भारत ने आजादी के अमृत महोत्सव के सेलिब्रेशन की बीच रविवार को जिस आज़ादीसैट सैटेलाइट को लॉन्च किया है उसे 750 बच्चों ने मिलकर बनाया है. इसे बनाने में महासमुंद की छात्राओं का भी विशेष योगदान रहा.
Trending Photos
जनमेजय सिन्हा/महासमुंद: भारत दुनिया में आज स्पेस के क्षेत्र में सबसे पहली पंक्ति में खड़ा है और यह दिखा भी दिया है कि विश्व में वह किसी से भी कमजोर नहीं है. उदाहरण के लिए भारत ने पहले प्रयास में ही मंगलयान का सफल परीक्षण भी कर लिया है. चंद्रयान मिशन, गगनयान मिशन इसका जीता-जागता उदाहरण है. इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए अब इसरो स्माल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल के रूप में एक नए कीर्तिमान हासिल करेगा जो प्राइवेट क्षेत्र में वरदान साबित हो सकता है.
आज़ादीसैट का सफल परिक्षण
आज आज़ादीसैट का सफल परिक्षण भारत नें किया. इस सेट में महासमुंद के आशीबाई गोलछा गर्ल्स हाई स्कूल की दस छात्राओं का भी विशेष योगदान रहा. इन्होंने इसरो से मिली चिप पर प्रोग्रामिंग की जिसकी मदद से आज़ादीसैट का सफल परिक्षण किया जा सका.
दस छात्राएं हुईं शामिल
इस परिक्षण का स्कूल में सभी दस छत्राओं, प्राचार्य और शिक्षकों की मौजूदगी में सीधा प्रसारण भी दिखाया गया. इन दस छात्राओं में चंचल साहू, फिजा प्रवीन, महिमा जांगड़े, नेहा यादव, राखी यादव, हिना साहू, मोक्ष ठाकुर, किरन साहू, तृप्ति साहू और रीमा चंद्राकार शामिल हैं.
आज़ादीसैट की ये है खास बात
स्पेस किड्ज एक संगठन है जो देश के लिए युवा वैज्ञानिकों का निर्माण करता है. आज़ादीसैट की खास बात यह है कि यह गर्ल स्टूडेंट द्वारा निर्मित उपग्रह है जो लड़कियों को साइंस के क्षेत्र में आने के लिए प्रेरित करेगा. नवीनतम उपग्रह के पास अपनी खुद की बिजली प्रणालियां और बैटरी है जिनसे 6 महीने तक कक्षा में काम करने की उम्मीद है.
नियमित परिक्रमा करने वाला उपग्रह होगा आज़ादीसैट
आज़ादीसैट एक नियमित परिक्रमा करने वाला उपग्रह होगा. इसलिए आजादी सेट स्पेस किड्स इंडिया, पहले के छात्रों के उपग्रहों पर एक अपग्रेड है. यह उपग्रह में तापमान आर्द्रता, दबाव सेंसर, एक्सेलेरोमीटर, जायरोस्कोप और एक मैग्नेटोमीटर की निगरानी के लिए सेंसर भी लगे हैं. इसमें एक सेल्फी कैमरा है, जो पता लगाएगा की अंतरिक्ष में सौर पैनल कैसे कार्य करते हैं. साथ ही long-range कम्युनिकेशन ट्रांसपोंडर भी है, जो दूरस्थ क्षेत्रों में इंटरनेट आफ थिंग्स उपकरणों को कम बैंड विद कनेक्टिविटी प्रदान करेंगे. स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल अपने साथ विद्यार्थियों की एक खास सेटेलाइट आजादी सेट को भी लेकर गया है. जो छात्र द्वारा निर्मित उपग्रह है. जिसका वजन 8 किलोग्राम है. जिसमें 75 लघु पेलोड हैं. जिन्हें फेमटो एक्सपेरिमेंट के रूप में जाना जाता है.
इसरो ने किया है विकसित
स्माल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल मतलब एसएसएलवी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो द्वारा विकसित किया गया है. यह एक छोटा लिफ्ट लॉन्च व्हीकल है. जिसकी क्षमता 500 किलोग्राम है. यह तीन चरणों का प्रक्षेपण यान है. इसे तीन ठोस प्रणोदक चरणों के लिए कॉन्फ़िगर किया गया है. स्माल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल में कई कक्षीय ड्रॉप ऑफ करने की क्षमता है. एसएसएलवी को ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान की तुलना में अत्यधिक कम कीमत और उच्च प्रक्षेपण दर पर व्यवसायिक रूप से छोटे उपग्रहों को लॉन्च करने के उद्देश्य से विकसित किया गया है.
बच्चों ने देखा सीधा प्रसारण
प्राइवेट सेक्टर को स्पेस क्षेत्र में प्रोत्साहन देने के लिए केंद्र सरकार ने इनस्पेस नामक एजेंसी का निर्माण किया है. जो इसरो निजी अंतरिक्ष क्षेत्र के बीच एक माध्यम के रूप में काम करेगी. इसका मुख्यालय अहमदाबाद में स्थित है. इस मौके पर शिक्षकों, छत्राओं समेत जिला शिक्षा अधिकारी महासमुंद के आशी बाई गोछा गर्ल्स हाई स्कूल में इसका सीधा प्रसारण देखा और कहा कि ये हमारे प्रदेश और देश के लिए गौरव की बात है. बच्चों को आगे भी ऐसे काम के लिए प्रेरित करेंगे.
बता दें कि आजादी के अमृत महोत्सव के सेलिब्रेशन की बीच इसरो ने रविवार को 750 लड़कियों की ओर से बनाए गए सैटेलाइट को लॉन्च किया गया है. यह आजादी के 75 साल के जश्न के मौके पर किया जा रहा है.
ISRO ने स्मॉल रॉकेट SSLV-D1 किया लॉन्च, प्रोग्रामिंग में भोपाल की छात्राएं भी थीं शामिल