शैलेंद्र सिंह बघेल/बलरामपुर: छत्तीसगढ़ सरकार का नारा 'आ पढ़े बर, जिंदगी गढ़े बर' फेल होता नजर आ रहा है. यहां बलरामपुर जिले के शिक्षक शराब के नशे में स्टूडेंट्स को गलत शिक्षा दे रहे हैं. शिक्षकों को स्पेलिंग ठीक से लिखते नहीं आ रही, यहां तक कि कुछ को राष्ट्रपति का नाम तक ठीक से नहीं पता. बच्चे गलत शिक्षा लेने पर मजबूर हो रहे हैं, वहीं ऑफिस में बैठकर अधिकारी कार्रवाई करने का हवाला मात्र दे रहे हैं. 


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महीनों की अंग्रेजी स्पेलिंग तक नहीं लिख सके
राज्य के बलरामपुर जिले में जी मीडिया संवाददाता शैलेंद्र सिंह बघेल ने शिक्षा का हाल जाना. शंकरगढ़ विकासखंड के पहाड़ी क्षेत्र जोकापाठ में आदिवासी बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाने के लिए शासन ने सरकारी स्कूल खोले. बगीचा पारा में सहायक शिक्षक और शिक्षक संघ के ब्लॉक अध्यक्ष महोदय की नियुक्ति हैं. यहां के शिक्षक बैजनाथ यादव से जब अंग्रेजी के महीनों के नाम लिखने को कहा गया तो उन्होंने महीनों के नाम की स्पेलिंग ही गलत लिख दी. इतना ही नहीं उन्होंने इसे बच्चों को भी पढ़ाया. 


शिक्षक बैजनाथ से फिर जिला कलेक्टर और देश के राष्ट्रपति का नाम पूछा गया तो वो उनका नाम भी नहीं बता सके. 


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शराब के फायदे बता रहे शिक्षक
दूसरा मामला लहशुन पाठ के ट्रडुआ प्राथमिक विद्यालय से सामने आया, यहां शिक्षक सलमन राम पैकरा ने बताया कि वह शराब पीकर रोज स्कूल आते हैं. इतना ही नहीं उन्होंने शराब पीने के फायदे भी बताए. अंग्रेजी महीनों के नाम तक में इन्होंने उल्टा F बना दिया. 


कहीं आलू उगा रहे बच्चे
तीसरा मामला जोकापाठ के गिरधा सरई प्राथमिक विद्यालय से सामने आया, यहां का स्कूल समय से पहले ही बंद हो गया. आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सुनीता यादव ने बताया कि यहां के शिक्षक अक्सर शराब के नशे में स्कूल आते हैं. आज भी आए थे, लेकिन परिजन अपने बच्चों को आलू के खेत में ले जाकर काम करवाने में लग गए. बता दें कि जिले के पाठ क्षेत्र में आलू की बड़े पैमाने पर खेती होती है. आलुओं को अन्य राज्यों में भी भेजा जाता है, ज्यादा रुपयों के लालच में ही माता-पिता अपने बच्चों को स्कूल के बजाय खेतों में काम पर लगा देते हैं.


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जल्द लेंगे एक्शन- शिक्षा अधिकारी
जिले में शिक्षा के हाल पर विकासखंड शिक्षा अधिकारी हरिशंकर सिंह से बात की गई. उन्होंने कहा कि शिक्षकों पर एक्शन लिया जाएगा. लेकिन ये जानकारी भी उन्हें किसी ओर से मिली. अगर BEO खुद समय-समय पर स्कूलों का दौरा करते तो शायद इन स्कूलों के हालात थोड़े बेहतर होते. वहीं दूसरी ओर जिले में नए कलेक्टर की पदास्थापना हो गई, जिन्होंने शिक्षा व स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहतर काम करने की बात कही. 


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