिन्होंने 2018 के विधानसभा चुनाव में उन्हें कड़ी टक्कर दी थी. पटवारी इस चुनाव में 5703 वोटों से जीते थे. ऐसे में इस बार वह प्रचार में पूरी ताकत लगा रहे हैं.
परिजनों के प्रचार का पुराना रिवाज
दरअसल, मध्य प्रदेश में ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है, जब परिजन प्रचार में जुटे हों. प्रदेश की राजनीति में प्रचार की परंपरा पुरानी रही है. ऐसे में इस बार के चुनाव में भी लगभग सभी 230 विधानसभा सीटों पर कोई अपने बेटे के लिए तो कोई पिता के लिए वोट मांग रहा है. इसी तरह पत्नियां अपने पतियों के प्रचार में जुटी हैं, तो कई सीटों पर पतियों ने भी पत्नियों के प्रचार की कमान संभाल रखी है. इसके अलावा प्रत्याशियों के भाई-भतीजे, बेटा-बेटी के साथ-साथ दूसरे परिजन भी प्रचार कर रहे हैं.
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