Chhattisgarh News: दुर्ग में खतरे में 'संविधान', जिला प्रशासन-नगर निगम पर उठे सवाल, जानिए क्या है माजरा?
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Chhattisgarh News: दुर्ग में खतरे में 'संविधान', जिला प्रशासन-नगर निगम पर उठे सवाल, जानिए क्या है माजरा?

Durg News: दुर्ग में संविधान चौक, जिसे भारत के संविधान और स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान में बनाया गया था, उसकी हालात बहुत ही ज्यादा खराब हो चुकी है. क्रांति की मशाल बुझ चुकी है.  दुर्ग कलेक्ट्रेट के नज़दीक होने के बावजूद, इसकी गरिमा को बहाल करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है.

Durg Constitution Chowk

Durg Constitution Chowk:  लोकसभा चुनाव 2024 में संविधान बड़ा मुद्दा बना. विपक्षी पार्टियों ने संविधान को खतरा बताकर वोट मांगे और इसका असर भी कई राज्यों में भी दिखा. चुनाव के बाद ये मुद्दा फिलहाल ठंडा हो गया दिखता है, लेकिन दुर्ग जिले में फिलहाल संविधान की याद में बना चौक खतरे में दिख रहा है.  संविधान की याद में बनाया गया संविधान चौक अब जर्जर हो चुका है. क्रांति की मशाल बुझ चुकी है, पौधे सूख गए हैं, और बिजली व्यवस्था चरमरा चुकी है. यह चौक असामाजिक तत्वों का अड्डा बन गया है, जहां लोग नशा करते हैं और कचरा फैलाते हैं. जिला प्रशासन, जनप्रतिनिधि और नगर निगम इस चौक की अनदेखी कर रहे हैं.

शहर के बीचो-बीच संविधान चौक
दरअसल, 14 अगस्त 2003 को दुर्ग नगर निगम की तात्कालिक शहर सरकार ने दुर्ग शहर के बीचो-बीच एक संविधान चौक का निर्माण करवाया, जिसमें संविधान की पुस्तिका और क्रांति की मशाल भी बनाई गई थी. क्रांति की मशाल कई सालों तक जलती रही, लेकिन पिछले कुछ सालों से अब ये मशाल पूरी तरह बुझ चुकी है. 

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बता दें कि दुर्ग के मुख्य चौक डॉ.राजेंद्र प्रसाद चौक से चंद कदमों की दूरी पर संविधान चौक बनाया गया है, जिसमें 15 फीट की संविधान की किताब संगमरमर से बनाई गई है और 25 फीट की क्रांति की मशाल भी बनाई गई है. इस किताब में बाकायदा भारत का संविधान और उद्देशिका भी लिखी हुई है. संविधान की उद्देशिका के साथ दूसरे पन्ने में 108 से ज्यादा स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के नाम भी लिखे हुए हैं जिन्होंने भारत को आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, लेकिन इस संविधान चौक की हालत पूरी तरह जर्जर हो चुकी है. 

असामाजिक तत्वों का जमावड़ा
संविधान चौक को आकर्षक बनाने के लिए जितने पौधे लगाए गए थे, सभी कई सालों से पूरी तरह नष्ट हो चुके हैं. वहीं, विद्युत व्यवस्था भी पूरी तरह चौपट हो चुकी है. संविधान चौक पर पूरी तरह असामाजिक तत्वों का जमावड़ा हो चुका है. लोग यहां अब नशा करने के साथ संविधान की किताब के बगल में पेशाब भी करते हैं. संविधान चौक के आसपास कचरे का ढेर लगा पड़ा है. फिर भी दुर्ग कलेक्ट्रेट के चंद कदमों की दूरी पर, जहां से दिन में कई बार जिला कलेक्टर और तमाम प्रशासन के आला अधिकारियों के अलावा जनप्रतिनिधियों की आवाजाही भी लगी रहती है, संविधान की शपथ लेने वाले लोगों को इस संविधान चौक की कोई फिक्र नहीं है. 

दुर्ग में खतरे में 'संविधान' 
इस संविधान चौक पर ना तो जिला प्रशासन, ना ही जनप्रतिनिधि और ना ही इसकी रखरखाव करने वाली नगर निगम ने इसकी सुध ली है. संविधान चौक पूरी तरह जर्जर हो चुका है. यह कहना बिल्कुल उचित है कि दुर्ग में 'संविधान' पूरी तरह खतरे में है. इसे खतरे से बाहर निकालने के लिए जिला प्रशासन या नगर निगम को संविधान चौक की गरिमा को वापस लौटाकर संविधान को खतरे से बाहर निकालना जरूरी है.

रिपोर्ट: हितेश शर्मा (दुर्ग)

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