छत्तीसगढ़ सरकार का बड़ा फैसला, अब स्कूलों में दिखेगा यह बदलाव
छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा विभाग ने एक बड़ा बदलाव किया है, अब स्कूलों में राष्ट्रगान के बाद राज्यगीत गाया जाना भी अनिवार्य रहेगा. प्रदेश के सभी स्कूलों में अब राज्यगीत का गायन होगा.
रायपुर। छत्तीसगढ़ के सभी स्कूलों में अब एक और बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा. प्रदेश के सभी स्कूलों में होने वाली प्रार्थना सभा को लेकर राज्य के स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा एक बड़ा निर्देश जारी किया गया है. जिसके तहत राष्ट्रगान के बाद अब सभी स्कूलों में राज्यगीत गाया जाना भी अनिर्वाय रहेगा.
राज्यगीत के लिए समय किया गया निर्धारित
स्कूलों में राष्ट्रगान के बाद अब राज्यगीत अनिवार्य रूप से गाया जाएगा. स्कूलों में राष्ट्रगान से प्रार्थना सभा की शुरुआत होगी और राज्य गीत "अरपा पैरी के धार" गाने के साथ समापन किया जाएगा. प्रार्थना सभा में राज्य गीत के लिए 1 मिनट 15 सेकंड, शपथ के लिए 1 मिनट, प्रेरणा गीत के लिए 2 मिनट समाचार वाचन के लिए 5 मिनट, नैतिक और प्रेरक कहानी के लिए 5 मिनट और राष्ट्रगान के लिए 52 सेकंड का समय निर्धारित किया गया.
स्कूल शिक्षा विभाग की तरफ से बताया गया कि शाला की उच्चतम कक्षा में अध्ययन करने वाले उन पांच छात्रों द्वारा स्कूल के दूसरे सभी बच्चों को राज्य गीत "अरपा पैरी के धार" करवाया जाएगा. जिन छात्रों ने मासिक आकलन अपनी कक्षा में सर्वाधिक अंक प्राप्त किए हैं, उसी के आधार पर प्रतिमाह प्रार्थना सभा के आयोजन के लिए विद्यार्थियों का चयन किया जाएगा. शाला नायक द्वारा विद्यार्थियों को देश और प्रदेश की एकता समृद्धि के लिए शपथ दिलाई जाएगी.
"अरपा पैरी के धार" छत्तीसगढ़ का राज्यगीत
बता दें कि छत्तीसगढ़ के रहने वाले नरेंद्र वर्मा के लोकप्रिय गीत "अरपा पैरी के धार" को प्रदेश के राज्यगीत का दर्जा मिल चुका है. 2019 में इसे छत्तीसगढ़ का राज्यगीत घोषित किया गया था. जिसके बाद से ही इस गीत का आयोजन सभी सरकारी कार्यक्रमों में किया जाता था. लेकिन अब इसे स्कूलों में गाया जाना भी अनिवार्य कर दिया है.
प्रेरणा गीत भी गाया जाएगा
इसके अलावा स्कूलों में एक प्रेरणा गीत भी गाया जाएगा. जिसका चयन स्कूलों द्वारा किया जाएगा. कोरोना की पांबदियां हटने के बाद पहली बार शुरू हो रहे शैक्षणिक सत्र-2022-23 में इस बार स्कूलों में कई बदलाव देखने को मिलेंगे. जिसके तहत स्कूलों में कई बदलाव किए गए हैं.
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