Raipur South Vidhan Sabha Upchunav: साय सरकार में मंत्री और बीजेपी के सीनियर विधायक बृजमोहन अग्रवाल रायपुर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए हैं. ऐसे में वह जल्द ही रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट से इस्तीफा दे सकते हैं. ऐसे में उनकी सीट पर उपचुनाव की सुगबुगाहट शुरू होती दिख रही है. माना जा रहा है कि साल के अंत में नगरीय निकाय के साथ-साथ रायपुर दक्षिण सीट पर भी उपचुनाव हो सकते हैं. हालांकि बृजमोहन अग्रवाल ने अब तक विधायक पद से इस्तीफा नहीं दिया है, ऐसे में फिलहाल तो उनके अगले कदम की तरफ इंतजार किया जा रहा है, लेकिन उपचुनाव के संकेत के बीजेपी और कांग्रेस के नेता जरूर इस सीट पर एक्टिव हो गए हैं. 


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बीजेपी का मजबूत गढ़ 


रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट बीजेपी का मजबूत गढ़ मानी जाती है. बीजेपी के बृजमोहन अग्रवाल यहां से लगातार विधायक चुने जा रहे हैं. 2023 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने पूरे छत्तीसगढ़ में बड़ी जीत हासिल की थी. वहीं इस बार पार्टी ने उन्हें लोकसभा चुनाव लड़ाया था. ऐसे में माना जा रहा है कि अगर बृजमोहन अग्रवाल यह सीट छोड़ते हैं तो बीजेपी किसे प्रत्याशी बनाएगी इसमें अग्रवाल की राय सबसे अहम हो सकती है. 


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बीजेपी के नेता एक्टिव 


बृजमोहन अग्रवाल के सांसद चुने जाने के बाद पहली बार रायपुर दक्षिण सीट पर कोई दूसरा चेहरा विधायक चुना जाना तय माना जा रहा है. इसके लिए बीजेपी के नेता भी एक्टिव हो गए हैं. सुनील सोनी, मृत्युजय दुबे, सुभाष तिवारी, केदारनाथ गुप्ता और मनोज वर्मा इस सीट पर एक्टिव हो गए हैं. माना जा रहा है कि उपचुनाव की स्थिति में बीजेपी इनमें से किसी एक चेहरे पर दांव लगा सकती है. इसके अलावा भी बीजेपी किसी सप्राइजिंग चेहरे को भी आगे कर सकती है. खास बात यह है कि बीजेपी में दावेदारों की लंबी लिस्ट है, ऐसे में पार्टी यहां सारे समीकरण साधकर ही आगे बढ़ना चाहेगी. 


कांग्रेस में भी कई दावेदार 


वहीं बीजेपी की तरह कांग्रेस में भी कई दावेदार नजर आ रहे हैं. बृजमोहन अग्रवाल के दिल्ली जाने के बाद कांग्रेस इस सीट पर उपचुनाव में पूरा दम लगा सकती है. ऐसे में कांग्रेस के कई नेता भी रायपुर दक्षिण में एक्टिव नजर आ रहे हैं. प्रमोद दुबे, कन्हैया अग्रवाल, सन्नी अग्रवाल और आकाश वर्मा का नाम अब तक तेजी से उभर के आया है. लेकिन कांग्रेस यहां किसी नए चेहरे को भी मौका दे सकती है. 2023 में बीजेपी ने यहां महंत रामसुंदर दास को मौका दिया था. लेकिन विधानसभा चुनाव हारने के बाद वह सक्रिए नजर नहीं आ रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस यहां नए तरीके संगठन को खड़ा करने में जुटी है.


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