Supreme Court: छत्तीसगढ़ के बस्तर में साल 2013 में हुए झीरम घाटी नक्सल अटैक मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आया है. सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी (NIA) की उस याचिका खारिज कर दिया है, जिसमें छत्तीसगढ़ पुलिस हमले को लेकर बड़ी साजिश के एंगल से जांच कर रही थी. झीरम घाटी के हमले में कुल 29 लोगों की मौत हुई थी, जिसमें छत्तीसगढ़ कांग्रेस के कई बड़े नेता शामिल थे.


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मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा, “क्षमा करें, हम हस्तक्षेप नहीं करना चाहेंगे. खारिज कर दिया गया.” कोर्ट ने कहा है कि माओवादी हमलों में बड़ी राजनीतिक साजिश के आरोपों का मामला चलता रहेगा. 


NIA के वकील का तर्क 
एनआईए की ओर से पैरवी करने वाले एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू का तर्क था कि घटना में बड़ी साजिश के पहलू की जांच एनआईए द्वारा की जानी चाहिए, क्योंकि मामले की मुख्य एफआईआर की जांच केंद्रीय एजेंसी द्वारा की जा रही है. उन्होंने कहा कि जब छत्तीसगढ़ पुलिस ने एनआईए को रिकॉर्ड सौंपने से इनकार कर दिया, तो एजेंसी ने कोर्ट का रुख किया.


सरकार ने दिया ये तर्क
छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से कोर्ट में पेश हुए वरिष्ठ वकील एएनएस नादकर्णी और वकील सुमीर सोढ़ी ने कहा कि राज्य ने शुरू में एनआईए से घटना की बड़ी साजिश के पहलू की जांच करने का अनुरोध किया था, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया. नादकर्णी ने कहा कि राज्य सरकार ने तब केंद्र से अनुरोध किया कि वह एक बड़ी साजिश की जांच सीबीआई को सौंप दे क्योंकि एनआईए ने जांच करने से इनकार कर दिया था। केंद्र ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपने से इनकार कर दिया. तो फिर राज्य सरकार क्या कर सकती थी?



झीरम कांड दुनिया के लोकतंत्र का सबसे बड़ा राजनीतिक हत्याकांड: बघेल
कोर्ट के फैसले के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया थी. उन्होंने कहा, " झीरम कांड पर माननीय सुप्रीम कोर्ट का आज का फैसला छत्तीसगढ़ के लिए न्याय का दरवाजा खोलने जैसा है. झीरम कांड दुनिया के लोकतंत्र का सबसे बड़ा राजनीतिक हत्याकांड था. इसमें हमने दिग्गज कांग्रेस नेताओं सहित 32 लोगों को खोया था. कहने को एनआईए ने इसकी जांच की, एक आयोग ने भी जांच की लेकिन इसके पीछे के बड़ा राजनीतिक षडयंत्र की जांच किसी ने नहीं की."