हितेश शर्मा/भिलाई: छत्तीसगढ़ के भिलाई इस्पात संयंत्र के मैत्री बाग में आज 30 अगस्त को सफेद बाघ का निधन हो गया. मैत्री बाग में जन्में इस नर बाघ किशन की उम्र नौ वर्ष थी. इसका जन्म 2013 में हुआ था. इसके पिता का नाम सुन्दर और मां का नाम कमला था. मौत के बाद वन विभाग के अधिकारी और एसडीओ दुर्ग के अलावा मैत्री बाग के तमाम अधिकारी कर्मचारी और सरकारी चिकित्सकों की मौजूदगी में बाघ का पोस्टमार्टम कर उसका अंतिम संस्कार किया गया.


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कैंसर से पीड़ित था किशन
शेर किशन को कैंसर हो गया था और इसका इलाज मैत्री बाग के चिकित्सक और अंजोरा पशु चिकित्सालय के वाइल्ड लाइफ विशेषज्ञ चिकित्सक के मार्गदर्शन में चल रहा था. अथक प्रयासों के बावजूद इसे नहीं बचाया जा सका. पार्क प्रबंधन और प्रशासन ने इसे बचाने के लिए काफी प्रयाश किया था. हालांकि वो कामयाब नहीं हो पाए.



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किशन और गंगा का रोमांस चर्मा में थी
मैत्रीबाग के किशन (सफेद बाघ) और गंगा (सफेद बाघिन) की दोस्ती को मिसाल के तौर पर देखी जाती है. दोनों 7 साल से साथ-साथ रह रहे हैं. इस दौरान कभी एक दूसरे पर हमला नहीं किया. बच्चे होने के बाद किशन और गंगा को अलग किया गया, तब भी वे एक दूसरे का ध्यान सलाखों के दूसरे ओर से रखते रहे. इनकी रोमांटिक कहानी सभी को भाती थी.


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रूस-भारत के मैत्री स्वरूप बना है मैत्री बाग
आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ राज्य का सबसे बड़ा चिड़ियाघर भिलाई में स्थित है. भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा रूस तथा भारत की दोस्ती के नाम पर इस बाग का निर्माण किया गया था. यह रूस और भारत की दोस्ती का प्रतीक है. इसमें गार्डन और चिड़ियाघर दोनों हैं. पूरे भारत देश के अंदर सफेद शेर की प्रजातियों को बढ़ाने में भिलाई के मैत्री बाग के शेरों का योगदान अग्रणी रहा है.