CG News: मां की ममता की बात तो हर कोई करता है, लेकिन पिता के संघर्ष से कम ही लोग वाकिफ होते हैं. मां नस्ल की परवरिश करती है तो पिता परिवार के पोषण के लिए जीवन भर संघर्ष करता है. यह संघर्ष पिता इसलिए करता है ताकि उसकी औलाद को संघर्ष न करना पड़े. ऐसे में आज हम आपको ऐसी कहानी बताएंगे जो आपको पिता की मोहब्बत से रूबरू करवाएगी, जहां वेल्डिंग का काम करने वाले एक शख्स ने अपने बेटे के लिए बैटरी वाली साइकिल बना डाली जिससे उसे कम मेहनत करनी पड़े.


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छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के दुचेरा गांव में रहने वाले संतोष साहू ने अपने बेटे के स्कूल आने जाने की परेशानी का हल ढूंढ निकाला. पिता ने बेटे की तकलीफ दूर करने के लिए कबाड़ के सामान से एक ई साइकिल का निर्माण किया. ये ई साइकिल अब पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बन चुकी है. संतोष साहू का बेटा किशोर साहू कक्षा आठवीं में पढ़ता है. जिसके स्कूल की दूरी करीब 20 किलोमीटर है. इस दूरी को तय करने में रोजाना स्कूल आने जाने में तकलीफ होती थी, लेकिन पिता ने इस तकलीफ को दूर कर दिया है.


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संतोष साहू, बच्चे के पिता
कक्षा आठवीं में पढ़ने वाले किशोर कुमार साहू ने बताया कि ई साइकिल को एक बार चार्ज करने पर वो दो दिन तक चलती है. पिछले 3 साल से इसी साइकिल से संतोष स्कूल आना जाना करता है.


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किशोर साहू, कक्षा 8वीं
कहते हैं कि आवश्यकता आविष्कार की जननी है. ये बात संतोष पर फिट बैठती है. जिन्होंने अपने बेटे की स्कूल आने जाने में हो रही परेशानी को देखते हुए साइकिल को ई-बाइक में बदल दिया. उनकी मेहनत के कारण बेटे की मुश्किल तो आसान हुई ही. साथ ही साथ अब उनके कारनामे को प्रसिद्धि भी मिल रही है.


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