मिट्टी, गोबर और बीज से बनी अनोखी राखी, त‍िरंगे से बनी है डोर
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मिट्टी, गोबर और बीज से बनी अनोखी राखी, त‍िरंगे से बनी है डोर

Gobar Rakhi in Rakshabandhan:  छत्‍तीसगढ़ की मह‍िलाओं ने गाय के गोबर और फलों के बीज से अनोखी राखी बनाई है ज‍िसमें राष्‍ट्रभक्‍त‍ि की भावना भी जागृत हो रही है. इस राखी को सीमा पर डटे जवानों की बात सामने आ रही है.  

गोबर से बनी राखी.

ज‍ितेंद्र कंवर/जांजगीर चांपा: छत्‍तीसगढ़ में एक महिला में प्रकृति के प्रति ऐसा समर्पण द‍िखा क‍ि उसने भाई की कलाई सजाने के लिए मिट्टी ,गोबर और बीज का उपयोग कर तिरंगे से डोर बनाई है. प्रकृति के साथ देश प्रेम का जज्बा लिए इस महिला ने अपने इस मिशन में उन गरीब छोटे बच्चों को शामिल किया जिन्हें खुद निःशुल्क ट्यूशन देती हैं. ये राखी बेचने के लिए नहीं बल्कि देश की सरहद की रक्षा करने वाले जवानों और पुलिस जवानों के लिए बनाई गई है. इस राखी को सरहद के साथ थानों में पदस्थ जवानों के लिए भेजने की तैयारी की जा रही है. 

गाय के गोबर से बनी राखी 
जांजगीर चांपा जिले में रक्षाबंधन और आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर राखियों से नया प्रयोग हुआ है. परंपरागत रूप से रेशमी और सूती धागों से बनी राखियों के बाजार सज गया है लेकिन अब गाय के गोबर, मिट्टी और विभिन्न फल-फूल के बीज मिलाकर रक्षासूत्र भी बनाए जा रहे हैं. इस राखी को त्योहार के बाद गमले ने रख कर पानी देने से पौधा बन कर भाई-बहन का स्नेह और भी मजबूत होता है. 

राख‍ियोंं को फेंकने की बजाय बना द‍िया जाता है पौधा  
चांपा की नेहा अविनाश अग्रवाल, मधु अग्रवाल और उनके नन्हे दोस्त नेहा श्रीवास,आरती श्रीवास और सोनल कुमारी ने ईको फ्रेंडली राखियां बनाने की अनूठी पहल की है. इन्होंने गाय के गोबर और मिट्टी में नींबू, अश्वगंधा, कालमेघ के साथ गेंदा फूल के बीज मिलाकर रक्षासूत्र तैयार क‍िया है और इसे फौजी भाईयों के साथ पुलिस जवानों की कलाई में सजाने के लिए भेजने को तैयार हैं. संदेश साफ है कि राखियों को पेड़ों के नीचे रखने या इधर-उधर फेंक देने की बजाय के बजाय पौधा ही बना दिया जाए. उन्होंने बताया कि राखियों को गमले में डालकर पौधा अंकुरित किया जा सकता है. इस काम को नेहा के ससुराल वाले भी पूरा सपोर्ट करते है और उसकी इस नवाचार की तारीफ करते हैं. 

बीज को फेंकने के बजाय एक डिब्बे में संभाल कर रखती है मह‍िला 
नेहा अविनाश अग्रवाल ने बताया कि उनके घर में कोई भी बीज वाला फल फूल और सब्जियों आती हैं तो उस बीज को फेंकने के बजाय एक डिब्बे में संभाल कर रखती हैं और उन बीजों को गोबर, मिट्टी और फूल के साथ बनाया जाता है. इन राखियों को 24 घंटा सुखा कर तैयार क‍िया जाता है. उन्होंने बताया कि घर में कम स्थान होने के कारण छत में राखी क निर्माण किया गया और कभी कड़ी धूप तो कभी बारिश का सामना करना पड़ता है. बारिश में राखी न भीगे, इसके लिए बेडरूम में भी सुखाया करती हैं. 

राखी में तिरंगे का भी दिखता है सम्मान

नेहा अविनाश अग्रवाल और छोटे बच्चों के द्वारा बनाई गई इस राखी में जहां पर्यावरण संरक्षण का प्रयास है. वहीं देश भक्ति का जज्बा दिखाते हुए राखी को अलग-अलग सौंप दिया है जिसमें गोल और भारत के नक्शा के सामान तीन रंगों में ढाला है. रस्सी के रूप में तिरंगा पट्टी का उपयोग कर 'मेरे भैया' लिखा है. इस राखी को बनाने में नेचुरल रंगो का उपयोग किया गया है और बच्चों के द्वारा सजाया गया है. इसको बनाने में सिर्फ गोबर, मिट्टी और मंदिरों से निकलने वाले सूखे फूल और फलों के बीज का उपयोग किया गया है. राखी को पहनने के बाद भाई इसे गमले में डाल दे तो कोई न कोई फूल,फल का पौधा जरूर निकलेगा जो फल, फूल और प्रकृति को सजाने का काम आएगा. 

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