बलराम नायक: छत्तीसगढ़ के गरियाबंद के 13 साल के पीयूष जायसवाल दुनिया के सबसे कम उम्र के साइंटिस्ट (world youngest scientist) बन गए हैं. इससे पहले यह उपलब्धि महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आईंस्टीन के नाम थी. अल्बर्ट आइंस्टीन (Albert Einstein) को 17 साल की उम्र में सबसे कम उम्र के साइंटिस्ट होने का प्रमाणपत्र मिला था. दुनिया की सबसे बड़ी शोध संस्थाओं में से एक इंटरनेशनल जरनल्स ऑफ साइंटिफिक एंड इंजीनियरिंग (IJSER) ने अब पीयूष जायसवाल के नाम ये प्रमाणपत्र जारी किया है. 


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रिसर्च पर IJSER ने लगाई मुहर 
8वीं के छात्र पीयूष जायसवाल ने ब्रह्मांड के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी हासिल की है. 6 महीने की मेहनत से उन्होंने 20 पन्नों का शोध तैयार किया है, जिसमें में उन्होंने बताया कि ब्रम्हांड गुरुत्वाकर्षण बल पर टिका हुआ है और यह कैसे नष्ट हो सकता है. उनके इस शोध पर दुनिया की सबसे बड़ी शोध संस्थाओं में से एक IJSER ने मुहर भी लगा दी. IJSER ने पीयूष के शोध की बारीकी से जांच की और जांच में सबकुछ तथ्यगत पाए जाने के बाद उसे अप्रूवल दे दी. संस्था ने 1 मार्च को पीयूष को पीएचडी का सर्टिफिकेट भी जारी कर दिया. 


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किताब का विमोचन पीएम मोदी से कराने की अपील
बेटे की उपलब्धि पर परिवार बेहद खुश है. क्षेत्र के लोग भी पीयूष की उपलब्धि पर जश्न मना रहे हैं. मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाले पीयूष के परिवार की इच्छा है कि पीयूष ने जो किताब लिखी है, उसका विमोचन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या फिर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के हाथों हो. पीयूष को बचपन में दादा ने कहानी सुनाते हुए बताया था कि पृथ्वी शेषनाग के फन पर टिकी है. 13 साल के पीयूष ने अब ये सिद्ध कर दिया है कि पृथ्वी शेष नाग के फन पर नहीं बल्कि गुरुत्वाकर्षण बल पर टिकी है और गुरुत्वाकर्षण बैलेंस बिगड़ने पर कभी भी ब्रह्मांड का विनाश हो सकता है. इस उपलब्धि की प्रदेश ही नहीं देशभर में चर्चा हो रही है और लोग पीयूष जायसवाल को बधाई दे रहे हैं. 


 


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