छत्तीसगढ़ का रॉबिनहुड! जिससे थर-थर कांपती थी अंग्रेजी हुकूमत, दगाबाज चाचा ने फंदे पर पहुंचाया
Robinhood of Chhattisgarh Shaheed Veer Narayan Singh: आइये आज छत्तीसगढ़ का रॉबिनहुड शहीद वीरनारायण सिंह की शहादत दिवस पर जानते हैं उनकी कहानी...
Robinhood of Chhattisgarh Shaheed Veer Narayan Singh: कैलाश जैसवाल/बलौदा बाजार: आज छत्तीसगढ़ के सपूत वीर नारायण सिंह का शहादत दिवस है. इस अवसर पर बलौदा बाजार के सोनखान में विभिन्न आयोजन किए जा रहे हैं. साथ ही उन्हें याद करने के लिए संग्रहालय बनाया गया है. जमींदार नारायण सिंह के वीर नारायण सिंह बनने की कहानी शुरू होती है. इलाके में पड़े अकाल से, जब उन्होंने अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए थे, लेकिन अपनों के दगे ने ही उन्हें कमजोर कर दिया.
वीर नारायण सिंह बलौदा बाजार के सोनाखान इलाके के एक बड़े जमींदार थे. उनके क्रांति की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है. 1857 में अंग्रेजी सेना छत्तीसगढ़ में अपना कब्जा चाहती थी. तब नारायण सिंह के पिता रामराय सिंह ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. तो आइये आज शहीद वीरनारायण सिंह की शहादत दिवस पर जानते हैं उनकी कहानी...
जमींदार बने तो पड़ा अकाल
पिता के बाद जब नारायण सिंह जमींदार बने उसी समय सोनाखान क्षेत्र में अकाल पड़ा. ये 1856 का समय था जब एक साल से लगातार तीन साल तक लोगों को अकाल का सामना करना पड़ा. इससे इंसान तो इंसान जानवर भी दाने-दाने के लिए तरस गए.
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लोगों के लिए तोड़े व्यापारी के ताले
इतिहासकार बताते है कि सोनाखान इलाके में एक माखन नाम का व्यापारी था, जिसके पास अनाज का बड़ा भंडार था. अकाल के समय माखन ने किसानों को उधार में अनाज देने की मांग को ठुकरा दिया. तब ग्रामीणों ने नारायण सिंह से गुहार लगाई और जमींदार नारायण सिंह के नेतृत्व में ग्रामीणों ने व्यापारी माखन के अनाज भण्डार के ताले तोड़ दिये.
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दर्ज हो गया लूट का मामला
लूट की शिकायत व्यापारी माखन ने रायपुर के डिप्टी कमिश्नर से कर दी. उस समय के डिप्टी कमिश्नर इलियट ने सोनाखन के जमींदार नारायण सिंह के खिलाफ वारन्ट जारी कर दिया और नारायण सिंह को सम्बलपुर से 24 अक्टूबर 1856 में बन्दी बना लिया गया. कमिश्नर ने नारायण सिंह पर चोरी और डकैती का मामाला दर्ज किया था. इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.
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राजा के मदद से जेल से भागे
सोनाखान के किसान अपने नेता को जेल में में देखकर दुःखी थे, लेकिन उनके पास कोई विकल्प नहीं था. उसी समय देश में अंग्रेजी शासन के खिलाफ विद्रोह शुरू हो गया. इस अवसर का फायदा उठाकर संबलपुर के राजा सुरेन्द्रसाय की मदद से किसानों ने नारायण सिंह को रायपुर जेल से भगाने की योजना बनाई और इस योजना में सफल हुये. अब अंग्रेज इस घटना से आग बबूला हो गए और नारायण सिंह की गिरफ्तारी के लिए एक बड़ी सेना भेज दी.
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चाचा ने की अंग्रेजों का सहायता
नारायण सिंह ने सोनाखान में अंग्रेजों से लड़ने के लिए अपनी खुद की सेना बना ली थी. उन्होंने 900 जवानों के साथ अंग्रेजी सेना का मुंह तोड़ जवाब देने के लिए तैयार थे. दुर्भाग्य की बात ये थी कि उस समय नारायण सिंह के रिश्ते में चाचा लगने वाले देवरी के जमींदार ने अंग्रेजों की खुलकर सहायता की. इस कारण नारायण सिंह अंग्रेजों की पकड़ में आ गए.
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फांसी के बाद भड़का विद्रोह
अंग्रेजों ने रायपुर के जय स्तंभ चौक पर आम नागरिकों के सामने नारायण सिंह को 10 दिसंबर 1857 में फांसी दे दी. इसके बाद अंग्रेजी सेना के खिलाफ जमकर विरोध हुए. आम जनता के मन में अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह के भाव ने जन्म ले लिया और इसके बाद आए दिन छत्तीसगढ़ की जमीन से अंग्रेजी सेना को ललकारा गया.
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अब सोनाखान हो रहा विकसित
बलौदाबाजार के गौरव के रूप में इस साल भी बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया गया है. शहीद वीर नारायण सिंह शहादत दिवस के अवसर पर उनके जीवन से संबंधित सभी कड़ियों की प्रदर्शनी के साथ सोनाखान में विभिन्न विकास कार्यों को गति दिया जा रहा है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के मंशा अनुरूप कलेक्टर रजत बंसल ने सोनाखान के युवाओं तथा महिलाओं को गाइड के रूप में रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है.
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पर्यटकों को मिलेगा देसी पारंपरिक होम स्टे
सोनाखान में आने वाले पर्यटकों के लिए होम स्टे का शुभारंभ किया जायेगा. देसी पारंपरिक साजो सज्जा के साथ होम स्टे की सुविधा उपलब्ध होगी, जिसमें पर्यटक राज्य से जुड़े कल्चर और पारंपरिक परिवेश में मिट्टी के बने घर में ठहरने का आनंद ले सकते हैं. साथ ही पारंपरिक भोजन ग्रहण करने का आनंद मिलेगा, जिसमें भोजन सामग्री सोनाखान के जमीन से उगे धान की चावल और बाड़ी में लगे साग सब्जियों से बने भोजन से अगुंतको को परोसा जाएगा.
शहीद वीर नारायण सिंह संग्रहालय तैयार
राज्य के वीर सपूत शहीद वीर नारायण सिंह के जीवनी से जुड़ी विशाल संग्रहालय का लोकार्पण की तैयारी में है. सोनाखान आने वाले पर्यटक शहीद वीर नारायण सिंह के जीवनी से जुड़ी विभिन्न घटनाक्रमों के साथ उनके योगदान को जानने का अवसर प्राप्त होगा.