Chhagan Bhujbal: छगन भुजबल दिखा सकते हैं 'बाहुबल', क्या अजित पवार के लिए साबित होंगे 'कट्टप्पा'?

Chhagan Bhujbal in Maharashtra: NCP (अजित पवार) के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल पार्टी से नाराज चल रहे हैं. उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया, इस कारण वे खफा हैं. छगन महायुति छोड़ने पर भी विचार कर रहे हैं. वे कह चुके हैं कि जहां नहीं चैना, वहां नहीं रहना.

Written by - Ronak Bhaira | Last Updated : Dec 18, 2024, 12:39 PM IST
  • NCP के वरिष्ठ नेता हैं छगन भुजबल
  • लगातार 5वीं बार जीते विधानसभा चुनाव
Chhagan Bhujbal: छगन भुजबल दिखा सकते हैं 'बाहुबल', क्या अजित पवार के लिए साबित होंगे 'कट्टप्पा'?

नई दिल्ली: Chhagan Bhujbal in Maharashtra: महाराष्ट्र में बड़ी सियासी उथल-पुथल हो सकती है. पहले महाराष्ट्र एकनाथ शिंदे की नाराजगी की वजह से चर्चा में था. अब एक और नेता की नाराजगी सामने आई है. सूत्रों का दावा है कि NCP (अजित पवार गुट) के नेता छगन भुजबल महायुति छोड़ने पर आज फैसला ले सकते हैं. वे मंत्री पद न मिलने से नाराज माने जा रहे हैं. यही कारण है कि अब छगन भुजबल अपने सियासी भविष्य को लेकर नई राह चुनने पर विचार कर सकते हैं. 

अजित पवार ने काटा पत्ता
ऐसा कहा जा रहा है महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस छगन भुजबल को अपनी कैबिनेट में लेना चाहते थे. लेकिन अजित पवार ने ऐन वक्त पर छगन भुजबल का नाम कैबिनेट की लिस्ट से कटवा दिया. खुद छगन भुजबल ने कहा कि मैं जानता हूं कि मुख्यमंत्री मुझे कैबिनेट में शामिल करना चाहते थे. मैंने इसकी पुष्टि भी की. जैसे  भाजपा में देवेंद्र फडणवीस और शिवसेना में एकनाथ शिंदे फैसला करते हैं, थी वैसे ही NCP में आखिरी फैसला अजित पवार ही करते हैं.

नाराज भुजबल ने क्या कुछ कहा?
छगन भुजबल ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा- मैं कोई खिलौना नहीं हूं, जिसके साथ वे मनमर्जी से खेलें. क्या आपको लगता है कि जब आप कहेंगे मैं खड़ा हो जाऊंगा, जब आप कहेंगे मैं बैठ जाऊंगा और चुनाव लड़ूंगा? अगर मैं इस्तीफा दे दूं तो मेरे क्षेत्र के लोग क्या महसूस करेंगे? जब मैं दूसरी पार्टियों में था, तब भी मेरी बातों को तवज्जो दी जाती थी. फिर चाहे शिवसेना हो, कांग्रेस हो या शरद पवार की NCP. भुजबल ने यहां तक कह दिया था कि जहां नहीं चैना, वहां नहीं रहना.

सब्जी बेचने से लेकर सियासत करने तक
छगन भुजबल ने लंबा राजनीतिक सफर तय किया है. वे शिवसेना, कांग्रेस और NCP में रहे हैं. NCP में बगावत के समय वे अजित पवार गुट में आ गए. इससे पहले वे शरद पवार के करीबियों में सेक थे. राजनीति में में आने से पहले छगन बायकुला मार्केट में सब्जियां बेचते थे. छगन महाराष्ट्र में कई दफा मंत्री रह चुके हैं. वे 18 अक्टूबर 1999 से 23 दिसंबर 2003 तक महाराष्ट्र के डिप्टी CM भी रहे. शिंदे सरकार में भी छगन कैबिनेट मंत्री थे. छगन भुजबल ने शरद पवार का साथ अजित के कारण नहीं छोड़ा था. वह तो शरद पवार के वफादार हुआ करते थे. दरअसल, छगन भुजबल अविभाजित NCP के प्रदेश अध्यक्ष बनना चाहते थे. उन्होंने तब कहा भी था- NCP का प्रदेश अध्यक्ष कोई ओबीसी वर्ग का व्यक्ति बने. मुझे नहीं तो जितेंद्र आव्हाड को बना दो. भुजबल को ये कुर्सी नहीं मिली, तो वे अजित गुट के साथ हो लिए.

भुजबल कितने ताकतवर?
पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र में 52 फीसदी OBC समुदाय है. भुजबल NCP में OBC समुदाय के सबसे बड़े लीडर माने जाते हैं. सूबे की 62 विधानसभा सीटों पर OBC वोटर्स निर्णायक भूमिका में हैं. महाराष्ट्र की येवला विधानसभा सीट से इस बार छगन भुजबल लगातार 5वीं बार चुनाव जीते हैं. भुजबल ने एनसीपी (SP) के प्रत्याशी माणिकराव शिंदे को चुनाव हराया. NCP (अजित पवार) में कई ऐसे विधायक मंत्री हैं, जो भुजबल के खास माने जाते हैं. भुजबल की ताकत का अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि अजित पवार ने दो नेताओं के दम पर NCP तोड़ी, इनमें पहला नाम प्रफुल्ल पटेल और दूसरा नाम छगन भुजबल का है. ऐसे में भुजबल पार्टी छोड़ते हैं तो NCP में खलबली मचना तय है.

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