छत्तीसगढ़ की Unique Holi, यज्ञ की राख से खेली जाएगी होली, गौ माता करेगी भ्रमण
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छत्तीसगढ़ की Unique Holi, यज्ञ की राख से खेली जाएगी होली, गौ माता करेगी भ्रमण

Happy Holi 2024: छत्तीसगढ़ के एक गांव में होली से पहले गौ माता की पूजा करने की परंपरा है. 16 साल पहले विश्व शांति ब्रह्मयज्ञ किया था. तब से होली के 5 दिन पहले हर साल इस यज्ञ की शुरुआत होती है. 

छत्तीसगढ़ की Unique Holi, यज्ञ की राख से खेली जाएगी होली, गौ माता करेगी भ्रमण

Happy Holi 2024: छत्तीसगढ़ के एक गांव में होली से पहले गौ माता की पूजा करने की परंपरा है. गरियाबंद के मैनपुर में कांडसर गौशाला में होली के 5 दिन पहले गौ-सेवा पर आधारित मेला लगता है. इस मेले में गौ सेवा यात्रा, कलश यात्रा, गौ अभिनंदन और फिर ब्रह्म यज्ञ होता है. यज्ञ के बाद यज्ञ की राख से होली खेली जाती है. इसके बाद असली खेल शुरू होता है.

दरअसल यहां होली खेलने के पहले अनुष्ठान में गौ माता के रास्ते पर सूती कपड़ा बिछाया जाता है. जिस पर गौ माता चलती है फिर भक्त गौ माता को अपने ऊपर से निकालते हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से लोगों रोग से मुक्ति मिलती है. 

यहां गौ माता, पलास वृक्ष और चमगादड़ मुख्य अतिथि
कांडसर गौ सेवा केंद्र के संचालक बाबा उदयनाथ है. इन्होंने 16 साल पहले विश्व शांति ब्रह्मयज्ञ किया था. तब से होली के 5 दिन पहले हर साल इस यज्ञ की शुरुआत होती है. इस यज्ञ में बाबा उदयनाथ भगवा वस्त्र पहन कर ध्यान मुद्रा में रहते हैं. इसके बीच वह प्रकृति की सभी खूबसूरत देन का स्मरण करते हैं. प्रकृति के प्रति आस्था दर्शाने वाले इस आयोजन में अतिथि भी प्रकृति के पहरेदार ही होते हैं. 

इस आयोजन में गौ माता मुख्य अतिथि होती हैं. पलाश वृक्ष, गुबरेल कीट और चमगादड़ को इस बार विशेष अतिथि का दर्जा मिला है. अतिथियों की सेवा में कोई भी कमी नहीं होती है. सैकड़ों गांव वाले अपने सिर पर कलश रख कर 3 किमी दूर तक आयोजन स्थल पर लाते हैं. साथ में रास्ते पर सफेद कपड़े की कालीन बिछा कर उस पर नाचते गाते आते हैं. फिर होलिका दहन की रात के बाद ब्रह्म मुहूर्त में पूर्णाहुति के बाद बाल भोग, गौ पूजन के साथ हवन की राख से तिलक लगाकर होली खेली जाती हैं.
  
22 मार्च को कलश यात्रा
इस वर्ष 22 मार्च को कलश यात्रा और गौ अभिनंदन से यज्ञ की शुरुआत हो गई है. आज यानी 23 मार्च को ब्रह्म मूहुर्त में यज्ञ प्रारंभ हो चुका है. जो 24 मार्च तक लगातार जारी रहेगा. 25 मार्च को होली के पावन अवसर पर पूर्ण आहुति और हवन कुंण्ड के राख से होली का तिलक लगाकर होली खेली जाएगी तथा गौ पूजा के साथ इस आयोजन का समापन होगा.  बता दें कि इस बार 15 हजार से भी अधिक भीड़ जुटने की संभावना है. 

गाय निकलती है ऊपर से
बाबा उदयनाथ कहते हैं कि प्रकृति जो हमें सब कुछ देती है. उसका भी हमें सम्मान करना चाहिए. गौ पग बाधा, रोगों को दूर करती है, इस पूरे आयोजन में गौ पग बाधा बनने का रिवाज भी प्रमुख माना गया है. गौ पग बाधा यानी गाय को अपने ऊपर से निकालना. मान्यता है कि भ्रमण से लौट कर आने वाले गौ माता के रास्ते में लेट कर जो व्यक्ति गौ पग बाधा बनते है और जिनके शरीर से गौ माता पार हो कर गुजरती है उनके शारीरिक कष्ट दूर हो जाते है. इसी मान्यता के चलते स्थानीय लोगों के अलावा दूर दराज से आए लोग गाय के रास्ते मे लेट जाते हैं. अब तक किसी भी श्रद्धालु को गाय के चलने से नुकसान न होना इसकी सत्यता को भी प्रमाणित करता है.  

रिपोर्ट- थानेश्वर साहू

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