छत्तीसगढ़ की वो डायन जो भरती है सूनी गोद, जानिए इस रहस्यमयी मंदिर की कहानी
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छत्तीसगढ़ की वो डायन जो भरती है सूनी गोद, जानिए इस रहस्यमयी मंदिर की कहानी

Chhattisgarh News: झींका गांव की सरहद पर बने परेतिन दाई मंदिर का प्रमाण उसकी मान्यता आस्था का वो प्रतीक है, जिसने आज इस मंदिर को पूरे प्रदेश में जाना जाता है. माता का प्रमाण आज भी उस पेड़ पर है और उसके सामने शीश झुकाकर कोई आगे नहीं बढ़ता है. 

छत्तीसगढ़ की वो डायन जो भरती है सूनी गोद, जानिए इस रहस्यमयी मंदिर की कहानी

CG NEWS: ऐसे तो लोग प्रेत, प्रेतात्मा या फिर डायन नाम से ही डर जाते हैं, क्योंकि इसको बुरी शक्ति माना जाता है. मगर झिंका गांव के लोगों की आस्था ऐसी है कि ये डायन (परेतिन माता) को माता मानते हैं. इसकी पूजा करते हैं. इसका एक छोटा सा मंदिर भी है. सिकोसा से अर्जुन्दा जाने वाले रास्ते पर स्थित मंदिर को परेतिन दाई माता मंदिर के नाम से जाना जाता है. 

झिंका सहित पूरे बालोद जिले के लोग परेतिन दाई के नाम से जानते हैं और नवरात्र में यहां विशेष अनुष्ठान की शुरुआत हो चुकी है. इस मंदिर में ज्योत भी जलाए गए हैं. आइए जानते हैं. इस मंदिर की कहानी यह है कि डायन मां अच्छों को अच्छा और कोई तिरस्कार कर उस राह से गुजर जाए तो उसके साथ अनहोनी भी होती है.

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पहले पेड़ से जुड़ा हुआ था मंदिर
झींका गांव की सरहद पर बने परेतिन दाई मंदिर का प्रमाण उसकी मान्यता आस्था का वो प्रतीक है, जिसने आज इस मंदिर को पूरे प्रदेश में जाना जाता है. ग्रामीण गैंदलाल मिरी ने बताया कि बालोद जिले का यह मंदिर पहले एक पेड़ से जुड़ा हुआ था. माता का प्रमाण आज भी उस पेड़ पर है और उसके सामने शीश झुकाकर कोई आगे नहीं बढ़ता है. आज भी हम गुजरते हैं तो शीश नवाकर गुजरते हैं और यहां पर जो कोई भी मनोकामना रखता है वो पूरा जरूर होता है विशेष रूप से परेतिन दाई सूने गोद को भरती है. 

आपको बता दें कि गांव के यदुवंशी (यादव और ठेठवार) मंदिर में बिना दूध चढ़ाए निकल जाते हैं तो दूध फट जाता है. ऐसा कई बार हो चुका है. ग्रामीण ने बताया कि यह मंदिर काफी पुराना और बड़ी मान्यता है. गांव में भी बहुत से ठेठवार हैं, जो रोज दूध बेचने आसपास के इलाकों में जाते हैं. यहां दूध चढ़ाना ही पड़ता है. जान बूझकर दूध नहीं चढ़ाया तो दूध खराब (फट) हो जाता है.

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मंदिर से गुजरने वाले लोगों को करना होता है दान
दशकों से इस मंदिर की मान्यता है कि इस रास्ते से कोई भी वाहन या लोग गुजरते हैं और किसी तरह का समान लेकर जाता है. उसका कुछ हिस्सा मन्दिर के पास छोड़ना पड़ता है. चाहे खाने-पीने के लिए बेचने वाले समान या फिर घर बनाने के लिए उपयोग में लाये जाने वाले समान. ऐसा लोगों का मानना है कोई व्यक्ति अगर ऐसा नहीं करता है तो उसके साथ कुछ न कुछ घटना होती है. इस रास्ते से गुजरने वाले दोपहिया चारपहिया वाहन चालक अगर परेतिन माता को प्रणाम नहीं करते तो उसकी गाड़ी बंद हो जाती है. फिर वापस परेतिन माता के पास नारियल चढ़ाने पर गाड़ी अपने आप चालू हो जाती है.

नवरात्र में 9 दिन होती है विशेष पूजा
चैत्र और क्वार नवरात्रि में परेतिन माता के दरबार में विशेष आयोजन किए जाते हैं. जहां पर ज्योति कलश की स्थापना की जाती है. नवरात्र के 9 दिन बड़ी संख्या में भक्तों का तांता लगा रहता है. भले ही मान्यता अनूठी हो, लेकिन सैकड़ों सालों से चली आ रही परंपरा और मान्यता आज भी इस गांव में कायम है वर्तमान में 100 ज्योति कलश यहां पर प्रज्वलित किए गए हैं.

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