पुलिस ने मानवता की ऐसी मिसाल पेश की है, जिसकी हर जगह तारीफ हो रही है. जूनी इंदौर पुलिस को एक भटकता हुआ बच्चा मिला, जो हिंदी ना बोल पा रहा था ना समझ पा रहा था. वो तमिल में बात कर रहा था. ऐसे में उसके परिवार वालों को और घर को ढूंढना बड़ी चुनौती बन गई थी.
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सुधीर दीक्षित/इंदौर: पुलिस ने मानवता की ऐसी मिसाल पेश की है, जिसकी हर जगह तारीफ हो रही है. जूनी इंदौर पुलिस को एक भटकता हुआ बच्चा मिला, जो हिंदी ना बोल पा रहा था ना समझ पा रहा था. वो तमिल में बात कर रहा था. ऐसे में उसके परिवार वालों को और घर को ढूंढना बड़ी चुनौती बन गई थी. इंदौर पुलिस ने गूगल का सहारा लेने का तय किया, जिससे बच्चे को सुरक्षित घर पहुंचाया जा सके.
सड़क पर भटक रहा बच्चा हिंदी नहीं जानता था. ऐसे में पुलिस ने गूगल ट्रांसलेट की मदद ली और उसकी भाषा को समझा. दरअसल, बच्चा जूनी इंदौर क्षेत्र में पुलिस को पेट्रोलिंग के दौरान लोहा मंडी में भटकता मिला था. वो हिंदी भाषा नहीं जानता था. काफी मशक्कत के बाद पुलिस ने बच्चे को घर पहुंचने का तरीका निकाला. गूगल ट्रांसलेटर से उप निरीक्षक सौरभ कुशवाहा ने तमिल भाषा समझी. बच्चे की भाषा को हिंदी में ट्रांसलेट किया और समस्या सुनी और थाने लेकर पहुंचे. बच्चे ने पुलिस को बताया कि वो 2 दिन से भूखा है.
मामले को गंभीरता से लेते हुए जूनी थाना प्रभारी अभय नेमा ने सबसे पहले उसे खाना खिलाया. इसके बाद उसकी बातों को ट्रांसलेट किया. पता मिलने के बाद जीआरपी पुलिस से संपर्क कर बच्चे को सुरक्षित तमिलनाडु स्थित मदुरई में उसके घर के लिए रवाना किया. शहर में इस खबर का पता लगते ही हर कोई इंदौर पुलिस की तारीफ कर रहा है और इसे सिर्फ उनकी ड्यूटी नहीं मानवता की मिसाल कर रहे हैं.
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