छत्तीसगढ़ में जैविक खेती को मिलेगा बढ़ावा, सीएम बघेल ने की इस योजना की शुरुआत
छत्तीसगढ़ में जेविक खेती के बढ़ावा के लिए छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेस बघेल द्वारा भूमि पूजन कर योजना की शुरुआत की गई है. इस अभियान के तहत लोगों को जैविक खाद, वर्मी कंपोस्ट और गौमूत्र के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए जागरुक किया जाएगा.
रायपुर: आधुनिकता के इस दौर में आज रासायनिक खेती की वजह से फसलों का उत्पादन तो पर्याप्त मात्रा में हो रहा है. लेकिन इसकी वजह से लोगों के अंदर तरह-तरह की बीमारियां भी फैलती हैं. सरकार जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चलाकर लोगों को जागरुक कर रही है. ऐसे में आज अक्षय तृतीया के शुभ मुहूर्त में छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल द्वारा रायपुर के इंदिरा गांधी कृषि विश्विद्यालय में माटी पूजन अभियान की शुरुआत की गई है. इस अभियान के तहत लोगों को जैविक खाद, वर्मी कम्पोस्ट और गौमूत्र के उपयोग को बढ़ावा देने के साथ लोगों को रासायनिक खेती के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक किया जाएगा.
जैविक खेती का फायदा
जैविक खेती से अभिप्राय है कि इस खेती में पूरी तरह से प्रकृतिक चीजों का इस्तेमाल होता है. इस खेती की खास बात यह है कि इसमें लागत कम लगती है, साथ ही इससे पैदा होने वाले उत्पाद बाजार में महंगे दामों पर बिकती है. जैविक खेती करने के सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे पैदा होने वाले उत्पाद से पर्यावरण को नुकसान नहीं होता है. साथ ही इसे खाने से शरीर भी स्वस्थ्य रहता है. दरअसल जैविक खेती से पैदा होने वाले फसल पूरी तरह से केमिकल रहित होते हैं और इसमें प्रचुर मात्रा में पोषण तत्व पाया जाता है.
जानिए कैसे करें जैविक खेती
जैविक खेती के लिए सबसे महत्वपुर्ण चीज होता है पशुओं का गोबर जैविक खेती में पशुओं के गोबर को राख में मिलाकर घोल तैयार किया जाता है. इसे पानी के साथ पौधों को दिया जाता है. जैविक खेती में फसलों को कीट से बचाव के लिए राख का प्रयोग किया जाता है.
अगर आप जैविक खेती करने के लिए लोन लेना चाहते हैं तो इसके लिए आसानी से लोन मिल जाता है. जैविक खेती के लोन के लिए आपके पास कम से कम पांच एकड़ जमीन होना चाहिए. जैविक खेती के लिए पांच एकड़ जमीन पर एक लाख रुपए तक का लोन मिलता है. सरकार की तरफ से इस लोन पर किसान को 20 प्रतिशत तक सब्सिडी मिल सकती है.
वर्मी कंपोस्ट विधि
वर्मी कंपोस्ट विधि से खेती करने के लिए आपको सबसे पहले 2-3 फुट की चौड़ाई या अपने आवश्यकता अनुसार गाय-भैंस के लिए बिछाए गए पुआल और खरपतवार के अवशेष से एक बेड बनाना होता हैं. अब इसमें आपको पशुओं के गोबर से भरना होगा तथा इसमें केचुएं डालने होंगे. जो गोबर और खरपतवार के अवशेष को जैविक खाद में बदल देते हैं. इसी क्रम में गोबर के हिसाब से अपनी आवश्यकता के अनुसार एक के बाद एक बेड बनाकर जैविक खाद बना सकते हैं.
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