Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के 1994 बैच के IPS अधिकारी जीपी सिंह को बिलासपुर हाईकोर्ट ने बुधवार को राहत देते हुए उनके खिलाफ दर्ज मामलों को रद्द करने का आदेश दिया है.  जीपी सिंह पर आया से ज्यादा संपत्ति, ब्लैकमेलिंग और देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया था. बिलासपुर हाईकोर्ट कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा एवं जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की बैंच ने तीनों झूठे मामलों की FIR समाप्त कर दिया है. 


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आईपीएस जीपी सिंह छत्तीसगढ़ कैडर के 1994 बैच के अधिकारी हैं. जीपी सिंह पर आय से ज्यादा संपत्ति, ब्लैकमेलिंग और देशद्रोह का केस दर्ज किया गया था. स्कूटी से गोल्ड, कागज के टुकड़े, 10 करोड़ की आमदनी से अधिक संपत्ति,  अवैध लेन-देन आदि झूठे सबूत को आधार बनाकर उनके खिलाफ केस दर्ज हुआ 
था.  मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा ने भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल में दर्ज राजद्रोह के मामले में जीपी सिंह के खिलाफ सभी कार्यवाही रद्द कर दी है. इससे पहले सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (CAT) ने भी जीपी सिंह को राहत देते हुए उनके बहाली का आदेश दिया था. जीपी सिंह को जुलाई 2023 में राज्य सरकार की अनुशंसा पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी थी.


जीपी सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अपने खिलाफ दर्ज सभी मामलों को रद्द करने की मांग की थी. अपनी याचिका में उन्होंने कहा था कि तत्कालीन सरकार ने उन्हें राजनीतिक षड़यंत्र के तहत फंसाया था. उनके खिलाफ किसी भी मामले में कोई भी साक्ष्य नहीं है. कोर्ट ने भी माना कि उनके खिलाफ आईपीएस को परेशान करने के लिए झूठे मामले में फंसाया गया है. उनके खिलाफ किसी भी मामले में कोई भी ठोस सबूत नहीं है. लिहाजा सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने जीपी सिंह के खिलाफ दर्ज सभी एफआईआर को रद्द कर दिया है.


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झूठे सबूत का खुलासा


1.सीज गोल्ड को जीपी सिंह का बताया
सीज गोल्ड के मालिक को एसीबी ने आरोपी नहीं बनाया है. कोर्ट में जीपी सिंह के वकील ने बताया सीज गोल्ड उनके वा उनके किसी परिजनों के नाम पर रजिस्टर नहीं है. जीपी सिंह के वकील हिमांशु पांडेय ने कोर्ट में यह भी बताया कि सुपेला में दर्ज किया एक्सटॉर्शन केस के सिलसिले में बदले की भावना से गोल्ड को झूठा आरोप लगाया हैं.


2. कागज के टुकड़े का षड़यंत्र
हिमांशु पांडेय ने कहा कि जो कागज के टुकड़े जीपी सिंह के ठिकाने से मिले हैं उसके आधार पर उन्हें राजद्रोह का आरोपी बनाया गया है. उन टुकड़ों से कोई राजद्रोह का षड्यंत्र साबित नहीं होता है. एसीबी (एंटी करप्शन ब्यूरो) ने अदालत में पेश किए जवाब में भी राजद्रोह के आरोप,  कागज के टुकड़े की रेडियोग्राफी में स्पष्टता नहीं है.


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